यहां सूखी पहाड़ी को हरा-भरा करने निकला ग्रामीणों का कारवां
ग्रामीणों ने टिहरी जिले स्थित देवीकोल की वनस्पतिविहीन पहाड़ी को हरा-भरा करने का बीड़ा उठाया है। साथ ही पर्यावरण संरक्षण का संकल्प लिया है।
मसूरी, [सूरत सिंह रावत]: टिहरी जिले की सिलवाड़ पट्टी के ग्रामीणों ने समुद्रतल से 6500 फीट की ऊंचाई पर स्थित देवीकोल की वनस्पतिविहीन पहाड़ी को हरा-भरा करने का बीड़ा उठाया है। बीते वर्ष देवीकोल पर्यटन समिति के बैनर तले ग्राम कांडी मल्ली के ग्रामीणों की ओर से शुरू की गई इस पहल में अब 13 गांव शामिल हो चुके हैं। जिनकी प्रेरणा बने कांडी मल्ली के पूर्व फौजी नागेंद्र सिंह रावत, जो समिति के कोषाध्यक्ष भी हैं। उन्होंने गांव के लोगों को अपने साथ जोड़कर घर-घर से चंदा जुटाया। साथ सामाजिक सरोकारों से जुड़े लोगों से भी आर्थिक मदद मांगी। नतीजा यह हुआ कि धन के साथ पौधों की सुरक्षा के लिए जाली का भी इंतजाम हो गया। अब ग्रामीणों ने देवीकोल की पहाड़ी पर पौधरोपण का कार्य शुरू कर दिया है।
पहाड़ों की रानी मसूरी से 55 किमी दूर स्थित देवीकोल की पहाड़ी के एक ओर कांडी मल्ली गांव तो दूसरी ओर खरक गांव है। खरक से पहाड़ी दो किमी ऊपर है, जहां लोग पीठ पर अथवा खच्चरों से सामान ढोते हैं। पहाड़ी की चोटी पर पानी की कोई व्यवस्था नहीं है। लिहाजा देवीकोल पर्यटन समिति से जुड़े ग्रामीणों ने पहाड़ी पर स्थित मंदिर की छत से बरसाती पानी एकत्र करने के लिए वहां दो बड़ी टंकियां लगाई हैं। इस पानी से ही पौधों को सींचा जाता है। समिति के अध्यक्ष जोध सिंह रावत बताते हैं कि ग्रामीणों ने आपस में सहयोग कर पौधे व उनकी सुरक्षा के लिए जाली खरीदी हैं। हर पौधे को जाली से ढका जा रहा है, ताकि जंगली जानवर उसे नुकसान न पहुंचा सकें।
कभी आबाद थी देवकोल की पहाड़ी
देवीकोल की पहाड़ी पर पूर्व में खरक, कांडी मल्ली, कांडी तल्ली, परोगी और सुरांसू गांव के ग्रामीणों की छानियां हुआ करती थीं। बरसात के दो महीने इन छानियों में ही उनके मवेशी डेरा डालते थे। लेकिन, धीरे-धीरे ग्रामीणों के पलायन के चलते छानियां खंडहर में तब्दील हो गई। इसकी एक प्रमुख वजह क्षेत्र में यातायात की सुविधा नहीं होना भी रहा। हालांकि, वर्तमान में कांडी मल्ली व सुरांसू गांव सड़क से जुड़ चुके हैं। बावजूद इसके अभी भी चार किमी की दूरी पैदल ही तय करनी पड़ती है।
पौधों के संरक्षण का भी संकल्प
पौधरोपण अभियान की शुरुआत बीते वर्ष जुलाई में हुई थी। इस बार बीते शुक्रवार से ग्रामीणों ने पौधरोपण का कार्य शुरू किया है, जो पूरी बरसात चलेगा। ग्रामीणों ने इस पौधों के संरक्षण का संकल्प भी लिया है।
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