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कोरोना जांच फर्जीवाड़ा : शिकायतों को 'पी' गए महकमे के अफसर, संज्ञान लिया होता तो पहले ही पकड़ में आ जाता फर्जीवाड़ा

स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी अगर शिकायतों पर गौर करते तो कोरोना जांच का फर्जीवाड़ा पहले ही पकड़ में आ जाता। सैंपल दिए बगैर मोबाइल पर मैसेज आने की शिकायत कुछ स्थानीय नागरिकों ने भी की थी लेकिन अधिकारियों ने इसे गंभीरता से नहीं लिया।

By Sunil NegiEdited By: Published: Sat, 19 Jun 2021 03:29 PM (IST)Updated: Sat, 19 Jun 2021 03:29 PM (IST)
कोरोना जांच फर्जीवाड़ा : शिकायतों को 'पी' गए महकमे के अफसर, संज्ञान लिया होता तो पहले ही पकड़ में आ जाता फर्जीवाड़ा
शिकायतों को 'पी' गए महकमे के अफसर, संज्ञान लिया होता तो पहले ही पकड़ में आ जाता फर्जीवाड़ा।

मनीष कुमार, हरिद्वार। स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी अगर शिकायतों पर गौर करते तो कोरोना जांच का फर्जीवाड़ा पहले ही पकड़ में आ जाता। सैंपल दिए बगैर मोबाइल पर मैसेज आने और जांच के पंद्रह-बीस दिन बाद दो बार संदेश प्राप्त होने की शिकायत कुछ स्थानीय नागरिकों ने भी की थी, लेकिन अधिकारियों ने इसे गंभीरता से नहीं लिया। सीमएओ और कुंभ मेला स्वास्थ्य अधिकारी के संज्ञान में मामला लाया गया, पर उन्होंने चुप्पी साध ली।

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केस एक: ज्वालापुर निवासी चिराग शर्मा ने 14 अप्रैल 2021 को फिक्की रिसर्च एंड एनाइलाइसिस की ओर से ऋषिकुल के पास लगाए गए कोविड जांच शिविर में आरटीपीसीआर जांच के लिए सैंपल दिया था। 48 घंटे में रिपोर्ट नहीं आने पर उन्होंने 17 अप्रैल को शिविर प्रभारी पुरुषोत्तम प्रजापति के स्तर से दिए गए मोबाइल नंबर पर संपर्क किया गया। रेस्पांस न मिलने पर 19 अप्रैल को शिविर प्रभारी से मुलाकात की, पर संतोषजनक जवाब नहीं मिला। उसी दिन मेलाधिकारी स्वास्थ्य डा. अर्जुन सिंह सेंगर से संबंधित लैब की शिकायत की, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई। वह बताते हैं कि 21 अप्रैल को उन्होंने दोबारा सैंपल दिया, जिसकी रिपोर्ट का अभी तक इंतजार है।

केस दो: कृष्णा नगर कनखल निवासी चेतन थरेजा के मोबाइल पर 25 मई, 26 मई, 28 मई और 29 मई को रैपिड एंटीजन जांच को सैंपल लिए जाने का मैसेज आया। मैसेज में हर बार नाम अलग दर्ज था। पहली बार उनका नाम था, जबकि दूसरी बार अनिमेष, तीसरी बार रुद्राक्ष चुघ और चौथी बार चेतन कुमार लिखा हुआ था। पांच जून को उन्होंने सीएमओ डा. एसके झा से शिकायत की, उन्होंने जांच का आश्वासन देकर पल्ला झाड़ लिया।

केस तीन: लक्सर के मथाना गांव निवासी अश्विनी कुमार तंवर स्थानीय एक निजी कंपनी में काम करते हैं। प्रबंधन के मांगने पर अप्रैल महीने में उन्होंने सरकारी अस्पताल में कोरोना जांच कराई थी। इसकी उन्हें निगेटिव रिपोर्ट प्राप्त हुई थी। एक महीने बाद 19 मई को एक निजी लैब की तरफ से उनके मोबाइल पर कोरोना जांच के लिए सैंपल दिए जाने का मैसेज आया। अगले दिन मोबाइल पर निगेटिव रिपोर्ट का मैसेज आया। तब उन्होंने इसे तकनीकी चूक समझा। लेकिन पांच दिन बाद 24 मई को फिर से उनके मोबाइल पर सुबह सैंपल कलेक्शन और शाम को कोविड जांच की निगेटिव रिपोर्ट का मैसेज आया। मैसेज में मोबाइल नंबर और आधार कार्ड नंबर उनके ही थे। एक मैसेज में उनका पता मथाना जबकि दूसरी में मथुरा था। सीएम पोर्टल पर शिकायत दर्ज कराने के साथ ही जिलाधिकारी को शिकायत की है। इसमें आगे क्या हुआ, उन्हें कुछ नहीं बताया गया।

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