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चीन की बेरुखी: खुले में शौच को मजबूर होते हैं कैलास मानसरोवर यात्री

कैलास मानसरोवर यात्रा पर गए श्रद्धालुओं को चीन क्षेत्र में कर्इ तरह की दिक्कतों का सामना करना पड़ा। उन्होंने बताया चीन क्षेत्र में शौच के लिए एक टॉयलेट तक नहीं था।

By Edited By: Published: Mon, 16 Jul 2018 08:01 PM (IST)Updated: Tue, 24 Jul 2018 05:06 PM (IST)
चीन की बेरुखी: खुले में शौच को मजबूर होते हैं कैलास मानसरोवर यात्री
चीन की बेरुखी: खुले में शौच को मजबूर होते हैं कैलास मानसरोवर यात्री

हल्द्वानी, [जेएनएन]: पड़ोसी देश चीन ने भले ही भारतीय सीमा तक सड़कों का जाल बिछा दिया हो, लेकिन कैलास यात्रा पर जाने वालों के लिए एक अदद शौचालय बनवाना उसकी प्राथमिकता में नहीं है। चीन क्षेत्र में यात्रियों को खुले में शौच के लिए जाना पड़ता है। कैलास मानसरोवर यात्रा पूरी कर लौटे यात्रियों ने यह बात बताई है। 

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कैलास यात्रियों का 59 सदस्यीय तीसरा व 56 सदस्यीय चौथा दल शनिवार को काठगोदाम पहुंचने के बाद दिल्ली के लिए रवाना हो गया। काठगोदाम पहुंचे चौथे दल के यात्रियों ने बताया कि भारतीय क्षेत्र में यात्रा का जिम्मा संभालने वाले कुमाऊं मंडल विकास निगम (केएमवीएन) के कर्मचारियों और आइटीबीपी के जवानों का जवाब नहीं है। सभी लोग यात्रियों से आत्मीयता से पेश आते हैं। खाने, रहने की अच्छी व्यवस्था है। 

होम स्टे योजना को तो यात्रियों ने काफी सराहा, मगर दूसरी तरफ चीन के डेरापुक, दारचीन में जहां यात्रियों को ठहराया जाता है, वहां शौचालय तक नहीं है। जबकि आठ दिन चीन में रहने का (भोजन खर्च अलग) प्रति यात्री 901 डालर भुगतान किया जाता है। यात्रियों ने कहा कि वह भारतीय विदेश मंत्रालय को इस बात से अवगत कराकर चीन से बातचीत कर सुविधाएं बढ़ाने के लिए आग्रह करेंगे। कैलास मानसरोवर में यात्रियों को डुबकी लगाने की अनुमति नहीं है। हालांकि यात्रियों ने कहा कि कई लोग नहाने में साबुन का प्रयोग करते हैं, कपड़े भी सरोवर में ही धोने लगते हैं। ऐसे में झील में नहाने पर प्रतिबंध लगाना गलत नहीं है। 

कोलकाता निवासी रंजना साह बताती हैं कि चीन की तरफ यात्रियों को जहां ठहराया जाता है, वहां शौचालय नहीं हैं। खुले में शौच के लिए निकलना मुश्किल होता है। विदेश मंत्रालय को इस पर पहल करनी चाहिए। 

देहरादून निवासी डॉ. नीलम रावत का कहना है कि भारतीय क्षेत्र के रास्ते भले ही जटिल हों, लेकिन खाने, रहने की अच्छी सुविधा है। केएमवीएन, आईटीबीपी का सहयोग रहता है। चीन की तरफ यात्री सुविधाओं पर ध्यान नहीं दिया जाता।  

जयपुर से आए आदेश कहते हैं कि पांच दिन गुंजी कैंप में फंसे होने के दौरान भगवान शिव ने साहस दिया। परिवार की तरह रह रहे यात्रियों ने एक-दूसरे का हौसला बढ़ाया। हालांकि कई बार डर भी लग रहा था। 

गुड़गांव निवासी संजय कहते हैं कि गुंजी में फंसे रहना अच्छा साबित हुआ। इसी वजह से सावन के पहले सोमवार हमें जागेश्वर धाम के दर्शन करने का मौका मिल गया। भगवान जो करता है भले के लिए करता है। 

'डिस्कवर कुमाऊं विथ केएमवीएन' का विमोचन 

काठगोदाम पर्यटक आवास गृह में केएमवीएन की ओर से तैयार पुस्तक 'डिस्कवर कुमाऊं विथ केएमवीएन' का विमोचन किया गया। केएमवीएन की ओर से अंग्रेजी में तैयार इस पुस्तक में कुमाऊं के इतिहास, प्रमुख स्टेशन, पर्यटन स्थल, संस्कृति, रीति-रिवाज, लोक नृत्य, पर्व, महोत्सव, लोक भाषा, लोक गीत, कुमाऊं शादी, होम स्टे आदि की जानकारी समेटी गई है। 

केएमवीएन के एमडी धीराज ने कहा देश-विदेश को पर्यटकों को कुमाऊं की जानकारी कराने में किताब मददगार होगी। कैलास यात्रियों को किताब, यात्रा पूरी करने का प्रमाणपत्र आदि भेंट किया गया। इस दौरान जीएम टीएस मर्तोलिया, प्रबंधक रमेश चंद्र पांडे आदि मौजूद रहे। गुंजी लौटा पांचवां दल 

जीएम टीएस मर्तोलिया ने बताया कि कैलास यात्रा का पांचवां दल सोमवार शाम गुंजी लौट आया है। छठा दल चीन में है। यात्रा पर जा रहे सातवें दल के यात्री गुंजी पहुंचे हैं। आठवां दल पिथौरागढ़ और नौवां अल्मोड़ा में हैं। मौसम खुलने पर यात्रियों को आगे बढ़ाया जाएगा।

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