सात साल की बच्ची से दुष्कर्म के प्रयास व हत्या में आजीवन कारावास
सात वर्षीय बालिका से दुष्कर्म के प्रयास में असफल होने पर उसकी निर्मम हत्या करने वाले अभियुक्त को विशेष न्यायाधीश पॉक्सो अपर सत्र न्यायाधीश ने आजीवन कारावास की सजा सुनाई है।
हरिद्वार, [जेएनएन]: सिडकुल थाना क्षेत्र में सात वर्षीय बालिका से दुष्कर्म के प्रयास में असफल होने पर उसकी निर्मम हत्या करने वाले अभियुक्त को विशेष न्यायाधीश पॉक्सो अपर सत्र न्यायाधीश अर्चना सागर ने आजीवन कारावास की सजा सुनाई है। साथ ही, 55 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया गया है। जबकि एक अन्य अभियुक्त को सबूत मिटाने का आरोप सिद्ध होने पर सात वर्ष की कठोर कैद और 10 हजार रुपये जुर्माने की सजा सुनाई है।
शासकीय अधिवक्ता कुशल पाल सिंह चौहान व आदेश चौहान ने बताया कि 15 अप्रैल 2015 को मृतक बालिका के पिता ने सिडकुल थाने में एक तहरीर दी थी। जिसमें बताया गया था कि सिडकुल स्थित एक कंपनी के निकट मकान में वह परिवार सहित किराए पर रहता है। दोपहर में उसे सूचना मिली थी कि उसकी सात वर्षीय पुत्री को किसी ने मार दिया है।
इस पर जब वह घर पर पहुंचा तो देखा कि उनकी बेटी की गला काट कर हत्या की गई थी। पुलिस ने तहरीर के आधार पर अज्ञात व्यक्तियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया था। जांच के दौरान पुलिस ने पाया था कि आरोपी छोटू पुत्र राजाराम मूल निवासी मैगलगंज लखीमपुर खीरी उत्तर प्रदेश हाल निवासी दादूपुर रानीपुर हरिद्वार उनके घर में सात वर्षीय लड़की को अकेला देख घुस गया था।
उसने बालिका के साथ दुष्कर्म का प्रयास किया। असफल होने पर उसने दराती से गला काटकर उसकी हत्या कर दी थी और अपनी खून में सनी कमीज एक अन्य आरोपी पैगाम रसूल पुत्र फरमान अली निवासी खाता खेड़ी मंडी सहारनपुर हाल निवासी सलेमपुर रानीपुर हरिद्वार के गोदाम में छुपा दी थी।
पुलिस ने दोनों के खिलाफ न्यायालय में आरोप पत्र दाखिल किया था। मामले से संबंधित मुकदमे में वादी पक्ष की ओर से 13 गवाहों के बयान कराए गए। दोनों पक्षों को सुनने के बाद न्यायालय ने छोटू को सात वर्षीय बालिका के साथ दुष्कर्म का प्रयास करने व असफल रहने पर उसकी हत्या करने का दोषी पाया। जबकि दूसरे आरोपित पैगाम रसूल को घटना के सबूत मिटाने का दोषी पाया।
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