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Vasant Panchami 2020: उत्तराखंड में श्रद्धापूर्वक मनाया गया वसंत पंचमी का पर्व, जानिए क्या है मान्यता

वसंत पंचमी का पर्व पर मंदिरों के साथ ही स्कूल स्कूल-कॉलेजों में मां सरस्वती की पूजा-अर्चना की गई।

By Raksha PanthariEdited By: Published: Wed, 29 Jan 2020 02:32 PM (IST)Updated: Wed, 29 Jan 2020 08:23 PM (IST)
Vasant Panchami 2020: उत्तराखंड में श्रद्धापूर्वक मनाया गया वसंत पंचमी का पर्व, जानिए क्या है मान्यता
Vasant Panchami 2020: उत्तराखंड में श्रद्धापूर्वक मनाया गया वसंत पंचमी का पर्व, जानिए क्या है मान्यता

ऋषिकेश, जेएनएन। उत्तराखंड में वसंत पंचमी का पर्व उत्साह के साथ मनाया गया। मंदिरों के साथ ही स्कूल स्कूल-कॉलेजों में मां सरस्वती की पूजा-अर्चना की गई। साथ ही जगह-जगह कलश यात्राएं भी निकाली गई। वसंत पंचमी के पावन मौके पर सीएम रावत ने राज्य की खुशहाली की प्रार्थना की। बसंत ऋतु का आगमन बसंत पंचमी के दिन होता है। मान्यता है कि इसी दिन देवी सरस्वती का जन्म भी हुआ था। हिंदू पंचांग के अनुसार बसंत पंचमी का पर्व हर साल माघ मास शुक्ल पक्ष की पंचमी को मनाया जाता है। इसबार शुभ मुहूर्त बुधवार सुबह 10 बजकर 45 मिनट पर शुरू हुआ, जो गुरुवार दोपहर एक बजकर 19 मिनट तक रहेगा। 

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बसंत पंचमी के पावन अवसर पर ऋषिकेश में नारायण भरत भगवान की भव्य डोली यात्रा श्री भरत मंदिर से निकाली गई। झंडा चौक स्थित मंदिर में विधिवत पूजा अर्चना के बाद भगवान की डोली यात्रा प्रारंभ हुई। इसमें संस्कृत महाविद्यालय के छात्रों के साथ भरत इंटर कॉलेज की छात्राएं कलश लेकर शामिल हुईं। वहीं, सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत नारायण भरत के दर्शन को पहुंचे उन्होंने। श्री भरत मंदिर में उन्होंने गुड़ और फल अर्पित कर भगवान भरत नारायण से राज्य की खुशहाली के लिए प्रार्थना की।

बता दें कि वसंत पंचमी के दिन नारायण भगवान भरत के विग्रह को नगर परिक्रमा और गंगा स्नान के लिए ले जाया जाता है। हृषिकेश नारायण भगवान भारत के इस उत्सव को ऋषिकेश में हृषिकेश वसंतोत्सव के रूप में मनाया जाता है। वसंत उत्सव के तहत आयोजित कार्यक्रम में भी मुख्यमंत्री ने शिरकत की।

वहीं, लोक कलाकारों ने उत्तराखंड की गढ़ संस्कृति पर आधारित कार्यक्रम प्रस्तुत किए। मायाकुंड पुराना बदरीनाथ मार्ग से होते हुए डोली यात्रा त्रिवेणी घाट पहुंची। यहां भगवान भरत की डोली को गंगा स्नान कराया गया। इसके बाद नगर के मुख्य मार्गों से होती हुई डोली यात्रा पुन: मंदिर में संपन्न हुई। यात्रा मार्ग पर जगह-जगह श्रद्धालुओं ने डोली का पूजन किया। डोली यात्रा में महंत अशोक प्रपंन्न शर्मा, वत्सल शर्मा, वरुण शर्मा, उत्तराखंड महिला आयोग की अध्यक्ष विजया बड़थ्वाल, महापौर अनीता ममगाईं, पूर्व पालिकाध्यक्ष दीप शर्मा, वचन पोखरियाल, कैप्टन डीडी तिवारी, डीबीपीएस रावत, धीरेंद्र जोशी, नरेंद्र जीत सिंह बिंद्रा सहित बड़ी संख्या में स्थानीय नागरिक शामिल हुए।

