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    Navratri 2025: पांच शुभ संयोग में प्रारंभ होंगे नवरात्र, ये रहेगा कलश स्थापना के लिए सबसे उपयुक्त मुहूर्त

    Chaitra Navratri 2025 चैत्र नवरात्रि 2025 इस बार पांच शुभ संयोगों में प्रारंभ हो रही है। सर्वार्थ सिद्धि योग ऐंद्रयोग बुध आदित्य योग शुक्र आदित्य योग और लक्ष्मी नारायण योग में पूजा करने से सिद्धि प्राप्त होगी और मनोकामनाएं पूर्ण होंगी। कलश स्थापना के लिए सबसे उपयुक्त मुहूर्त सुबह 615 से 1020 और दोपहर 1152 से 1215 के बीच रहेगा।

    By Rena Edited By: Nirmala Bohra Updated: Thu, 27 Mar 2025 04:01 PM (IST)
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    Chaitra Navratri 2025: नवरात्र पांच शुभ संयोग में प्रारंभ होंगे। Jagran Graphics

    जागरण संवाददाता, रुड़की। Chaitra Navratri 2025: चैत्र नवरात्र का प्रारंभ इस बार अपने आप में कई विशेषताओं को लिए हुए है। नवरात्र पांच शुभ संयोग में प्रारंभ होंगे। जिनमें पहला सर्वार्थ सिद्धि योग, दूसरा ऐंद्रयोग, तीसरा बुध आदित्य योग, चौथा शुक्र आदित्य योग और पांचवां लक्ष्मी नारायण योग शामिल है। इन शुभ योग में पूजन करने से सिद्धि प्राप्त होने के साथ ही भक्तों की मनोकामनाएं पूर्ण होंगी।

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    नवरात्र के दिनों की संख्या घटकर छह

    भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान रुड़की परिसर स्थित श्री सरस्वती मंदिर के आचार्य राकेश कुमार शुक्ल ने बताया कि इस बार चैत्र नवरात्र 30 मार्च से प्रारंभ होकर छह अप्रैल को संपन्न होंगे। क्योंकि तृतीया तिथि क्षय होने के कारण नवरात्र के दिनों की संख्या घटकर छह रह जाएगी।

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    ऐसे में 31 मार्च को मां दुर्गा के द्वितीय स्वरूप ब्रह्मचारिणी तथा तृतीय स्वरूप चंद्रघंटा की एक ही दिन पूजा की जाएगी। उन्होंने बताया कि लगभग 230 वर्ष बाद चैत्र शुक्ल प्रतिपदा के दिन नवरात्र प्रारंभ के समय षडगृही एवं कालसर्प योग बन रहा है। यह योग आम जनमानस के लिए उतार-चढ़ाव वाला होगा। इन योगों के फलस्वरूप व्यापारिक उथल-पुथल, तनाव एवं राजनीतिक अस्थिरता के योग बनेंगे।

    हाथी पर सवार होकर आएंगी मां दुर्गा

    रविवार के दिन नवरात्र प्रारंभ होने से इस बार मां दुर्गा का वाहन हाथी होगा। मां दुर्गा का वाहन हाथी होने से सुख-समृद्धि और धन-धान्य की वृद्धि होगी। आचार्य राकेश कुमार शुक्ल ने बताया कि कलश स्थापना के लिए सबसे उपयुक्त मुहूर्त सुबह लगभग 6 बजकर 15 मिनट से लेकर 10 बजकर 20 मिनट के मध्य तथा दोपहर 11 बजकर 52 मिनट से लेकर 12 बजकर 15 मिनट के मध्य रहेगा।

    इस समयावधि में शुभ लाभ, अमृत की चौघड़िया तथा अभिजीत मुहूर्त विद्यमान रहेंगे। उन्होंने बताया कि नवरात्र में नियम एवं संयम करते हुए व्रत रखकर मां दुर्गा के नौ स्वरूप की आराधना की जाती है।

    नौ दिन तक मां शक्ति की आराधना करने से सभी मनोकामनाओं की पूर्ति होती है। इसलिए इस दौरान नवरात्र प्रारंभ से लेकर नवमीं पर्यंत कलश स्थापना करके दुर्गा सप्तशती का पाठ और नवार्ण मंत्र का जाप करना चाहिए।

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