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    राजाजी टाइगर रिजर्व के मोतीचूर पर्यटक जोन में भी देखिए बाघ की चहलकदमी

    By Sunil NegiEdited By:
    Updated: Fri, 17 Dec 2021 08:56 PM (IST)

    कार्बेट टाइगर रिजर्व से पांच बाघ राजाजी टाइगर रिजर्व लाए जा रहे हैं। इसके पीछे मुख्‍य उद्देश्‍य राजाजी में बाघों का कुनबा बढ़ाना है। अब तक दो बाघों को ...और पढ़ें

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    वन्यजीव विविधता के लिए प्रसिद्ध उत्तराखंड में इसे पर्यटन से जोड़ने के प्रयास रंग लाते दिख रहे हैं।

    केदार दत्त, देहरादून। वन्यजीव विविधता के लिए प्रसिद्ध उत्तराखंड में इसे पर्यटन से जोड़ने के प्रयास रंग लाते दिख रहे हैं। राजाजी टाइगर रिजर्व इसका उदाहरण है। अभी तक इस रिजर्व के चीला पर्यटक जोन में ही बाघ दिखते थे, लेकिन अब मोतीचूर पर्यटक जोन में भी सैलानी बाघ की चहलकदमी देख सकते हैं। राजाजी में बाघों का कुनबा बढ़ाने के उद्देश्य से ही कार्बेट टाइगर रिजर्व से पांच बाघ यहां लाने की मुहिम शुरू की गई है। अब तक दो बाघ लाए गए हैं, जिन्हें मोतीचूर क्षेत्र में छोड़ा गया है। अब ये इस पर्यटन जोन में सैलानियों के आकर्षण का केंद्र भी बनने लगे हैं। हाल में ही यहां सैलानियों को बाघ के दर्शन हुए तो उनका रोमांचित होना स्वाभाविक था। आने वाले दिनों में इस क्षेत्र में तीन और बाघ लाए जाने हैं। इससे वहां इनका कुनबा तो बढ़ेगा ही, यह क्षेत्र वन्यजीव पर्यटन में नए आयाम भी स्थापित करेगा।

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    गजराज के व्यवहार में आ रहा बदलाव

    उत्तराखंड में हाथियों की संख्या में उत्तरोत्तर वृद्धि हो रही है, लेकिन गजराज का व्यवहार भी चिंता का विषय बना हुआ है। यमुना से लेकर शारदा नदी तक हाथियों का बसेरा है। इसी क्षेत्र से लगे आबादी वाले इलाकों में हाथियों ने नींद उड़ाई हुई है। राजाजी से लेकर कार्बेट टाइगर रिजर्व तक के आबादी वाले क्षेत्र में आए दिन हाथियों का उत्पात आमजन के लिए परेशानी का सबब बना हुआ है। पहले तो हाथियों के झुंड रात के वक्त ही खेतों में धमकते थे, लेकिन अब तो ये दिन के उजाले में भी गांवों के इर्द-गिर्द धमक रहे हैं। इसे हाथियों के व्यवहार में आए बदलाव के तौर पर देखा जा रहा है। यही नहीं, कुछेक स्थानों पर ये आक्रामक रुख अख्तियार कर रहे हैं। ये बात अलग है कि रेडियो कालर लगाकर हाथियों के व्यवहार का अध्ययन हो रहा है, लेकिन इसके सार्थक परिणामों का अभी इंतजार है।

    प्रवासी पक्षियों से गुलजार होने लगा उत्तराखंड

    विषम भौगोलिक परिस्थितियों वाले उत्तराखंड की पक्षी विविधता भी बेजोड़ है। देशभर में पाई जाने वाली पक्षियों की प्रजातियों की आधे से अधिक यहां चिह्नित की गई है। इसके साथ ही मेहमान पक्षियों को भी उत्तराखंड की धरती खूब रास आती है। वर्तमान में भी राज्य के तमाम क्षेत्र रंग विरंगे प्रवासी पक्षियों से गुलजार होने लगे हैं। फिर चाहे वह रामसर साइट में शामिल आसन कंजर्वेशन रिजर्व हो अथवा झिलमिल झील कंजर्वेशन रिजर्व या फिर कार्बेट, राजाजी टाइगर रिजर्व अथवा वन प्रभागों के क्षेत्र, सभी जगह मेहमान पक्षियों का मधुरव कलरव मन को आल्हादित कर रहा है। बड़ी संख्या में पक्षी प्रेमी इनका अवलोकन करने भी जा रहे हैं। इससे वहां पक्षी पर्यटन को नए पंख लगे हैं। आवश्यकता इस बात की है कि राज्य में पक्षी पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए पूरी गंभीरता के साथ कदम उठाए जाएं। इससे पर्यावरण तो सुरक्षित रहेगा ही, आर्थिकी भी संवरेगी।

    वन्यजीव पर्यटन के लिए प्रचार-प्रसार है आवश्यक

    उत्तराखंड में छह राष्ट्रीय उद्यान, सात अभयारण्य, चार कंजर्वेशन रिजर्व वन्यजीव संरक्षण में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं। विभिन्न वन प्रभागों में भी वन्यजीवों की अच्छी-खासी संख्या है। इस सबको देखते हुए राज्य में वन्यजीव पर्यटन को बढ़ावा देने की अक्सर बात होती रहती है। वैसे भी इस दृष्टिकोण से कार्बेट टाइगर रिजर्व वन्यजीव प्रेमियों की पहली पसंद है। इसी तरह अन्य क्षेत्रों में वन्यजीव पर्यटन पर ध्यान केंद्रित करने पर जोर दिया जाता रहा है और इस दिशा में प्रयास भी हुए हैं। बावजूद इसके वन्यजीव पर्यटन की पहल कार्बेट और राजाजी टाइगर रिजर्व को छोड़ अन्य स्थानों पर वैसे आकार नहीं ले पाई, जिसकी दरकार है। राजाजी और कार्बेट में नए गेट खोलने के साथ ही अब नंधौर वन्यजीव अभयारण्य को जंगल सफारी के लिए खोला गया है। वन्यजीव पर्यटन की यह पहल तेजी से परवान चढ़े, इसके लिए प्रचार-प्रसार पर अधिक ध्यान केंद्रित करने की आवश्यकता है।

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