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    उत्‍तराखंड में हुई 13 आदर्श संस्कृत ग्राम योजना की शुरूआत, सीएम धामी ने किया शुभारंभ

    Updated: Sun, 10 Aug 2025 12:35 PM (IST)

    उत्तराखंड सरकार ने राज्य में संस्कृत भाषा को बढ़ावा देने के लिए 13 आदर्श संस्कृत ग्राम विकसित करने का निर्णय लिया है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने देहरादून के भोगपुर गांव से इस योजना की शुरुआत की। इन गांवों का उद्देश्य भारतीय संस्कृति को बढ़ावा देना संस्कृत को दैनिक जीवन में उपयोग में लाना और समाज को बेहतर बनाना है। सरकार संस्कृत भाषा के संरक्षण के लिए प्रतिबद्ध है।

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    सूबे में 13 आदर्श संस्कृत ग्राम योजना की मुख्यमंत्री धामी ने की शुरूआत। फाइल

    राज्य ब्यूरो, जागरण, देहरादून। सूबे में देववाणी संस्कृत के संरक्षण एवं संवर्धन के लिए सरकार ने 13 आदर्श संस्कृत ग्राम विकसित करने का निर्णय लिया है। जिसकी विधिवत शुरूआत मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने 10 अगस्त (रविवार) को संस्कृत ग्राम भोगपुर (देहरादून) से की। कार्यक्रम में सभी जिलों के आदर्श संस्कृत ग्राम वर्चुअल माध्यम से जुड़े।

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    मुख्यमंत्री ने उत्तरकाशी और पौड़ी में आई आपदा पर दुख व्यक्त करते हुए कहा कि राज्य सरकार आपदा प्रभावित क्षेत्रों में पुनर्वास कार्यों को पूरी संवेदना और तेज गति से करेगी। उन्होंने कहा राज्य सरकार, उत्तराखंड के प्रत्येक जनपद में आदर्श संस्कृत ग्राम की स्थापना कर देववाणी संस्कृत को जन-जन तक पहुंचाने का कार्य कर रही है। देवभूमि उत्तराखंड सदियों से देववाणी संस्कृत के अध्ययन और शोध का केंद्र रही है। राज्य सरकार का प्रयास है कि देववाणी संस्कृत की पवित्र ज्योति को उत्तराखंड में प्रज्ज्वलित रखा जाए।

    मुख्यमंत्री ने कहा उत्तराखंड पहला राज्य है। जो इस तरह की पहल से देववाणी संस्कृत के संरक्षण एवं संवर्धन पर कार्य कर रहा है। संस्कृत भाषा हमारी संस्कृति, परंपरा, ज्ञान और विज्ञान का मूल आधार है। संस्कृत भाषा के आधार पर ही प्राचीन मानव सभ्यताओं का विकास संभव हो सका है। सनातन संस्कृति में वेदों, ग्रंथों, पुराणों और उपनिषदों की रचना संस्कृत में ही की गई है। संस्कृत भाषा अनादि और अनंत है।

    मुख्यमंत्री ने कहा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत की सांस्कृतिक विरासत के संरक्षण और संवर्धन के लिए कार्य किया जा रहा है। नई शिक्षा नीति में संस्कृत को आधुनिक और व्यवहारिक भाषा के रूप में स्थापित करने के लिए विशेष प्रयास किए गए हैं। संस्कृत विश्वविद्यालयों को आधुनिक संसाधनों से जोड़ा जा रहा है। संस्कृत साहित्य को ऑनलाइन प्लेटफॉर्म्स, ई-संस्कृत शिक्षण प्लेटफॉर्म एवं संस्कृत ऐप्स विकसित किया जा रहा है। केंद्र सरकार ने लोकसभा की कार्यवाही का अनुवाद संस्कृत भाषा में भी किए जाने की शुरुआत की है।

    मुख्यमंत्री ने कहा आदर्श संस्कृत ग्रामों में लोग अपने दैनिक जीवन में संस्कृत का प्रयोग करेंगे जिससे देववाणी पुनः हमारे जीवन में बोलचाल, व्यवहार और संवाद का हिस्सा बन सकेगी। राज्य सरकार प्रदेश के विद्यालयों में संस्कृत शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए विशेष छात्रवृत्ति प्रदान कर रही है। संस्कृत भाषा में उत्कृष्ट प्रदर्शन करने वाले विद्यार्थियों को संस्कृत छात्र प्रतिभा सम्मान योजना से सम्मानित किया जा रहा है। संस्कृत के प्रचार - प्रसार के लिए उत्तराखंड संस्कृत अकादमी, हरिद्वार के माध्यम से अखिल भारतीय शोध सम्मेलन, अखिल भारतीय ज्योतिष सम्मेलन, अखिल भारतीय वेद सम्मेलन जैसे विभिन्न कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं।

