Uttarakhand Tourism: पर्यटन को गति देने के लिए उठ रहे कदम, सरकार ने बनाई हैं कई योजनाएं
Uttarakhand Tourism कोरोना के कारण यह क्षेत्र बुरी तरह प्रभावित हुआ है। अब जब धीरे-धीरे व्यवस्थाएं पटरी पर आ रही है तो वहीं उत्तराखंड सरकार भी पर्यटन को गति देने के लिए अपना पूरा प्रयास कर रही है।

राज्य ब्यूरो, देहरादून। Uttarakhand Tourism उत्तराखंड की पर्यटन के क्षेत्र में देश-विदेश में पहचान है। प्रतिवर्ष लाखों की संख्या में पर्यटक उत्तराखंड के धार्मिक व पर्यटन स्थलों पर आते हैं। केदारनाथ धाम में वर्ष 2013 में आई आपदा के बाद पर्यटन काफी कम हो गया था। बीते कुछ वर्षों में इसमें फिर रफ्तार पकड़ी है। हालांकि, इस वर्ष कोरोना के कारण यह क्षेत्र बुरी तरह प्रभावित हुआ है। अब जब धीरे-धीरे व्यवस्थाएं पटरी पर आ रही है तो सरकार भी पर्यटन को गति देने के लिए अपना पूरा प्रयास कर रही है। पर्यटन प्रदेश की आर्थिकी का मुख्य जरिया है। इसके लिए सरकार ने कई योजनाएं बनाई हैं।
चारधाम यात्रा को और अधिक सुव्यवस्थित और सुचारू रूप से संचालित करने के लिए उत्तराखंड चारधाम देवस्थानम प्रबंधन विधेयक लागू किया गया है। केदारनाथ धाम में पुनर्निर्माण के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मार्गदर्शन में सीएसआर और अन्य मदों से लगभग 300 करोड़ का काम पहले चरण में पूरा गया है। दूसरे चरण में 107 करोड़ रुपये का कार्य गतिमान है। इसके लिए केदारनाथ उत्थान चैरिटेबल ट्रस्ट की स्थापना की गई है।
बदरीनाथ धाम के समेकित और सुनियोजित विकास के लिए मास्टर प्लान तैयार करने की कार्यवाही भी गतिमान है। 13 जिलों में शंकर मंदिर, नागदेवता मंदिर, विष्णु मंदिर, नवग्रह मंदिर, गोलज्यू देवता के प्राचीन मंदिर को पर्यटन सर्किट के रूप में विकसित किए जाने के लिए आवश्यक कार्ययोजना तैयार की गई है। इसके अलावा पर्यटन विभाग इस समय रोप वे पर भी फोकस कर रहा है। देहरादून से मसूरी तक का रोप वे पीपीपी मोड पर बनाने के लिए निवेशक का चयन कर लिया गया है।
300 करोड़ की लागत से बनने वाला यह विश्व के सबसे लंबे पांच रोप वे में से एक होगा। कद्दूखाल-सुरकंडा देवी और ठुलीगाड़ से पूर्णागिरी देवी रोप वे परियोजनाओं का निर्माण कार्य पीपीपी मोड पर गतिमान है। केदारनाथ, नैनीताल, भैरवगढ़ी, कालेश्वर मंदिर व अन्य स्थलों पर रोपवे विकसित किए जाने के संबंध में विभिन्न चरणों में कार्यवाही गतिमान है।

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