उत्तराखंड के जंगल में आग बुझाने को दुबई में सीखेंगे कृत्रिम बारिश कराना
सब-कुछ योजना के मुताबिक हुआ तो भविष्य में उत्तराखंड के जंगल धू-धू कर नहीं जलेंगे। वन महकमा जंगलों में आग को बुझाने के लिए क्रत्रिम बारिश कराने की विधि दुबई में सीखेेेेगा।
देहरादून, केदार दत्त। सब-कुछ योजना के मुताबिक हुआ तो निकट भविष्य में उत्तराखंड में फायर सीजन के दौरान जंगल धू-धू कर नहीं जलेंगे। जंगल की आग पर नियंत्रण के लिए वन विभाग की ओर से भेजे गए क्लाउड सीडिंग (कृत्रिम बारिश) तकनीक के प्रस्ताव पर प्रदेश सरकार गंभीरता से विचार कर रही है। मुख्यमंत्री से अनुमोदन मिलने के बाद इस सिलसिले में अध्ययन के लिए एक टीम को दुबई भेजने की तैयारी है।
71.05 फीसद वन भूभाग वाले उत्तराखंड में प्रतिवर्ष 15 फरवरी से मानसून के आगमन तक की अवधि (फायर सीजन) में जंगलों के धधकने से बड़े पैमाने पर वन संपदा तबाह होती आ रही है। आग के विकराल रूप धारण करने पर इसे काबू करने के लिए वन महकमे को आसमान की ओर मुंह ताकना पड़ता है। हर साल की इस समस्या को देखते हुए महकमे का ध्यान क्लाउड सीडिंग तकनीक (कृत्रिम बारिश) की तरफ गया।
असल में दुनिया के कई देशों में आग पर नियंत्रण के लिए क्लाउड सीडिंग तकनीक का इस्तेमाल होता है। उत्तराखंड में इसे अपनाने से जंगलों की आग बुझाने में तो मदद मिलेगी ही, सिंचाई में भी यह कारगर होगी। इस सबके मद्देनजर वन महकमे के मुखिया प्रमुख मुख्य वन संरक्षक जय राज ने गत वर्ष प्रस्ताव शासन को भेजा।
प्रस्ताव में कहा गया कि क्लाउड सीडिंग तकनीक में केमिकल का उपयोग नहीं होता। यह पर्यावरणीय लिहाज से भी सुरक्षित है। इस तकनीक को लेकर दुबई की एक कंपनी से शुरुआती दौर की बात भी हो चुकी है।अब जबकि फायर सीजन सिर पर है तो इसे लेकर सरकार गंभीर हुई है।
क्लाउड सीडिंग के लिए वित्तीय संसाधन, पर्यावरणीय पहलू समेत अन्य बिंदुओं पर मंथन चल रहा है। अध्ययन को जल्द ही एक टीम को दुबई भेजा जाएगा। सभी पहलुओं पर विमर्श के बाद इस तकनीक को यहां अमल में लाया जाएगा।
सीएम से अनुमोदन के बाद दुबई जाएगी टीम
उत्तराखंड के प्रमुख सचिव (वन) आनंद वर्द्धन के मुताबिक, क्लाउड सीडिंग के सिलसिले में वन विभाग के एचओडी का प्रस्ताव आया है, जिसका परीक्षण चल रहा है। मुख्यमंत्री से अनुमोदन मिलने के बाद इस संबंध में अध्ययन के लिए जल्द ही टीम को दुबई भेजा जाएगा।
यह भी पढ़ें: जंगलों में फायर सीजन की उल्टी गिनती शुरू, तैयारियों में जुटा मकहमा; चुनौती बरकरार
क्या है क्लाउड सीडिंग
क्लाउड सीडिंग वह प्रक्रिया है, जिसमें कृत्रिम तरीके से बादलों को बारिश के अनुकूल तैयार किया जाता है। इसके लिए आसमान में बादल होना जरूरी है। फिर तकनीक के जरिये इन पर सिल्वर आयोडाइड या ठोस कार्बन डाईआक्साइड छोड़ी जाती है। इससे बादल नमी सोखते हैं और फिर बारिश होती है।
यह भी पढ़ें: उत्तराखंडः इद्रदेव की मेहरबानी से फायर सीजन में कुछ राहत की उम्मीद