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जान दांव पर लगा कुछ इस तरह पहाड़ी पर रस्सी बांध पुल बना रहे ग्रामीण

प्रशासन ने अनदेखी की तो ग्रामीणों ने खुद ही अपनी राह बना डाली। गांवों को जोड़ने वाला पुल बारिश में बह गया। जिसके बाद ग्रामीण पहाड़ी पर रस्सी के सहारे पुल बना रहे हैं।

By Raksha PanthariEdited By: Published: Mon, 23 Jul 2018 07:55 AM (IST)Updated: Wed, 25 Jul 2018 05:19 PM (IST)
जान दांव पर लगा कुछ इस तरह पहाड़ी पर रस्सी बांध पुल बना रहे ग्रामीण
जान दांव पर लगा कुछ इस तरह पहाड़ी पर रस्सी बांध पुल बना रहे ग्रामीण

गोपेश्वर, [देवेंद्र रावत]: चमोली जिले के देवाल विकासखंड के सुदूरवर्ती गांवों के लिए मानसून आफत बनकर आया है। यहां वाण व कुलिंग समेत अन्य गांवों को जोड़ने वाला पैदल पुल बरसाती गदेरे (नदी) में आए उफान की भेंट चढ़ गया। जिससे इन गांवों का संपर्क एक सप्ताह से पूरी तरह कटा हुआ है। बावजूद इसके प्रशासन प्रभावित गांवों की सुध नहीं ले रहा। ऐसे में ग्रामीणों ने खुद ही मोर्चा संभाला और चट्टान पर रस्सी बांधकर नदी के ऊपर कच्चे पुल के निर्माण में जुट गए हैं।

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देवाल के कुलिंग गांव के पास बरसाती गदेरे पर बना पैदल पुल एक सप्ताह पहले बह गया था। ऐसे में पहले तो ग्रामीण पहाड़ी से कच्चा रास्ता बनाकर जैसे-तैसे आवाजाही करते रहे। मगर, अब यह रास्ता भी बारिश में ध्वस्त हो गया है, जिससे क्षेत्र के कई गांव कैद होकर रह गए हैं। ग्रामीणों ने पुल बहने की शिकायत प्रशासन व आपदा प्रबंधन विभाग से भी की। मगर, नए पुल के निर्माण या वैकल्पिक पुल व रास्ते के लिए अब तक कोई कदम नहीं उठाए। सो, थक-हारकर ग्रामीण खुद ही कुलिंग गांव के पास गदेरे पर कच्चे पुल के निर्माण में जुट गए हैं। 

इसके लिए ग्रामीण पहाड़ी पर रस्सी बांधकर बल्लियां गदेरे तक पहुंचा रहे हैं और स्वयं भी कच्चे पुल के निर्माण को रस्सियों के सहारे नदी के ऊपर पहुंच रहे हैं। वाण गांव निवासी मान सिंह ने बताया कि पुल बहने कई गांवों का संपर्क अन्य क्षेत्रों से कट गया है। लिहाजा, उन्हें खुद ही कामचलाऊ पुल बनाने के लिए कमर कसनी पड़ी। ग्रामीण दिगपाल सिंह ने बताया कि पुल बहने के बाद पहाड़ी काटकर जो पगड़ंडी तैयार की गई थी, वह भी अब चलने लायक नहीं है। लेकिन, जीवन चलाने के लिए कुछ तो इंतजाम करना ही पड़ेगा।

प्रभारी जिलाधिकारी का कहना है कि मामला उनके संज्ञान में है। हालांकि यह अच्छी बात है कि ग्रामीण खुद ही अपने स्तर से पुल तैयार कर रहे हैं। ग्रामीणों के लिए खाद्यान्न सामग्री भेजी जा चुकी है। 

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