किसानों का मेंटर बनेगा ''WINDS'', इस राज्य में शुरू हुआ सरकार का ये प्रोजेक्ट?
उत्तराखंड में किसानों के लिए ''विंड्स'' परियोजना पथ प्रदर्शक बनेगी। इसके तहत 95 ब्लॉक में एडब्ल्यूएस (AWS) और 7184 ग्राम पंचायतों में एआरजी (ARG) स्था ...और पढ़ें

विंड्स के क्रियान्वयन को व्यय वित्त समिति की हरी झंडी। आर्काइव
केदार दत्त, देहरादून। उत्तराखंड में अब विंड्स (वेदर इन्फार्मेशन नेटवर्क सिस्टम) खेती-किसानी की राह सुगम बनाएगा। केंद्र के सहयोग से चलने वाली इस योजना के क्रियान्वयन को व्यय वित्त समिति ने हरी झंडी दे दी है। इसके तहत सभी 95 ब्लाक मुख्यालयों में आटोमैटिक वेदर स्टेशन (एडब्लूएस), 7184 ग्राम पंचायतों में आटामैटिक रेनगेज (एआरजी) और 671 न्याय पंचायतों में 799 तापमान व आद्र्रतामापी उपकरण भी लगेंगे। इसके लिए कार्यदायी संस्था चयनित कर ली गई है। विंडस से प्राप्त मौसम पूर्वानुमान व आंकड़ों के आधार पर जहां किसान फसलों को लेकर अच्छी वित्तीय योजना और जोखिम प्रबंधन कर सकेंगे, वहीं आपदा से फसल क्षति का ग्राम स्तर पर वास्तविक आकलन हो सकेगा।
विषम भौगोलिक परिस्थितियों वाले उत्तराखंड में कृषि व्यवस्था मैदानी, पर्वतीय व घाटी वाले क्षेत्रों में विभक्त है। सिंचाई के साधन भी उस हिसाब से विकसित नहीं हो पाए हैं, जिसकी दरकार है। स्थिति यह है कि 95 ब्लाक में से 71 में खेती वर्षा पर ही निर्भर हैं। पिछले कुछ वर्षों से वर्षा का मिजाज भी बदला है, जिसने चुनौती और बढ़ा दी है। कहीं मूसलधार तो कहीं बहुत कम और कहीं नाममात्र की वर्षा हो रही है। अतिवृष्टि और भूस्खलन से हर साल ही फसलों को क्षति पहुंच रही है, लेकिन ब्लाक व न्याय पंचायत का मानक होने से सभी को प्रभावित किसानों को मुआवजा नहीं मिल पाता।
इस सबको देखते हुए केंद्र सरकार की विंड्स योजना ने उत्तराखंड को संबल प्रदान किया। लंबी कसरत के बाद अब इसे राज्य में लागू किया जा रहा है। हाल में मुख्य सचिव आनंद बर्द्धन की अध्यक्षता में हुई व्यय वित्त समिति की बैठक में इसके क्रियान्वयन को स्वीकृति दी गई। यद्यपि, राज्य की तहसील व ब्लाक मुख्यालयों में 118 एडब्लूएस हैं, लेकिन अब इन्हें बदलने के साथ ही पूरा राज्य एडब्लूएस व एआरजी से आच्छादित हो जाएगा।
केंद्र देगा 90 प्रतिशत धनराशि
औद्यानिकी परिषद के सीईओ एवं राज्य में विंडस योजना के नोडल डा नरेंद्र यादव के अनुसार योजना में 90 प्रतिशत राशि केंद्र सरकार देगी, जबकि 10 प्रतिशत राज्य वहन करेगा। विंड्स से प्राप्त आंकड़ों का विश्लेषण कर मौसम का पूर्वानुमान आदि किसानों तक पहुंचेगा। इससे किसानों को क्षेत्र विशेष में आर्द्रता, पाला, बर्फबारी व वर्षा की जानकारी मिलेगी। इसके आधार पर वे यह भी तय कर सकेंगे कि कौन से क्षेत्र में कौन सी फसल बोना उपयुक्त रहेगा। यही नहीं, आपदा से फसल क्षति के मामलों में ग्राम स्तर पर आकलन होने पर उन्हें क्षतिपूर्ति भी हो सकेगी।
यहां होगी विंडस की पहुंच
- क्लस्टर - जिले - एडब्लूएस - एआरजी
- प्रथम - अल्मोड़ा, बागेश्वर व पिथौरागढ़ - 22, - 2085
- द्वितीय - चंपावत, नैनीताल व ऊधम सिंह नगर - 19 - 1065
- तृतीय - देहरादून, हरिद्वार व टिहरी - 21 - 1599
- चतुर्थ - चमोली, पौड़ी, रुदप्रयाग व उत्तरकाशी - 33 - 2435
72 घंटे का है बैटरी बैकअप
विंड्स के तहत लगने वाले सभी उकपरण सौर ऊर्जा से संचालित होंगे। इनके सोलर पैनल का बैटरी बैकअप 72 दिन का होगा, जिससे ये निरंतरता में चल सकेंगे। सेटेलाइट आधारित इन उपकरणों से आंकड़े सीधे लैब को मिलेंगे और फिर विश्लेषण के बाद किसानों को उपलब्ध कराए जाएंगे।

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