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खबरदार! कोरोना जांच की फर्जी रिपोर्ट के साथ आ रहे हैं यहां तो थाम लें कदम, नहीं तो खानी पड़ सकती है जेल की हवा

Uttarakhand Tourism खबरदार! अगर आप कोरोना जांच की फर्जी रिपोर्ट के सहारे उत्तराखंड की वादियों की तरफ रुख कर रहे हैं तो थाम लीजिए अपने कदम। वरना सलाखों के पीछे भी पहुंच सकते हो। भविष्य में मुकदमा झेलोगे सो अलग।

By Raksha PanthriEdited By: Published: Sun, 18 Jul 2021 12:01 PM (IST)Updated: Sun, 18 Jul 2021 04:17 PM (IST)
खबरदार! कोरोना जांच की फर्जी रिपोर्ट के साथ आ रहे हैं यहां तो थाम लें कदम, नहीं तो खानी पड़ सकती है जेल की हवा
खबरदार ! कोरोना जांच की फर्जी रिपोर्ट के साथ आ रहे हैं यहां तो थाम लें कदम।

जागरण संवाददाता, देहरादून। Uttarakhand Tourism खबरदार! अगर आप कोरोना जांच की फर्जी रिपोर्ट के सहारे उत्तराखंड की वादियों की तरफ रुख कर रहे हैं तो थाम लीजिए अपने कदम। वरना, सलाखों के पीछे भी पहुंच सकते हो। भविष्य में मुकदमा झेलोगे सो अलग। उत्तराखंड की सीमा में दाखिल होते वक्त आपकी कोरोना जांच का सच पकड़ में आ जाएगा। जांच रिपोर्ट पर लगा बार कोड आपकी पोल खोल देगा। इसलिए सलाह यही कि पहले अपनी कोरोना जांच कराएं और उसके बाद असल रिपोर्ट साथ लेकर उत्तराखंड के हिल स्टेशनों को घूमने की योजना बनाएं।

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कोरोना कर्फ्यू में ढील के बाद से उत्तर प्रदेश, पंजाब, हरियाणा, दिल्ली, राजस्थान समेत कई राज्यों से बड़ी संख्या में सैलानी उत्तराखंड घूमने आ रहे हैं। कोरोना संक्रमण का खतरा टालने के मकसद से राज्य सरकार ने बाहर से आने वालों के लिए 72 घंटे के अंतराल की आरटीपीसीआर जांच की निगेटिव रिपोर्ट, देहरादून स्मार्ट सिटी पोर्टल पर रजिस्ट्रेशन व ठहरने का आरक्षण अनिवार्य किया हुआ है, लेकिन बड़ी संख्या में पर्यटक कोरोना जांच की फर्जी रिपोर्ट लेकर उत्तराखंड की सीमा में दाखिल होने की कोशिश कर रहे हैं। कुछ लोग अपनी पुरानी कोरोना जांच रिपोर्ट में तारीख बदलकर नया प्रिंट साथ लेकर चल रहे हैं तो कुछ फर्जी रिपोर्ट तैयार कराकर साथ ला रहे हैं।

उत्तराखंड की सीमाओं पर चेकिंग के दौरान ऐसी रिपोर्ट वाले पर्यटक पकड़े जा रहे हैं। बार कोड स्कैन करने पर उनकी जांच रिपोर्ट की असलियत सामने आ रही हैं। पिछले चार दिनों के अंतराल में फर्जी रिपोर्ट के डेढ़ सौ से ज्यादा मामले पकड़ में आ चुके हैं। इनमें सर्वाधिक देहरादून में आशारोड़ी चेकपोस्ट पर पकड़े गए। शनिवार को भी 55 फर्जी रिपोर्ट पकड़ी गईं। लगातार ऐसे मामले सामने आने पर अब पुलिस ने सख्ती बरतनी शुरू कर दी है। फर्जी रिपोर्ट वालों पर धोखाधड़ी और महामारी एक्ट का मुकदमा दर्ज किया जा रहा है। दो मुकदमे दर्ज भी किए जा चुके हैं। इनमें 13 पर्यटकों को नामजद किया गया है। दो वाहनों में सवार इन सभी के पास मिली कोरोना जांच रिपोर्ट फर्जी पाई गई थी।

जेल की हवा भी खानी पड़ सकती है

जैसा कि पुलिस का कहना है कि फर्जी रिपोर्ट हासिल करना संगीन अपराध है। यह कृत्य करने वालों को जेल की हवा भी खानी पड़ सकती है। यही नहीं, अभी अगर थाने से जमानत हासिल कर लें, लेकिन भविष्य में मुकदमे के निपटारे के लिए अदालतों के चक्कर भी काटने पड़ सकते हैं। युवाओं को सरकारी नौकरी के साथ ही पासपोर्ट बनवाने में भी दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है।

स्वास्थ्य विभाग नरम

उत्तराखंड की सीमाओं पर फर्जी रिपोर्ट के साथ पकड़े जा रहे पर्यटकों के खिलाफ स्वास्थ्य विभाग का रवैया नरम है। भले ही पुलिस ऐसे पर्यटकों को पकड़कर मुकदमा दर्ज कर रही हो, लेकिन स्वास्थ्य विभाग के स्तर से पकड़े जाने वाले मामलों की शिकायत पुलिस को नहीं मिल रही है। उसके स्तर पर पर्यटकों को बिना कार्रवाई के लौटा दिया जा रहा है।

एसएसपी डॉ. योगेंद्र सिंह रावत ने बताया कि आरटीपीसीआर की फर्जी रिपोर्ट लाने पर मुकदमा दर्ज कर उनके खिलाफ नोटिस जारी किया जाता है। इस मामले में फर्जीवाड़ा करने वाले को सजा भी हो सकती है। पर्यटक कोई ऐसा काम न करें, जिससे उन्हें भविष्य में कई प्रकार की दिक्कत उठानी पड़े। इस तरह का फर्जीवाड़ा करने पर सरकारी दस्तावेज बनाने में भी उन्हें परेशानी आ सकती है।

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