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उत्तराखंड में पीपीपी मोड में भी बनेंगी अति लघु जलविद्युत परियोजनाएं, घराटों को किया जाएगा पुनर्जीवित

राज्य की छोटी-छोटी नदियों पर भी अति लघु जलविद्युत परियोजनाएं नजर आएंगी। राज्य सरकार इस दिशा में गंभीरता से विचार कर रही है।

By Raksha PanthariEdited By: Published: Sun, 13 Sep 2020 06:45 AM (IST)Updated: Sun, 13 Sep 2020 07:26 AM (IST)
उत्तराखंड में पीपीपी मोड में भी बनेंगी अति लघु जलविद्युत परियोजनाएं, घराटों को किया जाएगा पुनर्जीवित
उत्तराखंड में पीपीपी मोड में भी बनेंगी अति लघु जलविद्युत परियोजनाएं, घराटों को किया जाएगा पुनर्जीवित

देहरादून, राज्य ब्यूरो। कोशिशें रंग लाईं तो निकट भविष्य में राज्य की छोटी-छोटी नदियों पर भी अति लघु जलविद्युत परियोजनाएं नजर आएंगी। राज्य सरकार इस दिशा में गंभीरता से विचार कर रही है। मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के अनुसार पीपीपी मोड पर इस तरह की परियोजनाओं का निर्माण कराने को सरकार तैयार है। अगर कोई इसके लिए आगे आता है तो उसे पूरा सहयोग दिया जाएगा। उन्होंने यह भी कहा कि प्रदेश में ग्रामीण आर्थिक से जुड़े घराटों को पुनर्जीवित कर इनका आधुनिकीकरण किया जाएगा। साथ ही इन्हें बहुद्देश्यीय बनाया जाएगा।

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समूचा उत्तराखंड जलविद्युत उत्पादन के लिहाज से अपार संभावनाओं वाला है। आंकड़ों के मुताबिक राज्य में 27039 मेगावाट जलविद्युत उत्पादन की क्षमता है, लेकिन वर्तमान में 35 जलविद्युत परियोजनाओं से 3972 मेगावाट का उत्पादन ही मिल पा रहा है। इसे देखते हुए सरकार का ध्यान अति लघु जलविद्युत परियोजनाओं को बढ़ावा देने की तरफ गया है। राज्य की जल नीति में भी ऐसी परियोजनाओं को प्रोत्साहित करने पर जोर दिया गया है। ये स्थानीय समुदाय के समग्र हित में संबंधित हितधारकों को शामिल करते हुए तैयार की जा सकती है।

इस सिलसिले में सरकार अब अति लघु जलविद्युत परियोजनाओं को बढ़ावा देने जा रही है। मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कहा कि दो से 10 मेगावाट क्षमता तक की इन परियोजनाओं का निर्माण पीपीपी (पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप) मोड में कराया जा सकता है। स्वास्थ्य, पर्यटन समेत अन्य क्षेत्रों में पीपीपी मोड का प्रयोग सफल रहा है। अति लघु जलविद्युत परियोजनाओं के निर्माण से ऊर्जा की जरूरतें पूरी हो सकेंगी।

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मुख्यमंत्री ने कहा कि ग्रामीण क्षेत्रों में घराट वहां की आर्थिकी से जुड़े रहे हैं। जल नीति में प्रविधान किया गया है कि घराट के रूप में परंपरागत ग्रामीण प्रौद्योगिकी को पुनर्जीवित करने के साथ ही इनका आधुनिकीकरण किया जाए। घराटों का उपयोग आटा चक्की के साथ ही बिजली की जरूरत पूरी करने में किया जा सकता है। इस दिशा में भी सरकार गंभीरता से कदम उठाने जा रही है।

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