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    Uttarkashi Cloudburst: धराली में 150 लोग लापता! समय के साथ छूट रही आस; चश्मदीदों का दर्द झकझोरने वाला

    Updated: Mon, 11 Aug 2025 09:54 PM (IST)

    उत्तराखंड के धराली में आई आपदा के बाद लापता लोगों का सही आंकड़ा अभी तक स्पष्ट नहीं है। सरकारी आंकड़ों में 60-65 लोगों के लापता होने की बात कही जा रही है जबकि स्थानीय लोगों का मानना है कि यह संख्या 120 से 150 तक हो सकती है। मलबे में दबे लोगों की तलाश जारी है लापता लोगों के परिजन अभी भी अपनों के मिलने की उम्मीद लगाए बैठे हैं।

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    सैंजी गांव में आपदा से तबाह घर के निशां खोजते ग्रामीण। जागरण

    सुमन सेमवाल, धराली। धराली की जिस जलप्रलय में एक झटके में 150 से 200 भवन तिनके की तरह बह गए, उसमें कितनी जिंदगियां दफ्न हुई होंगी, इसके आंकड़े जारी करने में सरकार बेहद सावधानी बरत रही है।

    अभी तक चौतरफा फैले मलबे के ढेर से सिर्फ एक शव निकाले जाने की पुष्टि की गई है। स्थानीय निवासियों में आठ लोग लापता बताए गए हैं और जो कुछ और नाम दर्ज किए गए हैं, उसके आधार पर प्रशासन दबी जुबान से 60 से 65 व्यक्तियों के आपदा में गुम हो जाने की स्वीकारोक्ति कर रहा है।

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    हालांकि, जिन लोगों ने आपदा को करीब से देखा और उतने ही करीब से धराली को भी समझते थे, वह मान रहे हैं कि आपदा में 120 से 150 के बीच लोग लापता हैं। आपदा प्रभावित और अन्य स्थानीय 10 से अधिक व्यक्तियों से बातचीत के बाद यह आंकड़ा निकलकर सामने आ रहा है।

    उत्तरकाशी के धराली में आई आपदा के मलबे में दबे लोगों की तलाश के बीच सोमवार को जिंदगी की जद्दोजहद की एक तस्वीर ने सभी का ध्यान खींचा। दिनभर जेसीबी के जरिये मलबे और पत्थरों को हटाया गया। श्रमिक भी इस काम में जुटे रहे। मूल रूप से नेपाल निवासी श्रमिक सविता ने अपनी एक वर्ष की बेटी को मलबे में छोड़ने के बजाय कंधे में बांधा और काम में जुट गईं। सवाल जिंदगी से जुड़ा है, दूसरों की भी और अपनों की भी। -अनिल डोगरा

    धराली आपदा के प्रभावित रामलाल बताते हैं कि जिस समय जलप्रलय आई, तब होटल चंद्रलोक में करीब 40 श्रमिक थे। इस होटल के कमरे श्रमिकों और विभिन्न प्रतिष्ठानों में काम करने वाले कर्मचारियों को किराये पर दिए गए थे। जिसमें 10 से अधिक श्रमिक बिहार के, 20 से अधिक नेपाल और आठ व्यक्ति आसपास के शामिल थे।

    आपदा के बाद किसी का भी कहीं पता नहीं चल रहा है। जिन व्यक्तियों को वह करीब से जानते थे, उनमें उन्हीं के भाई का बेटा शुभम के साथ आकाश, गोलू और सुमित भी लापता हैं। इसके अलावा उत्तरकाशी के गणेशपुर निवासी सुरेंद्र राणा को भी वह जानते थे और आपदा के बाद से उनका भी कहीं पता नहीं है।

    इसी तरह पुरानी धराली निवासी आपदा प्रभावित ज्ञानेंद्र पंवार बताते हैं कि वह भाग्यशाली थे, क्योंकि सोमेश्वर देवता मंदिर में पूजा होने के चलते वह परिवार के साथ मंदिर प्रांगण में मौजूद थे। गांव के ही 60 से अधिक लोग पूजा में भाग लेने आए थे। हालांकि, उस समय भी धराली में 120 से अधिक लोग थे।

    उम्मीद भरी निगाह: उत्तरकाशी के धराली में आई आपदा को सात दिन बीत गए हैं। लापता हुए लोगों के स्वजन ने अभी भी उम्मीद नहीं छोड़ी है। उन्हें यकीन है कि अपने मिलेंगे। सोमवार को नेपाल निवासी प्रकाश धराली में जेसीबी पर टकटकी लगाए रहा। उसके भाई रमेश और भाभी प्रिया आपदा के बाद से लापता हैं। प्रकाश सुबह ही धराली पहुंच गया। अपनों की तलाश की। सफलता नहीं मिली तो जेसीबी के पास खड़ा हो गया। -अनिल डोगरा

    पर्यटन सीजन न होने के कारण पर्यटकों की संख्या न के बराबर थी। फिर भी 10 के करीब पर्यटक धराली में थे। जिस विकराल रूप में जलप्रलय आई, उसे देखकर लगता है कि शायद ही कोई मुख्य धराली क्षेत्र से बाहर निकल पाया हो।

    ज्ञानेंद्र बताते हैं कि वह जितने भी स्थानीय निवासियों से बात कर रहे हैं, सभी का मानना है कि इस आपदा में 150 के आसपास लोग तो लापता हुए ही हैं।

    धराली क्षेत्र में मौजूद तमाम अन्य लोग भी अपनी जानकारी के अनुसार लापता व्यक्तियों का करीब-करीब यही आंकड़ा बता रहे हैं। देर सबेर सरकारी तंत्र भी आपदा की चपेट में आकर गायब हुए व्यक्तियों का आंकड़ा जारी कर देगा।

    इसके साथ ही राहत एवं बचाव कार्यों में लगी एजेंसियां युद्धस्तर पर जिंदगियों की तलाश में लगी हैं। तमाम लोग इस उम्मीद में भी हैं कि कहीं कोई चमत्कार हो और उनका अपना उन्हें मिल जाए। लेकिन, समय के साथ आस भी छूट रही है। ऐसे में अब लोग अपनों की जिंदगी की कड़ी टूटने की आशंका में यह भी आस लगाए बैठे हैं कि उनके अपने का शरीर ही उन्हें मिल जाए।