    मुख्यमंत्री ने कहा राज्य सरकार ने कई ऐतिहासिक निर्णय भी लिए हैं। देश में सबसे पहले समान नागरिक संहिता को हमारे राज्य में लागू किया गया है। नकल विरोधी कानून लागू होने के बाद लगभग 23 हजार से अधिक युवाओं को सरकारी नौकरी मिली है। उत्तराखंड के सांस्कृतिक मूल्यों और डेमोग्राफी को भी संरक्षित रखा जा रहा है। राज्य में ऑपरेशन कालनेमि के माध्यम से सनातन धर्म को बदनाम करने वाले पाखंडियों के खिलाफ सख्त कार्यवाही की जा रही है।

    कैबिनेट मंत्री डॉ. धन सिंह रावत ने कहा कि संस्कृत भाषा हमारी ऐतिहासिक धरोहर है। उत्तराखंड भारत का पहला राज्य है, जिसने संस्कृत भाषा को अपनी दूसरी आधिकारिक भाषा घोषित किया है। उन्होंने कहा अगले वर्ष से संस्कृत विद्यालयों में एनसीसी, एन.एस.एस का शुभारंभ के साथ ही शिक्षकों की कमी को दूर किया जाएगा। कैबिनेट मंत्री ने संस्कृत विश्वविद्यालय के इन्फ्रास्ट्रक्चर विकास के लिए पूर्व में मुख्यमंत्री द्वारा 75 करोड़ दिए जाने पर भी आभार जताया। उन्होंने कहा कि 13 संस्कृत ग्रामों में संस्कृति भाषा के प्रचार प्रसार के लिए आगे काम किया जाएगा।

    इस अवसर पर विधायक बृजभूषण गैरोला, मेयर ऋषिकेश शंभू पासवान, सचिव दीपक कुमार, उत्तराखंड संस्कृति विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. दिनेश चंद्र शास्त्री, मधुकेश्वर भट्ट, एवं अन्य लोग मौजूद रहे।

    सूबे के संस्कृत शिक्षा मंत्री डा. धन सिंह रावत ने बताया कि राज्य सरकार प्रदेश की दूसरी राजभाषा और देववाणी संस्कृत के संरक्षण एवं संवर्धन के लिए प्रतिबद्ध है। संस्कृत को जनभाषा बनाने और इसका गौरव लौटाने के लिए सरकार ने प्रदेश के सभी जनपदों में एक-एक आदर्श संस्कृत ग्राम बनाने की पूर्व में घोषणा की है। इन ग्रामों का चयन भी कर दिया गया है।

    संस्कृत सप्ताह के अवसर पर 10 अगस्त (रविवार) को संस्कृत ग्राम भोगपुर, देहरादून में आयोजित कार्यक्रम में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी इस योजना का विधिवत शुभारंभ करेंगे, डा.रावत ने बताया कि इन गांवों में भारतीय आदर्शों का स्थापित किया जाएगा, ग्रामीण देववाणी संस्कृत को आत्मसात कर आपसी वार्तालाप से लेकर सभी कामकाज संस्कृत में कर सकेंगे।

    साथ ही सनातन संस्कृति के अनुरूप विभिन्न संस्कारों के अवसर पर वेद, पुराणों और उपनिषदों का पाठ इन गांवों में किया जाएगा। संस्कृत शिक्षा मंत्री ने बताया कि आदर्श संस्कृत ग्राम की स्थापना सभ्य समाज के निर्माण, संस्कृति की रक्षा, सद्भावना निर्माण, नारी सम्मान के अभिवर्धन, चरित्र निर्माण, अपराध प्रवृत्ति रोकने, नशामुक्त समाज बनाने को लेकर की जा रही है।

    ये हैं आदर्श संस्कृत ग्राम

    नूरपुर पंजनहेड़ी (हरिद्वार), कोटगांव (उत्तरकाशी), डिंमर (चमोली), बैंजी (रूद्रप्रयाग), मुखेम (टिहरी), भोगपुर (देहरादून), गोदा (पौड़ी), उर्ग (पिथौरागढ़), खर्ककार्की (चम्पावत), सेरी (बागेश्वर), जैंती पांडेकोटा (अल्मोड़ा), पांडेगांव (नैनीताल), नगला तराई (ऊधमसिंह नगर) शामिल हैं।