Haridwar Stampede: घायल संतोष से तीन घंटे बाद मिली मां और नानी, गले-गले आ गए थे प्राण
Haridwar Stampede हरिद्वार में भगदड़ के बाद फरीदाबाद के संतोष कुमार अपनी माँ और नानी से बिछड़ गए। तीन घंटे बाद स्थानीय लोगों ने उन्हें सुरक्षित ढूंढ निकाला। संतोष ने बताया कि मंदिर मार्ग पर कोई पुलिस या प्रशासन का बंदोबस्त नहीं था। रामपुर के प्रदीप कुमार ने अपने बच्चों को पेड़ के नीचे सुरक्षित रखा जब भगदड़ मची।

जागरण संवाददाता, हरिद्वार। Haridwar Stampede : भगदड़ के बाद बिछड़े और अपनों की सलामती को लेकर श्रद्धालुओं के दिलों में जो डर समाया, वह अभी भी कम नहीं हुआ है। हादसे के चश्मदीद और उसमें चोटिल हुए फरीदाबाद निवासी संतोष कुमार ने बताया कि घटना के वक्त वह अपनी मां, नानी, बेटी, बहन की सास और ननद के साथ मंदिर जा रहे थे।
हादसे के बाद उनकी मां और नानी गायब हो गई थीं। संतोष कुमार ने कहा कि हमारी लड़की और बहन की सास-ननद तो मिल गईं, लेकिन मां और नानी का कोई पता नहीं चला। तीन घंटे बाद स्थानीय लोगों ने सकुशल उन्हें ढूंढ निकाला। संतोष ने बताया कि वह खुद भी घायल हुआ।
परिवार के कुछ सदस्य आगे थे, कुछ पीछे। उसी रास्ते से लोग ऊपर मंदिर की ओर भी जा रहे थे और नीचे भी उतर रहे थे, यही सबसे बड़ी गलती थी। उन्होंने आरोप लगाया कि पूरे मार्ग पर कहीं भी पुलिस या प्रशासन का कोई बंदोबस्त नजर नहीं आया। हादसे के बाद तीन-चार पुलिसकर्मी मंदिर से बाहर निकले। संतोष कुमार ने यह भी कहा कि स्थानीय लोगों ने उनकी मां और नानी को ढूंढने में मदद की, जिसके लिए वह आभारी हैं।
बच्चों को पेड़ के नीचे बैठाया
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