उत्तराखंड के सभी जिलों में स्थापित किए जाएंगे सायरन, इमरजेंसी में होगा इनका उपयोग
उत्तराखंड सरकार राज्य के सभी जिलों में सायरन स्थापित करेगी। आपदा प्रबंधन सचिव के अनुसार जिलाधिकारियों को निर्देश दिए गए हैं कि वे आपात स्थिति में लोगों को सूचित करने के लिए सायरन स्थापित करें। इसका उद्देश्य आपदाओं से निपटने की तैयारी को मजबूत करना है खासकर भूकंप और सीमा सुरक्षा के मद्देनजर। आपदा प्रबंधन सचिव के अनुसार जिलाधिकारियों को निर्देश दिए गए हैं ।

राज्य ब्यूरो, जागरण देहरादून। किसी भी आपात स्थिति के दृष्टिगत जानकारी देने के उद्देश्य से राज्य के सभी जिलों में सायरन स्थापित किए जाएंगे। मुख्य सचिव के निर्देशों के क्रम में आपदा प्रबंधन विभाग इस कसरत में जुट गया है।
आपदा प्रबंधन सचिव विनोद कुमार सुमन के अनुसार सभी जिलाधिकारियों से कहा गया है कि वे अपने-अपने जिलों में जगह-जगह सायरन स्थापित कराने के साथ ही अन्य संसाधनों में वृद्धि कर इन्हें बेहतर बनाएं, ताकि किसी भी स्थिति का सामना करने के लिए इनका उपयोग किया जा सके।
चीन और नेपाल की सीमा से सटा उत्तराखंड सामरिक दृष्टि से भी संवेदनशील है। राज्य की लगभग 650 किलोमीटर की सीमा इन दोनों देशों से लगती है। भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव के दृष्टिगत राज्य में विशेष सतर्कता बरती जा रही है।
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जिलों में सायरन स्थापित किए जाएंगे। जागरण
यही नहीं, समूचा उत्तराखंड आपदा की दृष्टि से भी संवेदनशील है। संपूर्ण राज्य भूकंपीय संवेदनशीलता के हिसाब से जोन चार व पांच के अंतर्गत है। इसके साथ ही राज्य को प्रतिवर्ष अतिवृष्टि, बादल फटना, भूस्खलन, बाढ़, जंगल की आग जैसी आपदाओं से जूझना पड़ता है।
इस सबको देखते हुए किसी भी आपात स्थिति के दृष्टिगत आमजन की जागरूकता पर जोर दिया जा रहा है। मुख्य सचिव ने सोमवार को हुई उच्च स्तरीय बैठक में जिलों में सायरन की व्यवस्था समेत अन्य संसाधन बेहतर करने के निर्देश दिए। आपदा प्रबंधन सचिव विनोद कुमार सुमन के अनुसार जिलाधिकारियों से कहा गया है कि वे अपने-अपने जिलों में जहां सायरन कम हैं, वहां उनकी संख्या बढ़ाई जाए और जहां नहीं हैं, वहां इनकी व्यवस्था सुनिश्चित की जाए।
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