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    Year Ender 2025: उत्तराखंड में आमदनी बढ़ाने और विकास कार्यों में खर्च की बढ़ी ललक

    By RAVINDRA KUMAR BARTHWALEdited By: Sunil Negi
    Updated: Wed, 31 Dec 2025 12:59 AM (IST)

    उत्तराखंड ने 25 वर्षों में अपनी आर्थिक सेहत सुधारी है, राजस्व अधिशेष राज्य बना है। वित्तीय अनुशासन और विकास कार्यों पर पूंजीगत व्यय में वृद्धि हुई है। ...और पढ़ें

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    फरवरी में विधानसभा में धामी सरकार का वर्ष 2025-26 का बजट पेश करते तत्कालीन मंत्री अग्रवाल। हालांकि, सदन में दिए गए एक विवादित बयान के बाद मार्च मे प्रेमचंद अग्रवाल ने मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया।

    रविंद्र बड़थ्वाल, जागरण देहरादून: उत्तराखंड पिछले कई वर्षों से राजस्व सरप्लस तो है ही, आमदनी बढ़ाने और केंद्र सरकार की ओर से विभिन्न सुधारों को लागू करने में राज्य ने हौसला दिखाया है। राज्य स्थापना के 25 वर्षों में आर्थिक सेहत सुधारी तो वित्तीय अनुशासन को लेकर डाेलते कदमों को संभाला भी गया है।

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    विकास कार्यों के लिए पूंजीगत बजट खर्च में हीलाहवाली में कमी आई है तो सामाजिक सुरक्षा और कल्याण योजनाओं पर अधिक बजट खर्च करने की हिम्मत भी बढ़ गई है। आय बढ़ाने के लिए गंभीरता से किए जा रहे प्रयासों राज्य का वार्षिक कर व करेत्तर राजस्व 28 हजार करोड़ तक पहुंच रहा है।

    राजस्व स्रोतों को बढ़ाने और पूंजीगत बजट खर्च को लेकर इन प्रयासों ने और जोर पकड़ा तो आने वाले वर्षों में उत्तराखंड मजबूत और विकसित प्रदेशों की कतार में दिखाई पड़ सकता है। पूंजीगत बजट के सदुपयोग और आय के संसाधनों में वृद्धि को लेकर राज्य के प्रयासों को राष्ट्रीय स्तर पर सराहा गया है।

    कैग की रिपोर्ट में भी यह सामने आया है कि उत्तराखंड ने अपने राजस्व संसाधनों और खर्च में संतुलन बैठाते हुए राजस्व सरप्लस राज्यों में अग्रिम पांत में जगह बनाई है। इसी प्रकार राष्ट्रीय स्तर पर एक अध्ययन में राज्य की ओर से अपने कर राजस्व बढ़ाने के लिए किए गए उपायों को सराहा गया है। वर्ष 2023-24 में प्रदेश सरकार ने पहली बार वित्तीय वर्ष की पहली छमाही में पूंजीगत बजट के लक्ष्य से अधिक खर्च का रिकार्ड बनाया। इस कदम का यह लाभ हुआ कि आने वाले वर्षों के लिए यह ट्रेंड तय हो गया।

    खनन और भूमि सुधारों पर मिला केंद्र से प्रोत्साहन

    यद्यपि, चुनाव आचार संहिता समेत विभिन्न कारणों से फिर यह लक्ष्य दोबारा प्राप्त तो नहीं हुआ, लेकिन पूंजीगत बजट अब तुलनात्मक रूप से अधिक खर्च हो रहा है। इस कारण वित्तीय वर्ष 2025-26 में विशेष पूंजीगत सहायता योजना के अंतर्गत प्रोत्साहन राशि के लिए राज्य मजबूत दावेदार के तौर पर उभरा है।

