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    रुड़की में उत्तराखंड किसान मोर्चा ने विभिन्न मांगों को लेकर दिया धरना, SDM से हुई नोकझोंक

    Updated: Tue, 03 Jun 2025 03:17 PM (IST)

    Uttarakhand latest News उत्तराखंड किसान मोर्चा ने रुड़की में एसडीएम कार्यालय पर धरना दिया। किसानों ने इकबालपुर चीनी मिल द्वारा गन्ने का भुगतान न करने और तहसील में भ्रष्टाचार का आरोप लगाया। एसडीएम के ज्ञापन मांगने पर किसान भड़क गए और उनसे नोकझोंक हुई जिसके बाद किसान धरने पर बैठ गए। किसानों ने सरकार पर धोखाधड़ी का आरोप भी लगाया।

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    एसडीएम से किसानों की नोकझोंक, समस्या सुनने पर दिया जोर

    जागरण संवाददाता, रुड़की। उत्तराखंड किसान मोर्चा की ओर से सोमवार को एसडीएम कार्यालय के बाहर दिए गए धरने पर उस समय हंगामा हो गया, जब एसडीएम ने किसानों से पहले ज्ञापन देने को कहा। किसानों ने मांग उठाई कि पहले उनसे वार्ता की जाए। वार्ता के बाद ही ज्ञापन होगा। इस पर एसडीएम बैठक में जाने की बात कहकर चले गए। वहीं, किसान देर शाम तक धरने पर बैठे रहे।

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    सोमवार को उत्तराखंड किसान मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष गुलशन रोड के नेतृत्व में किसान नारेबाजी करते हुए उप जिलाधिकारी कार्यालय पर धरना देकर बैठ गए। मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष गुलशन रोड ने कहा कि इकबालपुर चीनी मिल से जुड़ा किसान भूखों मरने की नौबत में है। चीनी मिल ने किसान के गन्ने का भुगतान नहीं किया है और बैंकों का कर्ज नहीं उतर पाने की वजह से किसानों की जमीनों के नीलाम होने की नौबत आ गई है।

    उन्होंने कहा कि सरकार लगातार इकबालपुर के मुद्दे पर किसानों को धोखा देने का काम कर रही है। इसको किसी भी सूरत में बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। वहीं, राजेन्द्र सिंह ने कहा कि रुड़की तहसील के अंदर भ्रष्टाचार चरम सीमा पर पहुंच गया है। किसानों की ओर से अधिकारियों ने आंखे बंद कर ली है। किसान परेशान हैं और हर तरफ से लूट रहा है।

    इसी बीच उप जिलाधिकारी ने किसानों से कहा कि वह अपनी समस्याओं के संबंध में जो ज्ञापन लेकर आए हैं, उसको दे दें। जिस पर किसानों ने एसडीएम से कहा कि वह किसानों की समस्याओं को सुन ले। एसडीएम ने जिले पर बैठक में जाने की बात कही। जिस पर किसान भड़क उठे और एसडीएम से नोकझोंक हुई। इसके बाद किसान धरना देकर बैठ गए।

    इस मौके पर रविन्द्र त्यागी, दीपक पुंडीर, आजम, धर्मवीर प्रधान, महकार सिंह, आकिल हसन, बिजेन्द्र सिंह, मुनेश कुमार, सतवीर प्रधान, राव कामिल आदि ने विचार व्यक्त किए।