Move to Jagran APP

सेहत के लिहाज से अहम हैं उत्तराखंड के जंगली फल

उत्तराखंड में पाए जाने वाले जंगली फल न सिर्फ स्वाद, बल्कि सेहत की दृष्टि से कम अहमियत नहीं रखते।

By Sunil NegiEdited By: Published: Fri, 07 Sep 2018 10:03 AM (IST)Updated: Fri, 07 Sep 2018 08:46 PM (IST)
सेहत के लिहाज से अहम हैं उत्तराखंड के जंगली फल
सेहत के लिहाज से अहम हैं उत्तराखंड के जंगली फल

देहरादून, [केदार दत्त]: 'बेडु पाको बारामासा, नारैणा काफल पाको चैता।' इस उत्तराखंडी लोकगीत पर भले ही लोगों की थिरकन बढ़ जाती हो और वे खुद के पहाड़ की वादियों में होने का अहसास करते हों, पर जिन फलों का इसमें जिक्र हुआ है, क्या वे उनके बारे में भी जानते हैं। अधिकांश का जवाब ना में होगा। असल में महत्व न मिलने से बेडू, तिमला, काफल, मेलू, घिंघोरा, अमेस, हिंसर, किनगोड़ जैसे जंगली फल हाशिये पर चले गए। जबकि स्वादिष्ट एवं सेहत की दृष्टि से महत्वपूर्ण इन फलों को बाजार से जोड़ने पर ये आर्थिकी संवारने का जरिया बन सकते हैं, मगर अभी तक इस दिशा में कोई पहल होती नहीं दीख रही।

loksabha election banner

उत्तराखंड में पाए जाने वाले जंगली फल यहां की लोकसंस्कृति में गहरे तक तो रचे बसे हैं, मगर इन्हें वह महत्व आज तक नहीं मिल पाया, जिसकी दरकार है। अलग राज्य बनने के बाद जड़ीबूटी को लेकर तो खूब हल्ला मचा, मगर इन फलों पर ध्यान देने की जरूरत नहीं समझी गई। और ये सिर्फ लोकगीतों तक ही सिमटकर रह गए। देखा जाए तो ये जंगली फल न सिर्फ स्वाद, बल्कि सेहत की दृष्टि से कम अहमियत नहीं रखते।

बेडू, तिमला, मेलू, काफल, अमेस, दाड़िम, करौंदा, जंगली आंवला व खुबानी, हिसर, किनगोड़, तूंग समेत जंगली फलों की ऐसी सौ से ज्यादा प्रजातियां हैं, जिनमें विटामिन्स और एंटी ऑक्सीडेंट की भरपूर मात्रा है। विशेषज्ञों के अनुसार इन फलों की इकोलॉजिकल और इकॉनामिकल वेल्यू है। इनके पेड़ स्थानीय पारिस्थितिकीय तंत्र को सुरक्षित रखने में अहम भूमिका निभाते हैं, जबकि फल सेहत व आर्थिक दृष्टि से अहम हैं।

बात सिर्फ इन जंगली फलों को महत्व देने की है। अमेस (सीबक थार्म) को ही लें तो चीन में इसके दो-चार नहीं पूरे 133 प्रोडक्ट तैयार किए गए हैं और वहां के फलोत्पादकों के लिए यह आय का बड़ा स्रोत है। उत्तराखंड में यह फल काफी मिलता है, पर इस दिशा में अभी तक कोई कदम नहीं उठाए गए हैं। काफल को छोड़ अन्य फलों का यही हाल है। काफल को भी जब लोग स्वयं तोड़कर बाहर लाए तो इसे थोड़ी बहुत पहचान मिली, लेकिन अन्य फल तो अभी भी हाशिये पर ही हैं।

पद्मश्री डा.अनिल जोशी कहते हैं कि उत्तराखंड में पाए जाने वाले जंगली फल पौष्टिकता की खान हैं। लिहाजा, अब वक्त आ गया है कि इन फलों को भी महत्व दिया जाए। जंगली फलों की क्वालिटी विकसित कर इनकी खेती की जाए और इसके लिए मिशन मोड में कार्ययोजना तैयार करने की जरूरत है। वह जंगली फलों को क्रॉप का दर्जा देने की पैरवी भी करते हैं।

तेज करनी होगी मुहिम

उपेक्षा का दंश झेल रहे जंगली फलों को महत्व देते हुए पूर्व में उद्यान विभाग ने मेलू (मेहल), तिमला, आंवला, जामुन, करौंदा, बेल समेत एक दर्जन जंगली फलों की पौध तैयार कराने का निर्णय लिया। इस कड़ी में कुछ फलों की पौध तैयार कर वितरित भी की जा रही है, लेकिन इसे विस्तार मिलना अभी बाकी है।

जंगली फलों में पोषक तत्व

फल--------------पोषक तत्व

काफल----------अन्य फलों की अपेक्षा 10 गुना ज्यादा विटामिन सी

अमेस-----------विटामिन सी

खुबानी----------विटामिन सी, एंटी ऑक्सीडेंट

आंवला----------विटामिन सी, एंटी ऑक्सीडेंट

तिमला----------विटामिन्स से भरपूर

बेडू---------------विटामिन्स से लबरेज

यह भी पढ़ें: अगर सेहत रखनी है तंदुरुस्त तो फास्‍ट फूड से रहें दूर

यह भी पढ़ें: महंगे नहीं मोटे अनाज से बनती है सेहत, जानिए कैसे

यह भी पढ़ें: उम्र के हिसाब से लें आहार, किस उम्र के लिए क्या है डाइट प्लान; जानिए


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.