4 मई को Kedarnath जाने की इच्छा रखने वाले तीर्थयात्री परेशान, सुबह ही स्लॉट हुआ फुल; निराश लौटे
Kedarnath Dham हरिद्वार में केदारनाथ धाम के लिए पंजीकरण कराने वाले तीर्थयात्रियों को निराशा हाथ लगी। 4 मई के लिए ऑफलाइन स्लॉट सुबह 11 बजे से पहले ही भर गए जिससे कई यात्री बिना पंजीकरण कराए ही लौट गए। केदारनाथ यात्रा को लेकर युवाओं में भारी उत्साह है लेकिन स्लॉट की कमी के कारण कर्मचारियों को भी मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है।

जागरण संवाददाता, हरिद्वार। Kedarnath Dham: ऋषिकुल मैदान के पंजीकरण केंद्र पर शुक्रवार को केदारनाथ धाम के लिए पंजीकरण कराने वाले तीर्थयात्रियों की भीड़ उमड़ पड़ी।
स्थित यह हुई कि सुबह 11 बजे से पहले ही 4 मई के लिए निर्धारित ऑफलाइन स्लॉट पूरी तरह भर गए। इससे कई तीर्थयात्रियों को मायूसी का सामना करना पड़ा। इन तीर्थयात्रियों को निराश होकर पंजीकरण केंद्र से लौटना पड़ा।
28 अप्रैल से चल रहा पंजीकरण
हरिद्वार के ऋषिकुल मैदान में 28 अप्रैल से पंजीकरण चल रहा है। शुरुआती दिनों तो पंजीकरण की स्थिति कम रही। गंगोत्री-यमुनोत्री और केदारनाथ धाम के कपाट खुलते ही तीर्थयात्रियों की संख्या बढ़ने लगी है। सबसे अधिक तीर्थयात्री केदारनाथ धाम के पंजीकरण के लिए पहुंच रहे हैं।
केदारनाथ धाम को लेकर युवा तीर्थयात्रियों में भी अधिक क्रेज है। हरिद्वार आफ लाइन पंजीकरण केंद्र में 30 अप्रैल को कुल 1707, 1 मई को 2372 तीर्थयात्रियों ने केदारनाथ यात्रा के लिए आफलाइन पंजीकरण कराया। शुक्रवार को यह संख्या और अधिक रही। जिसके चलते 4 मई का स्लॉट शुक्रवार सुबह 11 बजे ही भर गया।
मिलेंगे 5 मई से स्लॉट
जिला पर्यटन अधिकारी सुशील नौटियाल ने बताया कि शुक्रवार को चारधाम यात्रा के शेड्यूल के अनुसार 4 मई को यमुनोत्री, 6 मई को गंगोत्री, 8 मई को केदारनाथ तथा 10 मई को बदरीनाथ के लिए पंजीकरण किए गए। वहीं, दो धाम यात्रा करने वालों को 4 मई को केदारनाथ और 6 मई को बदरीनाथ के स्लॉट दिए गए। एक धाम जाने वाले तीर्थयात्री को 4 मई का स्लॉट दिया गया। परंतु केदारनाथ का स्लॉट दोपहर फुल हुआ। शासन से नया स्लॉट मिलने पर भी नए तीर्थयात्रियों का पंजीकरण होता है। शनिवार जो पंजीकरण होंगे उन्हें 5 मई से स्लॉट मिलेंगे।
कर्मचारी भी विवश
केदारनाथ का स्लॉट न मिलने के कारण तीर्थयात्रियों ने पंजीकरण केंद्र में मौजूद कर्मियों से निवेदन किया, परंतु स्लॉट की सीमा बंधित होने के कारण कर्मचारी भी विवश रहे।
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