नए स्वरूप में पर्यटकों को भा रहा लच्छीवाला नेचर पार्क, यहां मनोरंजन के साथ मिलेंगी ज्ञानवर्धक जानकारी
देहरादून के डोईवाला में स्थित लच्छीवाला नेचर पार्क अब अपने नए स्वरूप में आने के बाद पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित कर रहा है। इस पार्क में वन विभाग की ओर से प्राकृतिक धरोहर को संजोकर रखते हुए यहां आने वाले पर्यटकों के लिए तमाम तरह के विकल्प मौजूद हैं।

महेन्द्र चौहान, डोईवाला: देहरादून के डोईवाला में स्थित लच्छीवाला नेचर पार्क अब अपने नए स्वरूप में आने के बाद पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित कर रहा है। इस पार्क में वन विभाग की ओर से प्राकृतिक धरोहर को संजोकर रखते हुए यहां आने वाले पर्यटकों के लिए तमाम तरह के विकल्प मौजूद हैं। यहां बच्चों से लेकर बुजुर्ग तक के मनोरंजन एवं वन्यजीव व पर्यावरण की जानकारी के साथ ही पर्यटकों को आकर्षित करने के तमाम तरह के विकल्प मौजूद हैं।
इस पार्क में जहां पहले केवल पर्यटक गर्मियों में नहाने के इरादे से ही आते थे। वहीं अब इसके नए स्वरूप में आने के बाद से यह पर्यटक स्थल 12 महीने पर्यटकों के लिए मनोरंजन के साधन उपलब्ध करा रहा है। पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने अपने कार्यकाल में इस पार्क को सिर्फ नहाने के लिए उपयोग किया जाने वाला पिकनिक स्पाट से बदल कर इसे नेचर पार्क के रूप में विकसित कराया। जिसका सुखद परिणाम आज यह है कि पहले के मुकाबले काफी अधिक संख्या में पर्यटक यहां पर आ रहे हैं। जिससे वन विभाग को भी पूर्व से ज्यादा राजस्व की भी प्राप्ति हो रही है। इस पार्क में मनोरंजन के लिए घूमने के साथ ही उत्तराखंड की संस्कृति से लेकर अंग्रेजी शासन काल के समय की तमाम जानकारियां भी यहां पर उपलब्ध हैं।
धरोहर म्यूजियम में मिलेंगी महत्वपूर्ण जानकारियां
इस पार्क में स्थित म्यूजियम जिसको धरोहर नाम दिया गया है। इसके भीतर मनोरंजन के साथ ही कई महत्वपूर्ण जानकारियां विद्यमान है। इस धरोहर म्यूजियम में जाकर हम अपने प्रदेश की पारंपरिक वेशभूषा एवं आभूषण, पारंपरिक बीज एवं अनाज, पारंपरिक उपकरण एवं बर्तन, पारंपरिक चित्रकला, पारंपरिक नृत्य, पारंपरिक वाद्य यंत्र, मुखौटा नृत्य, एपण कला चित्र के साथ ही यहां पर स्क्रीन पर दिखाई जा रही उत्तराखंड की पुरातत्व तस्वीरें, पुरानी महत्वपूर्ण घटनाओं के समाचार, पुरानी ऐतिहासिक घटनाओं के चलचित्र व तमाम जीव जंतु पुष्प के चलचित्र के साथ ही उत्तराखंड के लोग एवं उनकी जीवनशैली, घुमावदार प्रक्षेपण जैव विविधता और परिदृश्य, उत्तराखंड के ऐतिहासिक मानचित्र के अलावा अवश्य संवर्धित वास्तविकता को स्क्रीन के माध्यम से देखा जा सकता हैं।
इसके साथ ही यहां स्थित वीआर रूम में जाने पर थ्रीडी प्रोजेक्टर से स्क्रीन पर चल रहे चलचित्र के साथ हम खुद को भी स्क्रीन पर चलचित्र से जुड़ा देख सकते हैं। जो कि बच्चों के साथ ही बड़ों के लिए भी विशेषकर मनोरंजन का केंद्र है।
पर्यटकों को आकर्षित करता म्यूजिकल फाउंटेन शो
