मां भगवती के 52 सिद्धपीठों में एक है चूड़ामणि मंदिर
रुड़की अंतर्गत भगवानपुर के चुड़ियाला गांव में स्थित मां चूड़ामणि मंदिर मां भगवती के 52 सिद्धपीठों में से मां चूड़ामणि भी एक सिद्धपीठ है। इसका वर्णन दुर्गा सप्तसति में भी मिलता है।
रुड़की, [जेएनएन]: रुड़की अंतर्गत भगवानपुर के चुड़ियाला गांव में स्थित मां चूड़ामणि का अनंत काल से मंदिर विराजमान है। ऐसा माना जाता है कि मां भगवती के 52 सिद्धपीठों में से मां चूड़ामणि भी एक सिद्धपीठ है। इसका वर्णन दुर्गा सप्तसति में भी मिलता है। यह कहा जाता है कि जब भगवान शंकर सती को लेकर ब्रह्माण में थे तो भगवान विष्णु के सुदर्शन से सती के बदन से चूड़ा यहां पर गिर गया था। तभी से यह चूड़ामणि के नाम से विख्यात है।
इस स्थान पर सती अपने नए अवतार चूड़ामणि के रूप में प्रकट हुई। माता सती के इस रूप को देखकर भगवान शंकर का मोह दूर हो गया। इस सिद्धपीठ मंदिर की मान्यता है कि नि:संतानों की कामना को माता तीन वर्ष के भीतर पूरी कर देती है।
मंदिर खुलने का समय
मंदिर प्रतिदिन सुबह चार बजे खुलता है। जबकि रात आठ बजे मंदिर के कपाट बंद होते हैं। इसी गांव में एक सिद्ध बाबा वनखंडी भी हुए थे। ये 84 सिंह बाबाओं में से एक हैं। ऐसा कहा जाता है कि सर्वप्रथम मंदिर का शुभारंभ इनके द्वारा ही किया गया था।
मां में अपार श्रद्धा रखने वाले भक्तों का यहां वर्षभर तांता लगा रहता है। जबकि नवरात्र में मां के दरबार में मत्था टेकने के लिए यहां पर श्रद्धालुओं का सैलाब उमड़ता है।
ऐसे पहुंचे
मां का मंदिर रुड़की से 19 किलोमीटर दूर भगवानपुर के चुडिय़ाला गांव में स्थित है। यहां पहुंचने के लिए रुड़की रोडवेज बस अड्डे से बस में भगवानपुर आना पड़ेगा। इसके अलावा ट्रेन से भी यहां पर पहुंचा जा सकता है। हालांकि चुडिय़ाला स्टेशन पर केवल पैसेंजर ट्रेनों का ही ठहराव है।
दूसरे राज्यों से भी आते हैं श्रृद्धालु
मंदिर के पुजारी पंडित अनिरुद्ध शर्मा के अनुसार मां चूड़ामणि मंदिर में 12 महीने भक्तों की भीड़ रहती है। रुड़की और आसपास के देहात क्षेत्र के अलावा हिमाचल, दिल्ली, पंजाब, जम्मू-कश्मीर, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश आदि शहरों से भक्त मां के दर्शनों के लिए पहुंचते हैं। जबकि ऐसा माना जाता है कि नवरात्र पर मां के दर्शन करने से अधिक फल की प्राप्ति होती है।

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