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क्या कभी देखा है किसी घाटी को रंग बदलते, नहीं तो यहां जरूर आएं और जानें वजह

Valley of flowers आज हम आपको एक ऐसी खूबसूरत घाटी के बारे में बताने वाले हैं जो हर पंद्रह दिन में रंग बदलती है। इतना ही नहीं बल्कि इस घाटी में आप सिर्फ दिन का सफर कर सकते हैं।

By Raksha PanthariEdited By: Published: Fri, 18 Sep 2020 05:27 PM (IST)Updated: Fri, 18 Sep 2020 10:53 PM (IST)
क्या कभी देखा है किसी घाटी को रंग बदलते, नहीं तो यहां जरूर आएं और जानें वजह
क्या कभी देखा है किसी घाटी को रंग बदलते, नहीं तो यहां जरूर आएं और जानें वजह

देहरादून, जेएनएन। Valley of flowers देवभूमि उत्तराखंड में चारधाम के साथ ही कई ऐसे पर्यटन स्थल हैं, जो पर्यटकों को अपनी और खींच लाते हैं। यहां कदम-कदम पर प्रकृति ने अपनी नेमतें बिखेरी हुई हैं। यहां की हसीन वादियां सुकून का एहसास कराती हैं। आज हम आपको उत्तराखंड की एक ऐसी खूबसूरत घाटी के बारे में बताने वाले हैं, जो हर पंद्रह दिन में रंग बदलती है। इतना ही नहीं, बल्कि इस घाटी में आप सिर्फ दिन का सफर कर सकते हैं। यहां रात में रुकने की अनुमति नहीं होती। ये सुनकर आप जरूर चौंक गए होंगे। पर हैरान मत होइए और जानिए इसके पीछे क्या वजह है।   

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विश्व प्रसिद्ध फूलों की घाटी (Valley Of Flower) उत्तराखंड के चमोली जिले में समुद्र तल से 3962 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। ये घाटी बेहद ही खूबसूरत है और यहां फूलों का मनमोहक संसार बरबस ही लोगों को अपनी ओर आकर्षित करता है। आप फूलों के साथ ही नदी, झरने, दुर्लभ प्रजाति वन्यजीव, परिंद और औषधीय वनस्पतियों का दीदार भी कर सकते हैं।

87.5 वर्ग किलोमीटर क्षेत्रफल में फैली इस घाटी का जिक्र रामायण में भी हुआ है। मान्यता है कि रामायण काल में हनुमान संजीवनी बूटी की खोज में इसी घाटी में पहुंचे थे। वहीं, घाटी हर साल एक जून से 31 अक्टूबर तक पर्यटकों के लिए खोली जाती है, जिसके बाद बड़ी संख्या में यहां देश-विदेश से टूरिस्ट सुकून की तलाश में पहुंचते हैं, लेकिन इसबार कोरोना संक्रमण के चलते घाटी को अगस्त के महीने खोला गया है। यहां के दीदार के लिए पर्यटकों को उत्तराखंड की सीमा में प्रवेश करने से 72 घंटे पहले कराए गए कोरोना टेस्ट की नेगेटिव रिपोर्ट दिखानी होगी, तभी उन्हें प्रवेश की अनुमति मिलेगी।

यहां रात को रुकने की अनुमति नहीं  

फूलों की घाटी का सौंदर्य अद्भुत है। इसे लेकर एक खात बात भी है कि आप यहां सिर्फ दिन का ही सफर कर सकते हैं। रात को रुकने की अनुमति नहीं है। दरअसल, इस घाटी में फूलों की ऐसी कई प्रजातियां हैं, जिनकी महक आपको बेहोश कर सकती है। इसके साथ ही पर्यटकों के यहां रुकने से फूलों की घाटी की जैवविविधता पर भी असर पड़ सकता है। यही वजह है कि यहां रात को रुकने की मनाही है।  

15 दिन में बदल जाता है घाटी का रंग 

वैली ऑफ फ्लावर्स को लेकर एक और रोचक बात है। कहा जाता है कि ये घाटी हर 15 दिन में अपना रंग बदलती है। इसके पीछे भी एक खास वजह है। दरअसल, फूलों की घाटी में करीब पांच सौ प्रजातियों के फूल मौजूद हैं और हर प्रजाति दस से पंद्रह दिन के अंतराल में खिलती है। ऐसे में फूलों के बदलते रंगों से ऐसा लगता है मानो ये घाटी अपना रंग बदल रही हो।   

वैली ऑफ फ्लावर्स है विश्व धरोहर 

उत्तराखंड हिमालय में स्थित नंदा देवी राष्ट्रीय उद्यान और फूलों की घाटी सम्मिलित रूप से विश्व धरोहर स्थल घोषित हैं। फूलों की घाटी को वर्ष 2005 में यूनेस्को ने विश्व धरोहर घोषित किया था। 

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