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    Budget session of Uttarakhand Assembly: एक घटे में बजट पारित हुआ तो नहीं हो सकेगा प्रश्नकाल

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    Updated: Tue, 24 Mar 2020 12:31 PM (IST)

    गैरसैंण से शुरू हुआ पांच दिनी बजट सत्र अब देहरादून में पहले एक दिन और अब एक दिन में भी एक घटे तक सिमट सकता है। सत्र को एक दिन से लेकर एक घंंटे तक समेटने की तैयारी है।

    Budget session of Uttarakhand Assembly: एक घटे में बजट पारित हुआ तो नहीं हो सकेगा प्रश्नकाल

    देहरादून, राज्य ब्यूरो। गैरसैंण से शुरू हुआ पांच दिनी बजट सत्र अब देहरादून में पहले एक दिन और अब एक दिन में भी एक घटे तक सिमट सकता है। कोरोना वायरस संक्रमण से बचाव को पूरे प्रदेश को 31 मार्च तक लॉकडाउन कर चुकी सरकार व सचिवालय से लेकर प्रदेश और जिला मुख्यालयों के अपने तमाम सरकारी महकमों में वर्क फ्राम होम का सहारा ले रही है। 

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    ऐसे में 25 मार्च को प्रस्तावित बजट सत्र को एक दिन से लेकर एक घंटे तक समेटने की तैयारी है। सरकार को ये मशविरा शासन के आला अधिकारियों ने भी दिया है। ऐसा हुआ तो प्रश्नकाल से लेकर कार्यस्थगन को स्थगित कर एक घटे में बजट पारित किया जा सकता है। इस पर अंतिम फैसला कार्यमंत्रणा समिति की बैठक में लिया जाएगा। 

    सरकार की नजरें विपक्ष के रुख पर भी टिकी हैं। कोरोना महामारी बजट सत्र को लेकर राज्य सरकार की धूमधाम से की गई तैयारी और पक्ष-विपक्ष की सियासत पर भी ब्रेक लगा चुकी है। लोगों की जान पर बने इस खतरे से निपटने के लिए पहले जनता क‌र्फ्यू फिर 31 मार्च तक प्रदेश को लॉकडाउन करने के फैसले को विपक्ष का समर्थन राज्य सरकार को मिला है। 

    सरकारी हलकों में अब ये चर्चा जोरों पर है कि क्या विपक्ष का ऐसा ही समर्थन बजट सत्र सीमित करने के मामले में भी मिलेगा या नहीं। दरअसल गैरसैंण में विधानसभा सत्र में बीती चार मार्च को सरकार वित्तीय वर्ष 2020-21 के लिए 53526.97 करोड़ रुपये का बजट पेश कर चुकी है। बजट पर पक्ष और विपक्ष की चर्चा सदन में कराई जा चुकी है। इस पर सरकार की ओर जवाब संसदीय कार्यमंत्री मदन कौशिक रख चुके हैं। 

    अब सिर्फ बजट को पारित कराया जाना है। पहले सरकार की ओर से गैरसैंण में ही बजट सत्र के शेष कार्यक्रम के लिए 25 मार्च से दो दिन का समय नियत किया गया था। अब कोरोना के खतरे ने तमाम समीकरणों को बदलकर रख दिया है। इस खतरे के बीच सत्र को लंबे खींचने में सबसे बड़ी दिक्कत कोरोना वायरस के संक्त्रमण से बचने की होगी। एक दिनी सत्र पूरा चलने की स्थिति में प्रश्नकाल और फिर शून्यकाल में कार्यस्थगन के मुद्दों के लिए सरकार के सामने पूरे प्रदेश को ध्यान में रखकर तैयारी करनी पड़ेगी। ऐसा हुआ तो जिस अमले को वर्क फ्राम होम के जरिए घर बैठाया गया है, उसकी विधानसभा में एंट्री जरूरी होगी। 

    बावजूद इसके एक मनोनीत विधायक समेत सत्तापक्ष-विपक्ष के कुल 71 विधायकों की सदन में मौजूदगी रहेगी। बजट को लेकर संबंधित महकमों के अधिकारियों, विधानसभा के भीतर कुल 350 का स्टाफ, पुलिस कर्मियों, अधिकारियों, दर्शकों व पत्रकारों की दीर्घाओं की कुल करीब 100 क्षमता का उपयोग होने पर बड़ी संख्या में विधानसभा में लोगों का जमावड़ा होगा। 

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    सूत्रों के मुताबिक मौजूदा परिस्थितियों में सरकार बजट सत्र को सिर्फ एक घटा चलाने के पक्ष में है। प्रश्नकाल और कार्यस्थगन को लेकर विपक्ष के रुख पर भी सरकार की नजर रहेगी। यह देखना दिलचस्प होगा कि बजट सत्र के बारे में फैसला आम सहमति से होता है अथवा बहुमत के आधार पर।

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