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उत्तराखंड के चाय बागान भी पर्यटन के जरिये भरेंगे राज्य की झोली

पूर्वोत्तर राज्यों की भांति उत्तराखंड के चाय बागान भी पर्यटन के जरिये राज्य की झोली भरेंगे। सरोवरनगरी नैनीताल के भवाली में यह प्रयोग सफल रहने के बाद अब इसे विस्तार दिया जा रहा है। कौसानी और अल्मोड़ा के चाय बागानों को टी-टूरिज्म के तौर पर विकसित किया जा रहा है।

By Sunil NegiEdited By: Published: Sun, 14 Feb 2021 06:30 AM (IST)Updated: Sun, 14 Feb 2021 06:30 AM (IST)
पूर्वोत्तर राज्यों की भांति उत्तराखंड के चाय बागान भी पर्यटन के जरिये राज्य की झोली भरेंगे।

राज्य ब्यूरो, देहरादून। पूर्वोत्तर राज्यों की भांति उत्तराखंड के चाय बागान भी पर्यटन के जरिये राज्य की झोली भरेंगे। सरोवरनगरी नैनीताल के भवाली में यह प्रयोग सफल रहने के बाद अब इसे विस्तार दिया जा रहा है। कौसानी और अल्मोड़ा के चाय बागानों को टी-टूरिज्म के तौर पर विकसित किया जा रहा है। इसकी कवायद तेज की गई है। प्रयास ये है कि इन बागानों में नए वित्तीय वर्ष से टी-टूरिज्म की गतिविधियां प्रारंभ हो जाएं। इसके साथ ही उत्तराखंड के चाय बागानों में फिल्म शूटिंग के मद्देनजर मुंबई फिल्म इंडस्ट्री से भी संपर्क साधने की तैयारी है।

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असोम समेत अन्य पूर्वोत्तर राज्यों में चाय उत्पादन वहां की आर्थिकी का महत्वपूर्ण जरिया है। न सिर्फ चाय उत्पादन बल्कि चाय बागानों की सैर और फिल्म शूटिंग के जरिये भी इन राज्यों को अच्छी आमदनी हो रही तो वहां रोजगार के अवसर भी बढ़े हैं। इस सबको देखते हुए उत्तराखंड ने भी इस माडल को यहां लागू करने का निश्चय किया। इसी के तहत चाय बागानों की सेहत संवारने के साथ ही इन्हें पर्यटन की दृष्टि से विकसित किया जा रहा है।

इस कड़ी में उत्तराखंड चाय विकास बोर्ड ने तीन साल पहले नैनीताल के भवाली स्थित चाय बागान में टी-टूरिज्म की पहल की। 15 हेक्टेयर के इस बागान के लिए पर्यटक सोसायटी गठित की गई। साथ ही ट्रैक का निर्माण, कैफे, पर्यटकों के लिए हट, फोटोग्राफी, सोवेनियर शाप, सुलभ शौचालय जैसी सुविधाएं विकसित की गईं। बोर्ड के निदेशक संजय श्रीवास्तव के अनुसार इसके बेहतर नतीजे आए। पिछले वित्तीय वर्ष में बागान को पर्यटन से 42 लाख रुपये की आय हुई। कोरोना संकट के बावजूद इस वित्तीय वर्ष में अब तक करीब पांच लाख की आय हो चुकी है। साथ ही सैलानी चाय बागान के साथ ही ग्रीन,ब्लैक टी के बारे में जानकारी ले रहे हैं।

श्रीवास्तव के अनुसार अब यही प्रयोग कौसानी और चंपावत के चाय बागानों में धरातल पर उतारा जा रहा है। 35 हेक्टेयर में फैले कौसानी चाय बागान में पर्यटन से संबंधित व्यवस्थाएं जुटाने का काम अंतिम चरण में है। इसके अलावा चंपावत में सिलिंगडांग स्थित चाय बागान के लिए 1.05 करोड़ रुपये की राशि अवमुक्त हो चुकी है। इन दोनों बागानों में भी इसी वित्तीय वर्ष से टी-टूरिज्म की गतिविधियां शुरू हो जाएंगी। उन्होंने कहा कि इस पहल को धीरे-धीरे अन्य चाय बागानों में भी आकार दिया जाएगा।

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