    साथ में खनन क्षेत्र में सुधारात्मक उपायों ने कर राजस्व में छलांग लगाई, साथ में केंद्र सरकार ने इसके लिए प्रोत्साहन स्वरूप राज्य को 200 करोड़ की राशि प्रदान की है। इसी प्रकार ग्रामीण एवं शहरी क्षेत्रों में भूमि सुधारों को लागू करने के लिए राज्य को प्रोत्साहन के रूप में 85 करोड़ की राशि केंद्र से मिली है।

    राजकोषीय प्रबंधन में सधे कदम

    राजकोषीय प्रबंधन में सधे अंदाज में कदम बढ़ाने का परिणाम यह रहा कि राज्य ने अपने ऋण को सकल राज्य घरेलू उत्पाद का 25 प्रतिशत से कम रखा है। साथ में कर्ज चुकाने में राज्य ने निरंतरता बनाए रखी है। 25 वर्ष पूरे होने के साथ ही राज्य की अर्थव्यवस्था का आकार भी 25 गुना बढ़ने जा रहा है।

    •  राज्य गठन के समय वर्ष 2000 में अर्थव्यवस्था का आकार 14,501 करोड़ रुपये था, जो वर्ष 2023-24 में बढ़कर 3,32,990 करोड़ रुपये हो गया। -वित्तीय वर्ष 2024-25 में यह बढ़कर 3.78 करोड़ अनुमानित है।
    •  प्रति व्यक्त आय में भी 18 गुना से अधिक वृद्धि हुई है। वर्ष 2000 में प्रति व्यक्ति आय 15,285 रुपये थी। वित्तीय वर्ष 2024-25 में यह प्रति व्यक्ति 2,74,064 रुपये अनुमानित है।

    राज्य का बजट आकार 22 गुना बढ़ा

    राज्य में बजट आकार में 22 गुना से अधिक वृद्धि हुई। राज्य गठन के समय वर्ष 2000 में उत्तराखंड का बजट लगभग 4500 करोड़ रुपये था। जबकि वर्ष 2025-26 में 1,01,175.33 करोड़ रुपये पहुंच गया है। इसी प्रकार राज्य के कर संग्रह में लगातार वृद्धि हो रही है। नौ नवंबर, 2000 को अलग उत्तराखंड राज्य बनने पर वर्ष 2000-2001 में कर संग्रह 233 करोड़ रुपये था। बजट अनुमान के अनुसार चालू वित्तीय वर्ष में यह लगभग 28 हजार करोड़ रुपये तक हो जाएगा।

    वर्ष राज्य सकल घरेलू उत्पाद (करोड़ रुपये)
    2000-01 14,501
    2001-02 15,825
    2002-03 18,473
    2003-04 20,438
    2004-05 24,786
    2005-06 29,968
    2006-07 36,795
    2007-08 45,856
    2008-09 56,025
    2009-10 70,730
    2010-11 83,969
    2011-12 1,15,328
    2012-13 1,31,612
    2013-14 1,49,074
    2014-15 1,61,439
    2015-16 1,77,163
    2016-17 1,95,125
    2017-18 2,22,836
    2018-19  2,45,895
    2019-20  2,53,666
    2020-21 2,34,660
    2021-22 2,65488
    2022-23 3,03,000
    2023-24  3,32,990
    2024-25 3,78,240 (अनुमानित)

    ये हैं चुनौतियां:

    • बजट आकार की तुलना में खर्च में कमी
    • बजट के मासिक उपयोग में निरंतरता
    • बजट खर्च की विभागों की क्षमता में वृद्धि
    • प्राइमरी सेक्टर के अंतर्गत कृषि व सहायक क्षेत्र की अर्थव्यवस्था में हो अधिक योगदान
    • पर्वतीय व मैदानी क्षेत्रों में आर्थिक व सामाजिक विषमता को दूर करना

    उम्मीदें

    • राज्य की अर्थव्यवस्था का आकार बढ़ेगा
    • विकास कार्यों की राशि का अधिकतम उपयोग
    • कल्याण योजनाओं की राशि का सदुपयोग
    • ग्रामीण व दुर्गम क्षेत्रों में विकास में असंतुलन थमेगा
    • सार्वजनिक परिसंपत्तियों का अधिक सृजन

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