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    सौ फीसद पर्यावरण अनुकूल होगा आइआइटी रुड़की कैंपस, जानिए कैसे

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    Updated: Sun, 27 Jan 2019 08:23 PM (IST)

    आइआइटी रुड़की का कैंपस सौ फीसद पर्यावरण के अनुकूल बनेगा। स्मार्ट कैंपस विकास परियोजना के तहत कैंपस में एबीबी माइक्रोग्रिड लगाने के लिए शुक्रवार को भूमि पूजन किया गया।

    सौ फीसद पर्यावरण अनुकूल होगा आइआइटी रुड़की कैंपस, जानिए कैसे

    रुड़की, जेएनएन। भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आइआइटी) रुड़की का कैंपस सौ फीसद पर्यावरण के अनुकूल बनेगा। स्मार्ट कैंपस विकास परियोजना के तहत कैंपस में एबीबी माइक्रोग्रिड (बैटरी एनर्जी स्टोरेज के साथ) लगाने के लिए शुक्रवार को भूमि पूजन किया गया। जुलाई 2018 में एबीबी और संस्थान के बीच हुए व्यापक शोध एवं विकास सहयोग करार के तहत यह माइक्रोग्रिड लगना है।

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    पावर ग्रिड्स, एबीबी इंडिया के अध्यक्ष पीताम्बर शिवनानी ने कहा कि हमें देश के सबसे पुराने इंजीनियरिंग कॉलेज (अब आइआइटी) रुड़की के साथ मिल कर इस कैंपस में माइक्रोग्रिड लगाने का मौका मिला है। वर्तमान में स्वच्छ ऊर्जा को प्राथमिकता दी जा रही है। ग्रिड की आधुनिक तकनीकियों से शहरों के लिए अक्षय ऊर्जा का सदुपयोग सुनिश्चित होगा। साथ ही विभिन्न समुदायों, कैंपस या दूरदराज के क्षेत्रों या ग्रिड से वंचित क्षेत्रों में भरोसेमंद ऊर्जा की व्यवस्था करेगा। 

    उन्होंने कहा कि आइआइटी रुड़की ने अक्षय ऊर्जा के उपयोग के साथ कैंपस को पर्यावरण अनुकूल बनाने के लिए हाल के वर्षों में कई बड़े कार्य किए हैं। आइआइटी रुड़की के निदेशक प्रो. अजित कुमार चतुर्वेदी ने कहा कि वर्तमान में माइक्रोग्रिड, बिजली का स्मार्ट डिस्ट्रिब्यूशन नेटवर्क और आधुनिक प्रबंधन तंत्र होना बेहद जरूरी है।

    इनकी मदद से हम अपने कैंपस को 100 फीसद पर्यावरण अनुकूल बना लेंगे। साथ ही आने वाले समय में कार्बन उत्सर्जन शून्य करने का लक्ष्य हासिल करेंगे। बिजली की आधुनिक मीटरिंग होने से बिजली का लेखा, बिलिंग और कलेक्शन की प्रक्रिया आसान होगी। कम से कम समय के लिए बिजली गुल होगी और बिजली की निरंतर आपूर्ति का लक्ष्य पूरा होगा।

    27 स्थानों पर लगे हैं सोलर सिस्टम

    स्मार्ट कैंपस के विकास के लिए माइक्रोग्रिड लगाने के साथ ही प्रौद्योगिकी साधनों जैसे-स्मार्ट मीटरिंग, एससीएडीए, रिंग मेन यूनिट (आरएमयू) का विकास किया जाएगा और वायरलेस ब्राडबैंड कम्युनिकेशन प्लेटफार्म की बुनियादी व्यवस्था की जाएगी। इसका मकसद एक सुचारु स्मार्ट ग्रिड नेटवर्क बनाना है। यह भारत सरकार के स्मार्ट सीटीज मिशन के आरंभिक प्रोजेक्टों में एक होगा।

    वर्तमान में आइआइटी रुड़की के कैंपस में 27 स्थानों पर सोलर पीवी सिस्टम लगे हैं, जो कुल 1.8 मेगावाट सौर ऊर्जा का उत्पादन करते हैं। 2020 में 11 केवी एबीबी एबिलीटी पावरस्टोर माइक्रोग्रिड लग जाने के बाद एबीबी की आधुनिक माइक्रोग्रिड तकनीक संस्थान को अक्षय ऊर्जा का अधिक उपयोग करने में सक्षम बनाएगी।

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