Makar Sankranti 2021: मकर संक्रांति पर्व लगेगी गंगा में आस्था की डुबकी, जानिए शुभ मुहूर्त
Makar Sankranti 2021 मकर संक्रांति पर्व का महापुण्यकाल सुबह सवा आठ बजे से आरंभ होगा हालांकि पुण्यकाल ब्रह्म मुहूर्त से शुरू हो जाएगा। वह भी मान्य है इस दौरान स्नान दान जप तप यज्ञ अनुष्ठान और हवन किया जा सकता है।
जागरण संवाददाता, हरिद्वार। Makar Sankranti 2021 मकर संक्रांति पर्व का महापुण्यकाल सुबह सवा आठ बजे से आरंभ होगा, हालांकि पुण्यकाल ब्रह्म मुहूर्त से शुरू हो जाएगा। वह भी मान्य है, इस दौरान स्नान, दान, जप, तप, यज्ञ, अनुष्ठान और हवन किया जा सकता है। ज्योतिषाचार्य पंडित शक्तिधर शर्मा शास्त्री के अनुसार महापुण्यकाल गुरुवार सुबह 8 बजकर 14 मिनट से आरंभ होगा। इसके बाद ही महापुण्यकाल की दशा आरंभ होगी। पुण्यकाल देर शाम तक जारी रहेगा। उन्होंने बताया कि कई वर्षों बाद मकर संक्रांति पर्व की तिथि को लेकर किसी भी तरह भ्रम की स्थिति नहीं है।
ज्योतिषाचार्य पंडित शक्तिधर शर्मा शास्त्री ने बताया कि शिव पुराण के अनुसार मकर संक्रांति का पर्व जब आयोजित होता है और उस समय जितने भी श्रद्धालु गंगा की ओर स्नान करने के उद्देश्य से घर से निकलते हैं और वहां जाकर दान-पुण्य आदि करते हैं। उन्हें पुण्य की प्राप्ति होती है। इस दिन एक पग गंगा की ओर जैसे ही मनुष्य बढ़ाता है उस व्यक्ति को कई हजार अश्वमेघ यज्ञ करने के समान फल प्राप्त होता है। उन्होंने बताया कि वर्ष 2021 में 14 जनवरी को होने वाले इस पर्व का महत्व और भी बढ़ जाता है, क्योंकि यह पर्व गुरुवार को आयोजित होगा।
इस दिन सूर्य का बृहस्पति और अन्य पांच ग्रहों के साथ षडग्रही योग बन रहा है। यह अपने आप में बहुत महत्वपूर्ण है। इससे पहले वर्ष 1962 में जनवरी मास में ही अष्ट ग्रहों का योग बना था और आठ ग्रहों की युति एक साथ हुई थी। यह अपने आप में एक अद्भुत संयोग होगा कि जब मकर राशि में 6 ग्रह विद्यमान होंगे। श्रवण नक्षत्र में होने वाले इस पर्व का महत्व और भी इसलिए बढ़ जाता है, क्योंकि इस दिन चंद्रमा का नक्षत्र है और चंद्रमा जल का कारक है। 'चंद्रमा मनसो जाता' इस प्रकार जिन लोगों को मानसिक, शारीरिक, आर्थिक और भौतिक सुखों का लाभ जीवन में प्राप्त करना हो तो ऐसे पुण्यकाल में गंगा में स्नान-दान आदि करके अपने आपको इस लोक और परलोक में पुण्य का भागी बनाया जा सकता है।
उन्होंने बताया कि वैसे तो मकर संक्रांति का पुण्यकाल 14 जनवरी को प्रात: ब्रह्म मुहूर्त से आरंभ होकर रात्रि 11 बजे तक रहेगा। वैसे भी मकर राशि में जब सूर्य जाते हैं, तो उस समय गंगा स्नान का पुण्य इस मास में कई प्रकार से पुण्य देने वाला कहा गया है। उन्होंने कहा कि पुण्यकाल में स्नान, दान, जप, तप, अनुष्ठान, हवन करने से विशेष फल की प्राप्ति होगी। पुराणों के अनुसार मकर संक्रांति का पर्व ब्रह्मा, विष्णु, महेश, गणेश, आदिशक्ति और सूर्य की आराधना एवं उपासना का पावन व्रत है, जो तन-मन-आत्मा को शक्ति प्रदान करता है। संत के अनुसार इसके प्रभाव से प्राणी की आत्मा शुद्ध होती है। संकल्प शक्ति बढ़ती है। ज्ञान तंतु विकसित होते हैं। मकर संक्रांति इसी चेतना को विकसित करने वाला पर्व है।
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।