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बैरागी अखाड़े का एलान, कुंभ विसर्जन कर चुके अखाड़े शाही स्नान में न आएं

Haridwar Kumbh Mela 2021 कुंभ विसर्जन की घोषणा कर चुके अखाड़ों को लेकर बैरागी अखाड़ों ने सख्त रुख अपनाया है। उन्होंने चेतावनी दी कि जो अखाड़े कुंभ के समापन की घोषणा कर चुके हैं यदि उन्होंने शाही स्नान में भाग लिया तो आंदोलन किया जाएगा।

By Raksha PanthriEdited By: Published: Wed, 21 Apr 2021 01:06 PM (IST)Updated: Wed, 21 Apr 2021 08:43 PM (IST)
बैरागी अखाड़े का एलान, कुंभ विसर्जन कर चुके अखाड़े शाही स्नान में न आएं
कुंभ समाप्ति की घोषणा करने वाले चैत्र पूर्णिमा स्नान में हुए शामिल तो होगा आंदोलन।

जागरण संवाददाता, हरिद्वार। Haridwar Kumbh Mela 2021 कुंभ विसर्जन की घोषणा कर चुके अखाड़ों को लेकर बैरागी अखाड़ों ने सख्त रुख अपनाया है। उन्होंने चेतावनी दी कि जो अखाड़े कुंभ के समापन की घोषणा कर चुके हैं, यदि उन्होंने शाही स्नान में भाग लिया तो आंदोलन किया जाएगा। सवाल उठाया कि जब उन्होंने विसर्जन कर दिया तो उनके लिए अब कुंभ कैसा। कहा कि अब 13 में से सात अखाड़ों को ही स्नान का अधिकार है। इसकी जानकारी अखाड़ों ने पुलिस महानिरीक्षक (मेला) को भी दे दी है। उन्होंने एक बार फिर दोहराया कि शाही स्नान के दौरान कोविड गाइड लाइन का सख्ती से पालन किया जाएगा और सीमित संख्या में संत स्नान करेंगे।

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बीते शनिवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आग्रह पर कोरोना के मद्देनजर श्रीपंचदशनाम जूना, अटल, अग्नि और आह्वान अखाड़े ने अपने यहां कुंभ समाप्ति की घोषणा कर दी थी, जबकि श्री पंचायती निरंजनी और आनंद अखाड़ा पहले ही इस आशय की घोषणा कर चुके थे। वहीं महानिर्वाणी अखाड़े ने शाही स्नान में प्रतीकात्मक तौर पर भाग लेने की बात कही है।

बुधवार को बैरागी कैंप में बैरागी अखाड़ों के प्रतिनिधियों ने मीडिया से बातचीत की। श्रीपंच निर्मोही अणि अखाड़े के अध्यक्ष श्रीमहंत राजेंद्र दास ने कहा कि सरकार और मेला अधिष्ठान से इन अखाड़ों के शाही स्नान करने पर रोक लगाए। उन्होंने कहा कि शाही स्नान में केवल श्रीपंच निर्मोही अणि, श्रीपंच निर्वाणी अणि, श्रीपंच दिगंबर अणि श्रीपंचायती अखाडा नया उदासीन, श्री पंचायती अखाड़ा बड़ा उदासीन, श्री पंचायती अखाड़ा निर्मल और महानिर्वाणी  अखाड़े के साधु संत ही भाग लेंगे। उन्होंने कहा कि कोरोना संक्रमण को देखते हुए स्नान में सिर्फ वे ही साधु-संत भाग लेंगे जो हरिद्वार में हैं। आह्वान किया कि बाहर से आने वाले संत और उनके अनुयायी इस स्नान के निमित्त हरिद्वार न आएं। इस अवसर पर महंत रामजी दास, महंत रामशरण दास, महंत नरेंद्र दास, महंत महेश दास, नागा महंत सुखदेव मुनि, महामंडलेश्वर सांवरिया बाबा, श्रीमहंत अशोक दास, श्रीमहंत सुरेश दास, श्रीमहंत देवनाथ दास शास्त्री, महंत रामदास, महंत मोहन दास खाकी, महंत भगवान दास खाकी, महामंडलेश्वर सेवा दास, महामंडलेश्‍वर साध्वी साधना दास, महंत अमित दास, महंत अरुण दास, महंत प्रह्लाद दास, महंत सूरज दास, महंत जनार्दन दास मौजूद थे। 

श्रीमहंत हरिगिरि (राष्ट्रीय महामंत्री, अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद) ने कहा कि बैरागी अखाड़ों की मांग या निर्णय, अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद का निर्णय नहीं है। गंगा स्नान सभी का अधिकार है और किसी को इससे रोका नहीं जा सकता। अखाड़ा परिषद की ओर से हमने सभी अखाड़ों और उनके पदाधिकारियों की आम सहमति से उत्तराखंड सरकार को पूर्व में ही लिखित रूप से दे दिया था कि संक्रमण बढऩे पर प्रतीकात्मक स्नान किया जाएगा। जो भी असहमति है, उसका बातचीत कर सर्वमान्य हल निकाल लिया जाएगा।

संजय गुंज्याल (आइजी कुंभ मेला) ने कहा कि यह मसला अखाड़ों और अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद का है। मेला अधिष्ठान की ओर से मेला पुलिस शाही स्नान की व्यवस्था करने को कृतसंकल्प है।

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