World AIDS Day 2024: देहरादून में सर्वाधिक हैं एचआईवी संक्रमित, नैनीताल का आंकड़ा भी चिंताजनक
World AIDS Day 2024 विश्व एड्स दिवस 2024 से पहले उत्तराखंड में एचआईवी संक्रमितों की बढ़ती संख्या चिंता का विषय है। देहरादून में पिछले चार सालों में 1656 नए मामले सामने आए हैं जबकि नैनीताल में यह आंकड़ा 968 है। राज्य के चार मैदानी जिले - देहरादून नैनीताल हरिद्वार और उधमसिंह नगर - सबसे अधिक प्रभावित हैं। जानिए एचआईवी संक्रमण को रोकने के लिए सरकार क्या कदम उठा रही है।
जागरण संवाददाता, देहरादून । World AIDS Day 2024: राजधानी दून में एचआइवी रोगियों की संख्या चिंता का सबब बनी है। गढ़वाल में हरिद्वार और कुमाऊं में नैनीताल व ऊधमसिंह नगर की भी स्थिति चिंताजनक है। राहत की बात यह है कि बीते चार वर्षों में एचआइवी संक्रमण दर स्थिर है। वर्तमान में उत्तराखंड में एस्टीमेट एडल्ट एचआइवी प्रिवेलेंस (15-49 साल) संक्रमण दर 0.13 प्रतिशत है।
देहरादून में पिछले चार सालों में 1,656 एचआइवी संक्रमित मिले हैं। इस अवधि में पूरे राज्य में 4,556 मरीज मिले। इस हिसाब से 36 प्रतिशत मामले अकेले देहरादून जनपद में आए हैं। राज्य में दूसरे नंबर पर नैनीताल जिला है। जहां चार साल में 9,68 एचआइवी संक्रमित मिले है।
हरिद्वार (917) और ऊधमसिंहनगर (545) में भी एचआइवी संक्रमितों की संख्या ज्यादा दर्ज की गई है। इस लिहाज से प्रदेश के चार मैदानी जिले सर्वाधिक संवेदनशील हैं। बीते चार साल में 90 प्रतिशत एचआइवी संक्रमित इन चार मैदानी जिलों में मिले हैं।
टेस्टिंग बढ़ना भी मामले बढ़ने की वजह
पिछले कुछ सालों में एचआइवी की टेस्टिंग पहले से ज्यादा बढ़ी है। यही कारण है कि अधिक मरीजों की पहचान भी हुई है। वर्तमान में राज्य में 43 स्टैंड अलोन जांच केंद्र (आइसीटीसी) और एक मोबाइल आइसीटीसी स्थापित है। जिनमें एचआइवी/ एड्स से बचाव को निश्शुल्क जानकारी के साथ-साथ जांच की सुविधा भी प्रदान की जाती है।
नशे के इंजेक्शन भी हैं वजह
विभाग के अनुसार, प्रदेश में एचआइवी के बढ़ रहे मरीजों का एक कारण नशे के लिए किए जाने वाले इंजेक्शनों का इस्तेमाल भी है।
उत्तराखंड में 12 एआरटी सेंटर
एचआइवी संक्रमितों के उपचार, देखभाल और सहायता के लिए राज्य में कुल बारह एआरटी सेंटर हैं। मौजूदा समय में कुल 7,574 एचआइवी संक्रमित मरीजों को एंटी रेट्रो वायरल दवाएं निश्शुल्क दी जा रही है।
इन दवाओं के इस्तेमाल से मरीज ठीक तो नहीं होता है, लेकिन मरीज की उम्र जरूर बढ़ जाती है। क्योंकि अभी तक एड्स बीमारी को ठीक करने के लिए कोई दवाई नहीं बनी है। हालांकि, समय-समय पर स्वास्थ्य विभाग की ओर से लोगों को इस बीमारी के प्रति जागरूक किए जाने को लेकर जागरूकता अभियान भी चलाया जाता है।
यह उठाए जा रहे कदम
- लक्ष्यगत हस्तक्षेप परियोजना : 37 गैर सरकारी संस्थाओं के माध्यम से उच्च जोखिम समूहों जैसे महिला यौनकर्मी, इन्जेक्टिंग ड्रग यूजर्स, समलेंगी और तथा ट्रक ड्राईवर एवं माइग्रेंट्स के मध्य कार्यक्रम।
- ओएसटी सेंटर : सुई से नशा करने वालों में एचआइवी संक्रमण के जोखिम को कम करने एवं रोकथाम के लिए 8 ओएसटी केंद्रों के माध्यम से इंजेक्टिंग ड्रग यूजर्स (आइडीयू) को दवा एवं परामर्श।
- सुरक्षा क्लीनिक : एसटीआइ / आरटीआइ सेवा के तहत यौन जनित संक्रमण / प्रजनन तंत्र संक्रमण की रोकथाम एवं उपचार के लिए 29 क्लीनिक की स्थापना जहां लक्षणों के आधार पर उपचार प्रदान किया जाता है।
आइसीटीसी में पाए गए एचआवी पाजिटिव व्यक्तियों की संख्या
- वित्तीय वर्ष/ एचआईवी टेस्टिंग/ एचआईवी पाजिटिव/ पाजिटिव दर (अप्रैल से अक्टूबर)
- 2021–22/3,53, 524/877 /0.25
- 2022–23/5,38, 958/1,250 /0.23
- 2023–24/6,33, 930/1465 /0.23
- 2024–25/3,07, 749/764 /0.24
जनपदवार एचआईवी संक्रमित की संख्या
- 2021-22/2023-23/2023-24/2024-25 (अप्रैल से अक्टूबर)
- अल्मोड़ा–16–8–16–6
- बागेश्वर–9–3–1–3
- चमोली–5–3–7–5
- चंपावत–10–6–28–22
- देहरादून–347–454–543–312
- पौड़ी गढ़वाल–27–30–33–29
- हरिद्वार–181–251–261–224
- नैनीताल–123–312–345–188
- पिथौरागढ़–26–16–26–13
- रुद्रप्रयाग–11–16–7–9
- टिहरी गढ़वाल–11–18–16–7
- उधमसिंहनगर–106–125–175–139
- उत्तरकाशी–5–8–7–7
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