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    Haridwar: 13 अखाड़ों के आचार्य व संतगण बोले, भव्य और दिव्य कुंभ को संत समाज की ओर से दिया जाएगा पूर्ण सहयोग

    Updated: Fri, 28 Nov 2025 08:47 PM (IST)

    हरिद्वार में 13 अखाड़ों के आचार्यों और संतगणों ने मुख्यमंत्री धामी के संस्कृति संरक्षण प्रयासों की सराहना की। उन्होंने भव्य कुंभ आयोजन में सरकार को पूर्ण सहयोग देने का आश्वासन दिया। वैष्णव अखाड़ों ने अतिक्रमण का मुद्दा उठाया और भूमि पट्टे की मांग की। अखाड़ा परिषद ने कुंभ को लेकर आपसी मतभेद समाप्त होने की बात कही और अर्धकुंभ को कुंभ घोषित करने का समर्थन किया। संतों ने कुंभ की तैयारियों में तेजी लाने का आग्रह किया।

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    अर्द्धकुंभ स्नान की तिथि घोषित होने के बाद जयकारे लगाते संतगण, मुख्यमंत्री और जनप्रतिनिधिगण। जागरण

    जागरण संवाददाता, हरिद्वार: सभी 13 अखाड़ों के आचार्य और संतगणों ने संस्कृति के संरक्षण के लिए मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की ओर से उठाए गए कदमों की सराहना की। उन्होंने कहा कि भव्य और दिव्य कुंभ के आयोजन को संत समाज की ओर से राज्य सरकार को पूर्ण सहयोग दिया जाएगा। वैष्णव अखाड़ों ने अपने क्षेत्र में हो रहे अतिक्रमण का मुद्दा उठाया। भूमि पट्टे जारी करने की मांग की। जिससे गोशाला और धार्मिक गतिविधियों के लिए स्थान उपलब्ध हो सके।

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    बैठक में अग्नि अखाड़े ने कहा कि हरिद्वार में अतिक्रमण और मेला प्रशासन की व्यवस्था देखकर संत समुदाय को दुख होता है। निर्मोही अखाड़ा के राजेंद्र दास ने पिछली कुंभ व्यवस्थाओं की खामियों का उल्लेख किया। उन्होंने शहर की सफाई व्यवस्था पर भी चिंता जताई।

    निर्मल पंचायती अखाड़ा के जसविंदर शास्त्री ने कहा कि ऐतिहासिक मंदिरों पर ध्यान दिया जाए और संन्यासी, वैरागी, उदासीन और निर्मल चार संप्रदायों को स्थान दिया जाए।

    नया उदासीन अखाड़ा के करतार मुनि ने कहा कि सरकार, प्रशासन और अखाड़े मिलकर परंपराओं का सम्मान करते कुंभ प्रबंधन पर विचार करें। दिगंबर, बड़ा उदासीन और अटल अखाड़ों ने अर्द्धकुंभ को कुंभ घोषित करने की पहल का स्वागत किया।

    उन्होंने कहा कि सिर्फ अखाड़ों की भूमि ही नहीं बल्कि राजनीतिक लाभ के लिए बनी अवैध कालोनियों का भी समाधान होना चाहिए। निरंजनी अखाड़ा की ओर से कुंभ यात्रियों के लिए अलग ट्रेन ‘कुंभ कंपार्टमेंट’ चलाने का सुझाव दिया गया।

    घाटों का सुंदरीकरण, बैरागी अखाड़ों को भूमि लीज पर देने और मेला बजट में बदरीनाथ और केदारनाथ के विकास को भी शामिल करने की आवश्यकता पर जोर दिया गया।

    मुख्यमंत्री की उपस्थिति में समाप्त हुआ आपसी मतभेद: श्रीमहंत रविंद्र पुरी

    हरिद्वार: अखाड़ा परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष और मां मनसा देवी मंदिर ट्रस्ट के अध्यक्ष श्रीमहंत रविंद्रपुरी महाराज ने कहा कि सभी अखाड़े सरकार के साथ हैं। कुंभ को लेकर संतों में किसी तरह का मतभेद नहीं है। कहा कि शुक्रवार को मुख्यमंत्री के साथ बैठक में अखाड़ों के आपसी मतभेद समाप्त हो गए हैं। अब सभी अखाड़े कुंभ मेले की भव्य तैयारी करेंगे। तय तिथियों पर अमृत स्नान करेंगे।

    उन्होंने कहा कि कुंभ की तरह हरिद्वार में धर्मध्वजा स्थापित की जाएगी। अखाड़ों की छावनियां लगेंगी और पेशवाइयां भी निकाली जाएंगी। उन्होंने बताया कि मुख्यमंत्री की उपस्थिति में सभी साधु संतों ने बैठक के दौरान अपने सुझाव दिए हैं जिन्हें कुंभ की तैयारियों में शामिल करने का आश्वासन मिला है।

    अब अर्धकुंभ को पूर्ण कुंभ ही नहीं बल्कि महाकुंभ की तरह ही आयोजित किया जाएगा। धामी सरकार ने वैसे तो कुंभ मेले के कार्य शुरू कर दिए हैं, कुंभ औपचारिक घोषणा के बाद कुंभ के कार्यों में तेजी आएगी।

    उन्होंने बताया कि सभी साधु संत उज्जैन और नासिक कुंभ की तैयारियों के साथ ही 2027 हरिद्वार कुंभ की भी भव्य तैयारी करेंगे। मेले के दौरान सभी अखाड़े अपनी सभी परंपराओं का निर्वहन भी करेंगे।

    अर्धकुंभ को कुंभ घोषित किया जाए: श्रीमहंत हरिगिरि

    हरिद्वार: जूना अखाड़ा के अंतरराष्ट्रीय संरक्षक और अखाड़ा परिषद के राष्ट्रीय महामंत्री श्रीमहंत हरि गिरि महाराज ने कहा कि प्रयागराज कुंभ की तरह उत्तराखंड में कुंभ मेला भव्यता से आयोजित होना चाहिए। उन्होंने अर्द्धकुंभ को कुंभ घोषित करने की मांग की।

    कहा कि इससे देवभूमि की धार्मिक पहचान और गौरव वैश्विक स्तर पर मजबूत होगा। स्वास्थ्य सुविधाओं पर उन्होंने कहा कि यदि आदि कैलाश और केदारनाथ जैसे ऊंचाई वाले क्षेत्रों में आपात स्थिति उत्पन्न होती है तो उसके लिए एम्स जैसी चिकित्सा व्यवस्था आवश्यक होगी। उन्होंने घोषणा की कि केदारनाथ में एम्स निर्माण के लिए वह 10-15 करोड़ देने को तैयार हैं।

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