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माघी पूर्णिमा के मौके पर हरिद्वार में लाखों ने गंगा में लगाई श्रद्धा की डुबकी

माघी पूर्णिमा पर गंगा स्नान और ईश्वर की स्तुति करने को धर्मनगरी हरिद्वार के गंगाघाटों पर आस्था का सैलाब उमड़ पड़ा। श्रद्धालुओं ने गंगा स्नान के साथ ही पूजा अर्चना की।

By BhanuEdited By: Published: Sun, 09 Feb 2020 11:23 AM (IST)Updated: Sun, 09 Feb 2020 08:31 PM (IST)
माघी पूर्णिमा के मौके पर हरिद्वार में लाखों ने गंगा में लगाई श्रद्धा की डुबकी
माघी पूर्णिमा के मौके पर हरिद्वार में लाखों ने गंगा में लगाई श्रद्धा की डुबकी

हरिद्वार, जेएनएन। माघी पूर्णिमा पर गंगा स्नान और ईश्वर की स्तुति करने को धर्मनगरी हरिद्वार के गंगाघाटों पर आस्था का सैलाब उमड़ पड़ा। श्रद्धालुओं ने गंगा स्नान के साथ ही पूजा अर्चना, दान कर पुण्य अर्जित किया। इसके निमित्त हरकी पैड़ी और आसपास के मंदिरों में गुप्त दान कर पुण्य कमाया। हर की पैड़ी पर पुलिस ने कड़ी सुरक्षा व्यवस्था की हुई थी।

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माघी पूर्णिमा के रविवार के दिन होने के कारण छुट्टी और मौसम खुला होने के कारण हरकी पैड़ी सहित हरिद्वार के सभी गंगा घाटों पर गंगा स्नान के लिए भारी भीड़ उमड़ी। स्नान के चलते हरकी पैड़ी, सर्वानंद घाट, बिरला घाट, लवकुश घाट, विश्वकर्मा घाट, प्रेमनगर आश्रम घाट आदि घाटों पर श्रद्धालुओं का हुजूम उमड़ा रहा। 

सनातनी मान्यता के अनुसार श्रद्धालुओं ने गंगा पूजन और गंगा अभिषेक भी किया। स्नान के बाद हरिद्वार के मंदिरों के दर्शन और पूजन के लिए श्रद्धालुओं की भारी भीड़ जुटी रही। 

यह है मान्यता 

ज्योतिष शास्त्र एवं समस्त पुराणों के कथनानुसार वैसे तो समस्त माघ मास पुण्य दान पूजा पाठ यज्ञ विष्णु पूजा तथा गंगा के स्नान करने के लिए प्रसिद्ध माना गया है। वहीं, पूर्णिमा के दिन जिसको माघी पूर्णिमा भी कहा जाता है, उस दिन स्नान करने से भगवान सूर्य नारायण की कृपा का फल पूर्ण रूप से प्राप्त होता है। 

इसके अलावा तीर्थ के जल से स्नान करने के उपरांत देव पित्र तर्पण यज्ञ तथा ब्राह्मणों को द्रव्य दक्षिणा वस्त्र आदि देकर संतुष्ट करना चाहिए। उसके बाद तिल, गुड़, अनाज, फल और वस्त्र गरीबों को और ब्राह्मणों को दान देकर इस व्रत का पारायण करना चाहिए। 

उल्लेखनीय है कि यह व्रत समस्त मनोकामना को पूर्ण करने वाला इहलौकिक और पारलौकिक समस्त सुखों को प्रदान करने वाला है। ऐसा करने से मनुष्य को ईश्वर की कृपा का फल प्राप्त होता है। इसके अलावा इस व्रत पर साधक तिल, जो, गुड, अनाज आदि से यज्ञ करते हैं। उसके बाद द्रव्य दक्षिणा और वस्त्र आदि दान करते हैं। ऐसे करने से उन्हें अश्वमेध यज्ञ करने के समान फल प्राप्त होता है। ऐसा शिव पुराण में वर्णन आया है। 

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ऋषिकेश के गंगा घाटों में भी उमड़ी भीड़ 

माघ पूर्णिमा के पावन अवसर पर ऋषिकेश और आसपास क्षेत्र से आए सैकड़ों श्रद्धालुओं ने गंगा में डुबकी लगाकर दान पुण्य किया। मौसम साफ होने के कारण सुबह से ही श्रद्धालु ऋषिकेश के त्रिवेणी घाट, मुनिकीरेती, लक्ष्मण झूला, स्वर्गाश्रम के घाटों पर पहुंचने लगे थे। दिन चढ़ने के साथ गंगा स्नान के लिए आने वाले श्रद्धालुओं की संख्या बढ़ने लगी। श्रद्धालुओं ने गंगा स्नान के साथ गरीबों को अनाज व फल वितरित किए। 

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