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    उत्तराखंड में पहाड़ के नगरीय क्षेत्रों में भी मिलेगी सुकून की छांव, जानिए क्या है योजना

    By Raksha PanthariEdited By:
    Updated: Mon, 14 Sep 2020 07:55 PM (IST)

    पर्वतीय इलाकों के कस्बों और नगरों में भी नागरिकों को सुकून की छांव मिल सकेगी। केंद्र सरकार की नगर वन योजना की तर्ज पर राज्य सरकार वहां वन भूमि पर नेचर ...और पढ़ें

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    उत्तराखंड में पहाड़ के नगरीय क्षेत्रों में भी मिलेगी सुकून की छांव, जानिए क्या है योजना

    देहरादून, राज्य ब्यूरो। मैदानी क्षेत्र के शहरों की भांति राज्य के पर्वतीय इलाकों के कस्बों और नगरों में भी नागरिकों को सुकून की छांव मिल सकेगी। केंद्र सरकार की नगर वन योजना की तर्ज पर प्रदेश सरकार वहां वन भूमि पर नेचर वन विकसित करने जा रही है। प्रतिकरात्मक वनरोपण निधि प्रबंधन और योजना प्राधिकरण (कैंपा) के वित्त पोषण से पौड़ी जिले के खिर्सू और जयहरीखाल में नेचर वन तैयार किए जा रहे हैं। वन और पर्यावरण मंत्री डॉ. हरक सिंह रावत के अनुसार पहाड़ के अन्य कस्बों व नगरों में भी वन भूमि पर इसी तरह की पहल की जाएगी, जिससे वहां नागरिक कुछ पल प्रकृति की छांव में बिता सकें।

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    केंद्र सरकार की देश के 200 शहरों में नगर वन विकसित करने की योजना है। इसके तहत उत्तराखंड के पांच बड़े शहरों में कसरत चल रही है। मंशा ये है कि शहरों की भागदौड़ भरी जीवनशैली के बीच नागरिक वहां कुछ पल नगर वन में बिताकर सुकून का अहसास कर सकें। अब राज्य सरकार भी इसी तरह नेचर वन की पहल उत्तराखंड के पहाड़ी क्षेत्र के कस्बों और नगरों में करने जा रही है।

    वन और पर्यावरण मंत्री डॉ. रावत बताते हैं कि वन भूमि पर ही नेचर वन विकसित किए जाएंगे। इसके लिए कैंपा से मदद ली जाएगी। नेचर वनों को स्थानीय निकायों, संस्थाओं और व्यक्तियों के माध्यम से पनपाया जाएगा। खिर्सू और जयहरीखाल में नेचर वन का कार्य शुरू हो गया है और धीरे-धीरे इस पहल को पूरे पर्वतीय क्षेत्र में ले जाया जाएगा।

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    कोटद्वार में ट्रंचिंग ग्राउंड को वन भूमि चयनित

    गढ़वाल के प्रवेशद्वार कोटद्वार को कूड़ा निस्तारण की समस्या से अब निजात मिल जाएगी। इसके लिए कोटद्वार के हल्दूखाता में वन भूमि चयनित कर ली गई है। वन मंत्री डॉ. रावत के अनुसार वन विभाग और नगर निगम कोटद्वार इस भूमि का सर्वे कर चुके हैं। अब यह भूमि नगर निगम को आवंटित करने के मद्देनजर कवायद शुरू की गई है। यह भूमि एक हेक्टेयर से कम है। ऐसे में इसका निर्णय राज्य स्तर पर ही हो जाएगा। उन्होंने यह भी जानकारी दी कि कोटद्वार महाविद्यालय और गढ़वाल मोटर ऑनर्स यूनियन लि. को भी वन भूमि देने की कवायद चल रही है। 

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