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दुष्‍कर्म पीड़ित बच्‍ची को आरोपित के साथ वाहन में बैठाकर कोर्ट ले गई पुलिस

टिहरी के जौनपुर ब्लॉक क्षेत्र की नौ साल की दुष्कर्म पीड़िता को कैम्पटी थाना पुलिस आरोपित के साथ एक ही वाहन में लेकर नई टिहरी कोर्ट पहुंची। जो नियमानुसार गलत है।

By Edited By: Published: Sun, 02 Jun 2019 07:57 PM (IST)Updated: Mon, 03 Jun 2019 10:51 AM (IST)
दुष्‍कर्म पीड़ित बच्‍ची को आरोपित के साथ वाहन में बैठाकर कोर्ट ले गई पुलिस
दुष्‍कर्म पीड़ित बच्‍ची को आरोपित के साथ वाहन में बैठाकर कोर्ट ले गई पुलिस

देहरादून, जेएनएन। टिहरी के जौनपुर ब्लॉक क्षेत्र की नौ साल की दुष्कर्म पीड़िता को जहां सहानुभूति की जरुरत थी, वहीं कैम्पटी थाना पुलिस मासूम और आरोपित दोनों को एक ही वाहन में लेकर नई टिहरी कोर्ट पहुंची। टिहरी के एसएसपी डा. योगेंद्र सिंह रावत का कहना है कि पुलिस एक ही गाड़ी में दोनों को लेकर आई तो यह गलत है। जांच कर कार्रवाई की जाएगी। वहीं, मासूम की हालत एक बार फिर बिगड़ गई। लिहाजा 48 घंटे के भीतर उसे दोबारा दून मेडिकल कॉलेज के महिला अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा। यहां उसकी हालत गंभीर बनी हुई है। इससे दून महिला अस्पताल भी सवालों के घेरे में आ गया है। वजह यह कि जब पीड़िता पूरी तरह से स्वस्थ नहीं थी तो यहां से उसे घर ले जाने की अनुमति किस आधार पर दी गई। आइजी गढ़वाल अजय रौतेला ने बताया कि एसएसपी टिहरी को प्रकरण की जांच कर रिपोर्ट प्रेषित करने को कहा है। इस स्थिति के लिए जो भी जिम्मेदार होगा, उसके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। 

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बता दें, जौनपुर क्षेत्र के एक गांव की अनुसूचित जाति की नौ साल की बच्ची से तीस मई को गांव के ही राजपूत बिरादरी के युवक ने दुष्कर्म किया था। देर रात पीड़िता की हालत बिगड़ी तो रात में ही टिहरी पुलिस उसे लेकर दून महिला अस्पताल आ गई। यहां से अगले दिन यानी 31 मई को दोपहर बाद उसे डिस्चार्ज कर दिया गया। इसके बाद पुलिस टीम उसी शाम पीड़िता को लेकर रवाना हो गई। जबकि उस समय भी पीड़िता न तो ठीक तरह से चल पा रही थी और न ही बैठ पा रही थी। 

ऐसी स्थिति में देहरादून से जौनपुर तक के करीब डेढ़ सौ किलोमीटर के सफर ने उसकी हालत और खराब कर दी। इसके बाद उसे कुछ वक्त आराम करने को मिला होता तो संभव था कि पीड़िता को थोड़ी राहत मिलती, मगर अगले दिन यानी शनिवार को कैम्पटी पुलिस मजिस्ट्रेटी बयान के लिए टिहरी के लिए निकल पड़ी। इस बार उसे पुलिस की गाड़ी में करीब ढाई सौ किलोमीटर का सफर करना पड़ा। पीड़िता जब टिहरी पहुंची तो थकान और गाड़ी में लगे झटके से उसकी हालत काफी बिगड़ चुकी थी। 

इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि पीड़िता मजिस्ट्रेट के सामने बोल पाने तक की स्थिति में नहीं थी। इसके चलते उसका बयान नहीं हो सका और कैम्पटी पुलिस ने दोबारा उसे उसके घर छोड़ दिया। यहां बीती रात से ही उसकी हालत और बिगड़नी शुरू हो गई। पेट में तेज दर्द व अन्य वजहों के चलते रविवार को उसे मसूरी अस्पताल में भर्ती कराया गया। यहां उसकी हालत में सुधार होता न देख चिकित्सकों ने उसे दून मेडिकल कॉलेज के लिए रेफर कर दिया। 

