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    संन्यासी होना जीवन की सबसे बड़ी उपलब्धि है: बाबा रामदेव

    By Sunil NegiEdited By:
    Updated: Mon, 26 Mar 2018 10:55 AM (IST)

    योग गुरु बाबा रामदेव ने कहा कि संन्यासी होना जीवन की सबसे बड़ी उपलब्धि है। यह दूसरा दिव्य जन्म है। अविवेकपूर्ण बंधनों और आसक्ति से मुक्ति है।

    संन्यासी होना जीवन की सबसे बड़ी उपलब्धि है: बाबा रामदेव

    हरिद्वार, [जेएनएन]: हरिद्वार: योग गुरु बाबा रामदेव ने कहा कि संन्यासी होना दुनिया का सबसे बड़ा उत्तरदायित्व और मानव जीवन की सबसे बड़ी उपलब्धि है। ब्रह्मचर्य से सीधे संन्यास का वरण कर लेना जीवन की पूर्णता की यात्रा है। योग गु़रु रविवार को संन्यास दीक्षा कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे। पतंजलि योगपीठ के ऋषि ग्राम और गंगातट पर वीआइपी घाट पर आयोजित इस कार्यक्रम में 92 सेवाव्रतियों को विधि-विधान से संन्यास की दीक्षा दी गई। इनमें 51 ब्रह्मचारी और 41 ब्रह्मचारिणी शामिल हैं।

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    पतंजलि योगपीठ की तरफ से पहली बार इस तरह का आयोजन किया गया, जो दो चरणों में पूरा कराया गया। सुबह छह से आठ बजे तक पतंजलि के ऋषिग्राम में यज्ञ अनुष्ठान और मुंडन संस्कार हुए। इसके बाद वीआइपी घाट पर संन्यास के अन्य विधान संपन्न कराए गए। गंगा स्वच्छता अभियान को देखते हुए वीआइपी घाट पर सांकेतिक तौर पर ही मुंडन की रस्म पूरी कर दीक्षित संन्यासियों को भगवा धारण कराया गया।

    इस मौके पर योग गुरु ने कहा कि हमारे पूर्वज ऋषि-ऋषिकाओं की पवित्र सनातन, गरिमामयी और वरणीय संन्यास परंपरा आध्यात्मिक व्यक्ति, आध्यात्मिक परिवार, आध्यात्मिक समाज और आध्यात्मिक भारत बनाना का आधार हैं। शास्त्रों में उल्लेख है कि जिस खानदान में एक भी व्यक्ति संन्यासी हो जाता है तो पूरा कुल पवित्र हो जाता है। यही नहीं, जननी कृतार्थ हो जाती है और उसके संन्यास के प्रताप से पूरी धरती पुण्यों से भर जाती है। 

    उन्होंने कहा कि पतंजलि योगपीठ ने  पिछले 25 वर्षों से मां भारती की सेवा में अनेक प्रयास किए गए। वैदिक ऋषि ज्ञान परंपरा के प्रकल्प के रूप में वैदिक गुरुकुलम और वैदिक कन्या गुरुकुलम की स्थापना इन्हीं में एक है। इनमें दिव्य आत्माएं ऋषि ज्ञान परंपरा को आत्मसात कर रही हैं। उनका लक्ष्य समष्टि को दिव्यता से भर देना और बदले में अपने लिए कुछ ना चाहना अर्थात ब्रह्मचर्य आश्रम से सीधे संन्यास आश्रम का वरण करना है। बाबा रामदेव ने 2050 तक भारत को विश्व की आध्यात्मिक और आर्थिक महाशक्ति के रूप में प्रतिष्ठापित करने का आह्वान किया। 

    आचार्य बालकृष्ण ने कहा कि संन्यास संस्कृति के जागरण का प्रारंभ है। सही मायने में संन्यासी का अर्थ सृजन है। साध्वी ऋतंभरा ने दीक्षा लेने वालों को आशीष दिया और संन्यास को उनके जीवन का सबसे बड़ा संकल्प बताया। भारत माता मंदिर के संस्थापक स्वामी सत्यमित्रानंद गिरी ने कहा कि यह गौरव का विषय है कि बाबा रामदेव के संकल्प मूर्तरूप ले रहे हैं। 

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