यहां बोटिंग के अलावा म्यूजिकल फाउंटेन शो पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करता है। टोपेरी गार्डन में यहां पर प्रदेश के बाहर से लाए गए डिजाइनिंग पेड़ भी आकर्षण का केंद्र है। इसके अलावा यहां बच्चों के लिए विभिन्न प्रकार के झूलों के साथ ही रोज गार्डन के अलावा औषधीय पौधे व तुलसी वाटिका भी पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करती है। यहां कई प्रकार के सेल्फी प्वाइंट भी सेल्फी के शौकीन पर्यटकों की पसंद बने हुए हैं। तो वहीं हल्की सी हवाओं के बीच पेड़ों पर टांगी गई वाइंड चिम्स की मधुर संगीत की आवाज एक अलग ही सुहावना एहसास कराती हैं।
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सुविधाएं व मनोरंजन के तमाम साधन उपलब्ध
यहां विभिन्न प्रकार के फव्वारे भी यहां देखे जा सकते हैं। पेड़ों की पुरानी जड़ों को भी यहां तरास कर उन्हें अलग ही डिजाइन दिया गया है। जो कि अपनी और आकर्षित करते हैं। कुल मिलाकर इस नेचर पार्क में हर उम्र के पर्यटकों के लिए अपना समय व्यतीत करने की सभी सुविधाएं व मनोरंजन के तमाम साधन उपलब्ध हैं। जिसका पर्यटक लाभ उठा सकते हैं।
नए स्वरूप में आने के बाद पर्यटकों के साथ ही बढ़ा विभाग का राजस्व
कोविड के बाद अपने नए स्वरूप में आने के बाद लच्छीवाला पर्यटक स्थल 17 अगस्त से पुनः पर्यटकों के लिए खोला गया। आंकड़े 17 अगस्त से लिए गए हैं।
- अगस्त 2019 अगस्त 2021
पर्यटक-3683 4875
राजस्व -72850 258540
- सितंबर 2019 सितंबर 2021
पर्यटक-4677 14477
राजस्व-92450 899595
- अक्टूबर 2019 अक्टूबर 2021
पर्यटक-4993 15641
राजस्व-97510 1020765
- नवम्बर 2019 नवम्बर 2021
पर्यटक-4302 10967
राजस्व-81500 804560
यह जानकारियां भी है उपलब्ध
धरोहर म्यूजियम में विभिन्न प्रकार के बीजों का भी प्रदर्शन किया गया है जिसका मुख्य उद्देश्य उत्तराखंड राज्य की समृद्धि विरासत के प्रति आगंतुकों में जागरूकता बढ़ाना है। बीजों की किस्म के सुधार का भविष्य काफी हद तक इन दुर्लभ किस्म के संरक्षण पर निर्भर है। यहां पर मंडवा ,झंगोरा, कोणी, चिणा, रामदाना, ओगल की (11 किस्में) धान (35 किस्म) दलहन, मक्का (6 किस्म) राजमा (115 किस्म) नौरंगी (20 किस्म) गहत, कुलत(20 किस्म) लोबिया (5 किस्म) अन्य दाले तोर, रगड़बांस, मसूर (6 किस्म) तिलहन (1 किस्म) अंगजीर (2 किस्म) तिल (3 किस्म) राई ,पहाड़ी मूला, पीली सरसों, अलसी, कुशुम (12 किस्म) पहाड़ी सब्जियां (9 किस्म) मसाले, जो, बाजो, काठी गेहूं, की भी (3 किस्में) यहां प्रदर्शित की गई हैं।
उत्तराखंड वन पंचायत के मुख्य वन संरक्षरक पीके पात्रो का कहना है कि लच्छीवाला पर्यटक स्थल में पहले पर्यटक केवल नहाने के उद्देश्य से ही आते थे। परंतु अब इसके नए स्वरूप में आने के पश्चात परिवार के हर सदस्य के लिए यहां ज्ञानवर्धक जानकारियों के साथ ही मनोरंजन के संसाधन उपलब्ध है। इसके नए स्वरूप में आने के बाद लगातार पर्यटकों की संख्या मैं इजाफा होने के साथ ही विभाग की आय भी बढी है।नए स्वरूप में आने के बाद कम समय मे ही पचास हज़ार पर्यटक यहा आ चुके है जिससे विभाग को लगभग चालीस लाख की आय भी हुई है।
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