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    हरिद्वार में हुआ विश्व सनातन महापीठ का शिलान्यास, पारित किए गए चार प्रस्ताव

    Updated: Sat, 22 Nov 2025 12:50 PM (IST)

    हरिद्वार में तीर्थ सेवा न्यास द्वारा विश्व सनातन महापीठ का शिलान्यास किया गया। इस अवसर पर गौ माता को राष्ट्र माता का दर्जा देने, जनसंख्या नियंत्रण कानून लागू करने जैसे चार प्रस्ताव पारित किए गए। स्वामी चिदानंद सरस्वती ने आध्यात्मिक एकता पर बल दिया। हठयोगी बाबा और राम विशाल दास महाराज ने सनातन संस्कृति की रक्षा का संकल्प लिया।

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    संतोंं की उपस्थिति में किया गया विश्व सनातन महापीठ का शिलान्यास, चार प्रस्ताव पारित। जागरण

    जागरण संवाददाता, हरिद्वार। भूपतवाला क्षेत्र में तीर्थ सेवा न्यास की ओर से विश्व सनातन महापीठ का शिलान्यास किया गया। वैदिक मंत्रोच्चारण के साथ शिलान्यास संपन्न हुआ। आयोजन में धर्माचार्य, महंत, संत और अखाड़ों के प्रतिनिधियों ने प्रतिभाग किया। इस दौरान विश्व सनातन महापीठ में चार प्रस्ताव पारित किए गए। पहला गौ माता को राष्ट्र माता का दर्जा दिया जाए। दूसरा देश में जनसंख्या नियंत्रण कानून लागू किया जाए। तीसरा देश में समान नागरिक संहिता लागू हो। चौथा एक देश एक शिक्षा नीति लागू होनी चाहिए।

    इस अवसर पर परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानंद सरस्वती ने कहा कि एक विश्व, एक धर्म, एक ध्वज, एक ग्रंथ, एक विधान सिर्फ एक नारा नहीं, बल्कि वैश्विक आध्यात्मिक एकता का उद्घोष है। इसके सूत्रधार भारतर्षि और हमारी महान ऋषि परंपरा है। तीर्थ सेवा न्यास के अध्यक्ष हठयोगी बाबा और सचिव राम विशाल दास महाराज ने सनातन संस्कृति, वेद, गुरुकुल परंपरा और धर्म की रक्षा, गौ सेवा, गंगा व हिमालय संरक्षण, पर्यावरण एवं योग के प्रचार-प्रसार का संकल्प लिया।

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    प्रसिद्ध कथावाचक डा. अनिरुद्धाचार्य महाराज और देवकीनंदन ठाकुर ने भी श्रद्धालुओं को विश्व सनातन महापीठ की भावना के बारे में बताया। करौली शंकर महादेव ने कहा कि सनातन का मूल आधार शिक्षा है। बिना मूल्य शिक्षा के समाज टिकता नहीं है और बिना समाज के धर्म सुरक्षित नहीं रह सकता।

    उन्होंने कहा कि विश्व सनातन महापीठ का उद्देश्य केवल धार्मिक निर्माण नहीं, बल्कि चरित्र निर्माण, मानव निर्माण और समाज निर्माण है। इस मौके पर ब्रह्मर्षि कुमार स्वामी, अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत रविंद्र पुरी, महंत मुरलीधरन, अश्वनी उपाध्याय, विष्णु शंकर जैन, स्वामी सच्चिदानंद, डा. गौतम खट्टर, अविचल दास, जगद्गुरु भैया जी महाराज, राज राजेश्वर गुरु, संजय आर्य शास्त्री , महामंडलेश्वर गोपाल दास सहित हजारों संत उपस्थित रहे।

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