राज्यपाल मौर्य ने दिया पर्यावरण संरक्षण का संदेश 

राज्यपाल बेबी रानी मौर्य ने ऋषिकेश के रेलवे स्टेशन परिसर में पौध रोपण करते हुए भावी पीढ़ी के लिए बेहतर पर्यावरण तैयार करने का आह्वान किया। वसंत पंचमी के अवसर पर परमार्थ निकेतन ने पौधरोपण कार्यक्रम का आयोजन किया। इस अवसर पर राज्यपाल ने कहा कि उत्तराखंड कि धरती ने पूरे विश्व को हिमालय और गंगा के रूप में उपहार दिया है तो पर्यावरण संरक्षण का संदेश भी दिया है। चिपको आंदोलन के नेता गौरा देवी और सुंदरलाल बहुगुणा इसी भूमि से ताल्लुक रखते हैं। मैती आंदोलन के जरिए कल्याण सिंह रावत ने पर्यावरण बचाने का काम किया। इसीलिए उन्हें पदम श्री से नवाजा गया। 

उन्होंने कहा कि जलवायु परिवर्तन और प्रदूषण हमारे सामने बड़ी चुनौती है। एक साथ मिलकर ही इसका मुकाबला किया जा सकता है। अगली पीढ़ी को धन दौलत नहीं बल्कि एक अच्छा पर्यावरण देने की जरूरत है। उन्होंने कहा बसंत में पुराने वक्त पर बच्चे घरों से पौधे लाकर लगाते थे। पीला वस्त्र, पीला तिलक धारण करते थे, लेकिन अब समय के साथ सब कुछ बदल गया है। वृक्ष हमें जीवन देते हैं। जीव-जंतुओं को संरक्षण देते हैं। हमने इन वन प्राणियों से उनके घरों को छीन लिया है। यही कारण है कि यह आबादी में आ रहे हैं। उन्होंने ऋतुराज वसंत उत्सव पर जल संरक्षण, पर्यावरण संरक्षण का संकल्प लेने का आह्वान किया। 

मंदिरों में जुटे श्रद्धालु

हरिद्वार जिले के रुड़की में भी वसंत पंचमी श्रद्धापूर्वक मनाई जा रही है। शहर के साकेत स्थित दुर्गा चौक मंदिर में बसंत पंचमी के मौके पर मां की विशेष आराधना श्रद्धालुओं की ओर से की जा रही है। इसके अलावा नहर किनारे स्थित लक्ष्मीनारायण मंदिर, रामनगर के राम मंदिर, सुभाष नगर के संतोषी माता मंदिर समेत अन्य मंदिरों में भी बसंत पंचमी पर पूजा-अर्चना की जा रही है।  

इसलिए होती है सरस्वती की पूजा 

मान्यता है कि सृष्टि की रचना के समय भगवान ब्रह्मा ने जीव-जंतुओं और मनुष्य योनि की रचना की, लेकिन उन्हें लगा कि कुछ कमी रह गई है। इस कारण चारों ओर सन्नाटा छाया रहता है। ब्रह्मा ने अपने कमंडल से जल छिड़का, जिससे चार हाथों वाली एक सुंदर स्त्री प्रकट हुई। उस स्त्री के एक हाथ में वीणा और दूसरा हाथ में वर मुद्रा और बाकि दोनों हाथों में पुस्तक और माला थी। ब्रह्मा ने देवी से वीणा बजाने का अनुरोध किया, जैसे ही देवी ने वीणा का मधुरनाद किया, संसार के समस्त जीव-जंतुओं को वाणी मिल गई। जल धारा कलकल करने लगी और हवा सरसराहट कर बहने लगी। तब ब्रह्मा ने उस देवी को वाणी की देवी सरस्वती कहा। 

सरस्वती को बागीश्वरी, भगवती, शारदा, वीणा वादनी समेत कई नामों से पूजा जाता है। वो विद्या, बुद्धि और संगीत की देवी हैं। ब्रह्मा ने देवी सरस्वती की उत्पत्ति बसंत पंचमी के दिन ही की थी। इसलिए हर साल वसंत पंचमी के दिन देवी सरस्वती का जन्म दिन मनाया जाता है। 

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मां सरस्वती को करें प्रसन्न 

-बसंत पंचमी के दिन विद्या की देवी सरस्वती की पूजा कर उन्हें फूल अर्पित किए जाते हैं। 

-इस दिन वाद्य यंत्रों और किताबों की पूजा की जाती है। 

-इस दिन छोटे बच्चों को पहली बार अक्षर ज्ञान कराया जाता है। 

- बच्चों को किताबें भेंट करना भी शुभ माना जाता है। 

-पीले रंग के कपड़े पहनना इस दिन का शुभ संकेत माना जाता है। 

-इस दिन पीले चावल या पीले रंग का भोजन किया जाता है। 

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