अटल के नाम पर जौलीग्रांट हवाई अड्डा, संकल्प पारित
देहरादून के जौलीग्रांट हवाई अड्डे का नामकरण भारत रत्न पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के नाम पर किए जाने का संकल्प राज्य विधानसभा में पारित किया गया।
देहरादून, राज्य ब्यूरो। जौलीग्रांट हवाई अड्डे का नामकरण भारत रत्न पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के नाम पर किए जाने का संकल्प राज्य विधानसभा ने शीतकालीन सत्र के दूसरे दिन सर्वसम्मति से पारित कर दिया। इसे अब केंद्र सरकार को भेजा जाएगा।
बुधवार को विपक्ष की गैरमौजूदगी में दो विधेयक सदन में प्रस्तुत किए गए। कांग्रेस ने उप नेता प्रतिपक्ष करन माहरा को मुख्य द्वार पर रोके जाने के विरोध में सदन की कार्रवाई का बहिष्कार किया। सदन में उत्तराखंड लोक सेवा आयोग और सेवा का अधिकार आयोग के वार्षिक प्रतिवेदन पटल पर रखे गए। पूर्व में पारित छह विधेयकों के राज्यपाल की अनुमति के बाद अधिनियम बनने की जानकारी सदन को दी गई।
इससे पहले, प्रश्नकाल के दौरान सफाईकर्मियों की नियुक्ति से संबंधित प्रश्न का सदस्य को उपलब्ध प्रति में अलग और सदन में अलग जवाब को लेकर शहरी विकास मंत्री अपनी पार्टी के विधायकों से ही घिर गए। इस पर पीठ ने दोनों जवाब विचार के लिए अपने पास ले लिए, लेकिन कोई टिप्पणी नहीं की। राज्य मंत्रिमंडल ने पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय अटल बिहारी वाजपेयी के उत्तराखंड से रहे विशेष लगाव के मद्देनजर उनकी स्मृति में जौलीग्रांट हवाई अड्डे का नामकरण उनके नाम पर करने का फैसला लिया था।
बुधवार को विस के शीतकालीन सत्र में सरकार की ओर से संसदीय कार्यमंत्री प्रकाश पंत ने इस संबंध में संकल्प पेश किया, जिसे विपक्ष की गैरमौजूदगी में सर्वसम्मति से पारित कर दिया गया। अब विस में पारित संकल्प और कैबिनेट के फैसले को केंद्र सरकार को भेजा जाएगा। नामकरण के संबंध में निर्णय केंद्र सरकार द्वारा लिया जाना है। इससे पहले, सदन की कार्यवाही शुरू होने के कुछ ही देर बाद नेता प्रतिपक्ष डॉ. इंदिरा हृदयेश ने पीठ को अवगत कराया कि उपनेता प्रतिपक्ष करन माहरा को विस के मुख्य द्वार पर रोका गया है।
विधायक को सदन में आने से रोकना विशेषाधिकार का हनन है। साथ ही पीठ से आग्रह किया कि विधायक सदन में पहुंचे, यह व्यवस्था होनी चाहिए। इस पर पीठ की ओर से बताया गया कि विधायक दूसरे वाहन से आ रहे थे, लेकिन उन्हें अनुमति दे दी गई है। अलबत्ता, विधायक के साथ मौजूद दो लोगों के पास न होने की जानकारी आई है। तब सदन में नेता प्रतिपक्ष समेत कांग्रेस के तीन विधायक ही थे और थोड़ी देर में वे भी सदन का बहिष्कार कर चले गए। हालांकि, पीठ की ओर से संसदीय कार्यमंत्री को भी मौके पर भेजा गया। विपक्ष की गैरमौजूदगी में सदन की कार्रवाई एक बजे तक बदस्तूर चली।
इस दौरान दो विधेयक उत्तराखंड (उत्तर प्रदेश जमींदारी विनाश एवं भूमि व्यवस्था अधिनियम, 1950) (अनुकूलन एवं उपांतरण आदेश, 2001) (संशोधन) विधेयक-2018 और उतराखंड आयुर्वेद विश्वविद्यालय (संशोधन) विधेयक-2018 सदन में प्रस्तुत किए गए। इसके अलावा उत्तराखंड लोक सेवा आयोग और उत्तराखंड सेवा का अधिकार आयोग के वार्षिक प्रत्यावेदन पटल पर रखे गए। यही नहीं, विधायकों की ओर से कई याचिकाएं भी प्रस्तुत की गई।
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