Uttarkashi Disaster: हर्षिल-धराली मार्ग तक पहुंचा झील का पानी, खतरा बना दलदल
उत्तरकाशी के हर्षिल में तेल गंगा में उफान से बनी झील का पानी सड़क तक पहुंचा जिससे मार्ग धंस रहा है। दलदल के कारण झील को खाली करना मुश्किल है जिससे बाढ़ का खतरा बना हुआ है। गंगोत्री हाईवे पर तारबाड़ लगाई गई है। मातली में आइटीबीपी कैंप के बाहर जाम लगा। धराली से लौटे भाई-बहनों का रक्षाबंधन पर भावुक मिलन हुआ जो बाढ़ में बाल-बाल बचे थे।

जासं, उत्तरकाशी। मंगलवार को हर्षिल में तेल गंगा में आए उफान के कारण हेलीपैड के पास बनी झील का पानी हर्षिल धराली मार्ग तक पहुंचा है। झील के कारण मार्ग का धंसाव भी हो रहा है। हेलीपैड़ क्षेत्र और झील के मुहाने पर दलदल की स्थिति बनी हुई है।
इसी कारण भैरव घाटी व धराली की ओर से बीआरओ के बुल्डोजर भी हर्षिल की ओर नहीं आ पा रहे हैं। इससे सड़क खोलने के कार्य में भी बाधा बन रही है। अधिकारियों के अनुसार दलदल होने से झील को खाली करने का कार्य भी चुनौतीपूर्ण है।
अगर फिर से उफान की स्थिति बनती है तो इस झील के टूटने और इसमें जमा मलबा निचले इलाकों में नुकसान पहुंचा सकता है। इस पहले 6 अगस्त 1978 में भागीरथी नदी पर गंगनानी के पास कनोडियागाड़ में झील बनी थी। चार दिन बाद 10 अगस्त को जब वह झील टूटी तो उत्तरकाशी तक बाढ़ की स्थिति बन गई थी। जिसमें भारी नुकसान हुआ था तथा छह लोगों की मौत हुई थी।
मार्ग पर लगाई तारबाड़
उत्तरकाशी : हर्षिल आर्मी कैंप के निकट गंगोत्री हाईवे पर तारबाड़ कर दी गई है। दरअसल गंगनानी सुक्की झाला से पैदल चलकर हर्षिल पहुंचने वाले लोग सीधे धराली जाने का प्रयास कर रहे हैं। आगे हेलीपैड़ पर झील के दलदल में फंसने का खतरा होने के कारण आवाजाही को रोका गया है। इस स्थान से मोटर पुल होते लोगों को हर्षिल भेजा जा रहा है।
आइटीबीपी कैंप के बाहर लगा जाम
उत्तरकाशी : शनिवार को मातली में आइटीबीपी कैंप के बाहर जाम लगा। मातली तिराहे से लेकर आइटीबीपी के मुख्य गेट तक यातायात सुचारू रखने को लेकर कोई ठोस व्यवस्था नहीं है। लोग इस संकरे मार्ग पर वाहनों को जहां तहां खड़ा कर रहे हैं। कई बार स्थिति यह हो रही है वाहनों को धक्का देकर हटाना पड़ रहा है। शनिवार को भी यह स्थिति बनी। इस दौरान इस मार्ग पर लंबा जाम लगा।
धराली से बचकर लौटे भाई-बहन हुए भावुक
उत्तरकाशी : रक्षाबंधन पर कई तस्वीरें सामने आई हैं। शनिवार को धराली से नरेंद्र सेमवाल और उदयवीर राणा उत्तरकाशी लौटे। मातली हेलीपैड़ पर उनकी बहनें अमिता और समिता भी पहुंची थी। जिन्होंने ने दोनों को राखी पहनाई। इस दौरान भाई-बहनों के आंखे झलक उठी।
धनारी के कलिगांव निवासी नरेंद्र सेमवाल और उदयवीर धराली में एक काटेज में काम करते थे। दोपहर के समय खाना खाने के बाद आराम कर रहे थे। उफान आने के करीब दो मिनट पहले काटेज स्वामी ने उन्हें फोन कि बाजार से कुछ दूरी पर कुछ काम है।
वह दोनों वहां पहुंचे ही थे, तभी खीर गंगा में सैलाब आ गया। जो कपड़े उस समय पहने थे बस वहीं ही बच पाए। पर यह शुक्र है कि अगर काटेज के मालिक उन्हें नहीं बुलाते तो वह भी मलबे में दब जाते। वहीं एक तस्वीर धराली गांव से भी सामने आई। जहां मुखवा गांव निवासी राजेश राणा राखी लेकर धराली गांव पहुंचे और बहन सुनिता से राखी बंधवायी। इस दौरान दोनों भाई बहन भावुक हो उठे।
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