फिलहाल पीड़िता को दून महिला अस्पताल के इमरजेंसी वार्ड में रखा गया है। टिहरी के कैम्पटी थाने के एसओ एमएस जखमोला ने बताया कि अस्पताल से छुट्टी मिलने के बाद ही बच्ची को उसके गांव पहुंचाया गया। इसके बाद बच्ची को बयान के लिए नई टिहरी ले जाया गया। मजिस्ट्रेटी बयान को पहुंचे तहसीलदार बच्ची की हालत नाजुक होने की खबर पर टिहरी जिला प्रशासन भी हरकत में आ गया। रविवार को ही वहां के जिलाधिकारी ने तहसीलदार नैनबाग को देहरादून जाकर पीड़िता के बयान दर्ज करने को कहा। 

तहसीलदार रविवार शाम देहरादून पहुंच गए। पुलिस के अनुसार, पीड़िता जैसे ही बोल पाने की स्थिति में आती है, वैसे ही उसका बयान दर्ज कर लिया जाएगा। बयान की जल्दबाजी से बिगड़ा केस लड़की के पिता का आरोप है कि 31 मई को दून मेडिकल कॉलेज से बच्ची को छुट्टी दे दी गई थी, जिसके बाद पुलिस उसे गांव लाई। पुलिस का कहना था कि बच्ची का एक जून को कोर्ट में बयान दर्ज कराया जाना जरूरी है। जबकि उस समय उनकी बेटी को इलाज की सख्त जरूरत थी।

इलाज है प्राथमिकता, बयान नहीं 

निर्भया प्रकोष्ठ की वरिष्ठ अधिवक्ता बीना सजवाण का कहना है कि पहली प्राथमिकता बच्ची के स्वास्थ्य को लेकर होनी चाहिए। उसको सही उपचार मिलना चाहिए, ताकि भविष्य में उसके स्वास्थ्य पर कोई दुष्प्रभाव न पड़े। जब तक बच्ची शारीरिक और मानसिक रूप से स्वस्थ नहीं होगी, वह सही ढंग से बयान नहीं दे पाएगी। इसमें जल्दबाजी नहीं की जानी चाहिए थी और उसे ठीक तरह से उपचार मिलना चाहिए था तभी उसे छुट्टी मिलनी चाहिए।

मंत्री ने दिए जांच के आदेश

सनसनीखेज वारदात में पुलिस की एक और बड़ी लापरवाही सामने आई है। परिजनों का आरोप है कि शनिवार को पीड़िता और उसकी मां को मजिस्ट्रेटी बयान के लिए जिस वाहन से नई टिहरी ले जाया गया, उसी गाड़ी में आरोपित को भी बैठा लिया गया। आरोपित को कोर्ट में पेश किया जाना था। कल्पना कीजिए पीड़िता और उसकी मां की इस दौरान क्या स्थिति रही होगी। रविवार को बच्ची के पिता और रिश्तेदारों ने परिवहन मंत्री यशपाल आर्य से इसकी शिकायत की। मंत्री ने कहा कि इसकी जांच कराई जाएगी। 

परिजनों को सौंपा ढाई लाख का चेक 

समाज कल्याण मंत्री यशपाल आर्य रविवार को बच्ची के घर पहुंचे। मगर तब तक बच्ची उपचार के लिए देहरादून के लिए निकल चुकी थी। घर पर मिले परिजनों को ढाई लाख रुपये का चेक सौंपने के बाद मंत्री लौटे और रास्ते में वह बच्ची से मिले। बच्ची के इलाज में लापरवाही की शिकायत पर मंत्री ने तहसीलदार को परिजनों के साथ मसूरी, फिर वहां से देहरादून भेजा। मंत्री ने आश्वस्त किया कि सरकार की ओर से हरसंभव मदद की जाएगी।

एक ही वाहन में दोनों को लाए जाने पर उठे सवाल

मासूम को जहां सहानुभूति की जरुरत थी, वहीं कैम्पटी थाना पुलिस की बात करें तो वह मासूम और आरोपित दोनों को एक ही वाहन में लेकर नई टिहरी कोर्ट पहुंची। टिहरी के एसएसपी डा. योगेंद्र सिंह रावत का कहना है कि पुलिस एक ही गाड़ी में दोनों को लेकर आई तो यह गलत है। जांच कर कार्रवाई की जाएगी। गौरतलब है कि पुलिस ने प्राइवेट गाड़ी में आगे की सीट पर पीड़िता और उसकी मां को बैठाया और बीच की सीट पर पुलिसकर्मी बैठे। सबसे पीछे की सीट पर आरोपित को बैठाया गया। 

उधर, बाल कल्याण समिति के सदस्य सुशील बहुगुणा का कहना है कि यदि दोनों को एक ही वाहन में साथ लाया गया है तो यह किशोर न्याय अधिनियम का उल्लंघन है। इस संबंध में जानकारी जुटाने के बाद बाल कल्याण समिति कार्रवाई करेगी।

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