उत्तराखंड: 24 हजार का शीशा नहीं डाला, गंवा दिए 12 लाख; जानिए क्या और कहां का है ये मामला
उत्तराखंड में रोडवेज की ग्रामीण डिपो की साधारण बस (यूके07-पीए-4529)। रोज करीब 20 हजार रुपये की आय करने वाली यह बस दो माह से कार्यशाला में खड़ी हुई है। वजह इस बस का फ्रंट शीशा टूटा हुआ है।

अंकुर अग्रवाल, देहरादून। उत्तराखंड रोडवेज की ग्रामीण डिपो की साधारण बस (यूके07-पीए-4529)। रोज करीब 20 हजार रुपये की आय करने वाली यह बस दो माह से कार्यशाला में खड़ी हुई है। वजह इस बस का फ्रंट शीशा टूटा हुआ है। शीशे का मूल्य महज 24 हजार रुपये है, लेकिन रोडवेज प्रबंधन के पास इसे खरीदने के लिए बजट नहीं। इसके बदले लाखों का नुकसान उसे मंजूर है।
दून-दिल्ली मार्ग पर दौड़ने वाली इस बस के खड़े रहने से गुजरे दो माह में रोडवेज को करीब 12 लाख की चपत लग गई, लेकिन प्रबंधन ने 24 हजार रुपये का शीशा लगाना जरूरी नहीं समझा। यह अकेले (यूके07-पीए-4529) बस का मामला नहीं, ऐसी करीब 250 बसें विभिन्न पाट्र्स न होने की वजह से कार्यशालाओं में खड़ी हैं, लेकिन अधिकारी सुध लेने को भी राजी नहीं, भले इसके एवज में रोजाना 20 लाख का नुकसान क्यों न हो जाए।
करीब 500 करोड़ के वित्तीय घाटे से जूझ रहे रोडवेज की कार्यशालाओं में टायर और स्पेयर पार्ट्स न होने के कारण मौजूदा समय में तकरीबन 250 बसें खड़ी हुई हैं। अकेले दून पर्वतीय डिपो में ही 18 बसें टायर और स्पेयर पार्ट्स न होने की वजह से खड़ी हुई हैं। ग्रामीण डिपो के हालात और भी बुरे हैं। यहां करीब 35 बसें खड़ी हुई हैं और इनमें कुछ बसें ऐसी हैं, जिन्हें दो से तीन माह से हो गए। किसी में टायर की कमी है तो कोई शीशा या ब्रेक नहीं होने के कारण खड़ी हुई है।
किसी बस का गियर लीवर खराब है तो कोई क्लच प्लेट के कारण खड़ी है। हालात ये हैं कि कार्यशालाओं में गुजरे छह माह से टायर व स्पेयर्स पार्ट्स की कमी बनी हुई है, लेकिन रोडवेज मुख्यालय सुध लेने को भी राजी नहीं। हालात यह हैं कि बसों के पुराने टायरों पर नई रबड़ चढ़ाकर मार्गों पर भेजा जा रहा, जिस वजह से हादसों की आशंका बनी रहती हैं। पुराने बिल का पेमेंट ना होने पर कंपनियों ने स्पेयर पार्ट्स की सप्लाई पर रोक लगाई हुई है। कर्मचारियों के आरोप हैं कि टायर, क्लच प्लेट व स्टेयरिंग राड समेत कमानी, रेडियेटर आदि न होने की वजह से बसें खड़ी हैं और इस कारण से संविदा और विशेष श्रेणी चालक और परिचालक मार्गों पर नहीं जा पा रहे। मार्गों पर न जाने के कारण इनका वेतन भी नहीं बनेगा।
रोडवेज के प्रबंध निदेशक अभिषेक रुहेला ने बताया कि स्पेयर्स पार्ट्स की कमी को दूर किया जा रहा है। कोविडकाल के कारण हुए आर्थिक नुकसान के बाद कुछ दिक्कतें जरूर आई हैं लेकिन अब सभी कार्य सामान्य किए जाने के प्रयास चल रहे। टायर और लुब्रिकेंट्स की सप्लाई होने लगी है। स्पेयर्स पार्ट्स की जो कमी है, वह भी अगले 15 दिनों में दुरुस्त कर ली जाएगी। इसके बाद पूरी क्षमता के साथ बसें मार्गों पर चलेंगी।
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