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गांव से सड़क का फासला डाल रहा रिश्तों में दरार

उत्तरकाशी के उलण बजियाड़ा गांव में 35 परिवार रहते हैं। इस गांव के 58 वर्षीय हुकम सिंह राणा का बेटा इसलिए उनसे मिलने नहीं आना चाहता, क्योंकि वह सात किमी की चढ़ाई नहीं नाप सकता।

By Sunil NegiEdited By: Published: Fri, 20 Jul 2018 10:23 AM (IST)Updated: Sun, 22 Jul 2018 05:28 PM (IST)
गांव से सड़क का फासला डाल रहा रिश्तों में दरार
गांव से सड़क का फासला डाल रहा रिश्तों में दरार

उत्‍तरकाशी, [शैलेंद्र गोदियाल]: धन-संपत्ति रिश्तों में दरार पैदा कर देती है, यह तो सुना था, लेकिन यहां तो गांव की पैदल दूरी भी अपनों को अपनों से दूर कर रही है। इसकी बानगी है उत्तराखंड स्थित सीमांत उत्तरकाशी जिले का 35 परिवारों वाला उलण बजियाड़ा गांव। इस गांव के 58 वर्षीय हुकम सिंह राणा का बेटा प्रदीप इसलिए उनसे मिलने गांव नहीं आना चाहता, क्योंकि वह सात किमी की खड़ी चढ़ाई नहीं नाप सकता। 

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चंडीगढ़ के एक होटल में नौकरी कर रहे प्रदीप से उसके पिता गांव आने के लिए कहते हैं तो उसका जवाब होता है, 'मैं उत्तरकाशी आ जाता हूं, वहीं मिलने आ जाओ। ' जिला मुख्यालय उत्तरकाशी से 45 किमी दूर स्थित उलण जिले का ऐसा गांव है, जहां युवा अब गिनती के रह गए हैं। इसी गांव की 20 वर्षीय नीलम का भाई राजेंद्र पुणे में नौकरी करता है। वह चार साल से गांव नहीं लौटा। बीच में एक बार गांव का रुख किया भी तो धरासू बैंड के पास ही परिजनों से मिलकर वापस लौट गया। बकौल नीलम, हम जब भी भाई से गांव आने को कहते हैं तो उसका जवाब होता है, तुम सब गांव छोड़कर पुणे आ जाओ। ' बीसवीं सदी के अंतिम दशक में उलण के प्रधान रहे 80 वर्षीय शेर सिंह राणा कहते हैं, 'जिसने एक बार शहर की राह चुन ली, वह गांव लौटने को तैयार नहीं है। गांव में अब सिर्फ दो युवक रह गए हैं और वह भी मजबूरीवश। '

गांव की सबसे बुजुर्ग महिला 88 वर्षीय पुलेश्वरी देवी कहती हैं, 'मैं घर में अकेले रहती हूं। आंखें भी जवाब दे चुकी हैं। बेटा अपने परिवार के साथ 26 किमी दूर चिन्यालीसौड़ में रहता है। एक-दो बार मुझे लेने गांव आया। लेकिन मुझे शहर पसंद नहीं है। इसलिए गांव में ही अपने अंतिम दिन अकेले काट रही हूं। लेकिन, इतना तय है कि हमारे बाद यह गांव भुतहा हो जाएगा। ' 

इसलिए, नहीं हो पा रहा रिश्ता 

उलण की 21 वर्षीय लक्ष्मी कहती हैं, 'चार बार मेरे रिश्ते की बात हुई, लेकिन हर बार लड़के वाले शर्त रखते हैं कि बरात लेकर गांव नहीं आएंगे। ऐसे में शहर में शादी का खर्च जुटाना मेरे माता-पिता के सामथ्र्य में नहीं है।' लक्ष्मी कहती हैं, बीते तीन सालों में गांव के दो लड़कों और तीन लड़कियों की शादी हुई। लेकिन गांव नहीं, उत्तरकाशी में। गांव में तो बीते तीन सालों में कोई मांगलिक कार्य हुआ ही नहीं। 

नौ युवाओं की हो चुकी है अकाल मौत 

2002 से 2017 के बीच उलण में 21 से 40 साल तक की आयु के नौ युवाओं की उपचार न मिलने से अकाल मौत हो चुकी है। इनमें किसी की मौत बीमारी के कारण हुई तो किसी की प्रसव के दौरान। कुछ दुर्घटना में घायल युवा यातायात सुविधा न होने के कारण समय पर अस्पताल नहीं पहुंचाए जा सके। 

विद्यालय भी बंद होने के कगार पर 

गांव के प्राथमिक विद्यालय में मात्र आठ और उच्च प्राथमिक विद्यालय में मात्र सात बच्चे पढ़ रहे हैं। दस से कम छात्र संख्या होने के कारण दोनों विद्यालय बंद होने के कगार पर हैं। आठवीं के बाद पढ़ाई के लिए नौनिहालों को सात किमी की दूरी पैदल चलकर राजकीय इंटर कॉलेज चमियारी पहुंचना पड़ता है। जबकि, स्वास्थ्य सेवाओं के लिए 26 किमी दूर चिन्यालीसौड़ या 45 किमी दूर उत्तरकाशी जाना पड़ता है। 

सड़क से पांच किमी या इससे अधिक दूरी वाले गांव 

विकासखंड---------गांव   

भटवाड़ी----------10 

डुंडा---------------07 

चिन्यालीसौड़----20 

नौगांव-----------15 

पुरोला------------12 

मोरी--------------28 

जिलाधिकारी (उत्तरकाशी) डॉ. आशीष चौहान का कहना है कि चमियारी-उलण बजियाड़ा मोटर मार्ग का मामला संज्ञान में है। वन विभाग व लोनिवि को वन भूमि हस्तांतरण के मामले का निस्तारण गंभीरता से करने के निर्देश दिए गए हैं। इस सड़क के निर्माण को प्राथमिकता में रखा गया है।

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