फिर खाता खाली, करोड़ों के घाटे में चल रहे उत्तराखंड रोडवेज की बसों ने चुकाया दोगुना टोल; जानें- क्या है चक्कर
उत्तराखंड परिवहन निगम यानी रोडवेज को अधिकारियों की लापरवाही रविवार को फिर भारी पड़ी। दो सप्ताह में रोडवेज का फास्टैग का खाता दूसरी बार खाली हो गया। इससे रविवार को सुबह से शाम तक बसों ने सभी मार्गों पर दोगुना टोल चुकाया।

जागरण संवाददाता, देहरादून। करोड़ों के घाटे में चल रहे और आर्थिक तंगी झेल रहे उत्तराखंड परिवहन निगम यानी रोडवेज को अधिकारियों की लापरवाही रविवार को फिर भारी पड़ी। दो सप्ताह में रोडवेज का फास्टैग का खाता दूसरी बार खाली हो गया। इससे रविवार को सुबह से शाम तक बसों ने सभी मार्गों पर दोगुना टोल चुकाया और निगम को लाखों की चपत लग गई। निगम प्रबंधन हर बार की तरह इस बार भी तकनीकी खामी का हवाला देकर पल्ला झाड़ रहा है, लेकिन बार-बार हो रही इस लापरवाही से कर्मचारियों में आक्रोश है। उनका कहना है कि प्रबंधन के पास उन्हें वेतन व दीपावली का प्रोत्साहन भत्ता देने को बजट नहीं है, जबकि दोगुना टोल देकर लाखों की चपत लग रही है। इसका जिम्मेदार कौन है।
पिछले छह माह में यह चौथी बार है, जब फास्टैग का खाता खाली होने से बसों को दोगुना टोल चुकाना पड़ा। इससे पूर्व नौ अप्रैल, फिर 27 अक्टूबर और उसके बाद 30 नवंबर को भी यही परेशानी हुई थी। तब भी प्रबंधन ने तकनीकी गड़बड़ी बताते हुए पल्ला झाड़ लिया था। अब रविवार को फिर से सुबह करीब 10 बजे बसों में टोल के लिए लगाए गए फास्टैग का खाता खाली हो गया।
इस कारण दिल्ली मार्ग पर दौराला मेरठ टोल प्लाजा पर बस का टोल 310 रुपये है, लेकिन उत्तराखंड की रोडवेज बसों ने 620 रुपये टोल दिया। दून-हल्द्वानी मार्ग पर रामपुर में टोल प्लाजा पर 405 रुपये शुल्क है, लेकिन वहां बसों को 810 रुपये टोल देना पड़ा। दून-हरिद्वार मार्ग पर लच्छीवाला टोल प्लाजा व हरिद्वार-रुड़की मार्ग पर बहादराबाद के टोल प्लाजा पर भी दोगुना टोल लगा। चालक-परिचालकों ने जब डिपो में शिकायत की तो रोडवेज प्रबंधन हरकत में आया और खाते में रकम डाली गई।
फास्टैग खाते की देखरेख को नियुक्त है एक अधिकारी
दो साल पहले टोल प्लाजा पर फास्टैग अनिवार्य होने के बाद रोडवेज मुख्यालय ने अपनी सभी बसों पर फास्टैग लगवा दिए थे। यह पीटीएम के जरिये लिए गए और फास्टैग का खाता भी अलग कर दिया गया। एक अधिकारी सिर्फ इस खाते की देखरेख के लिए नियुक्त किया गया है। उसकी जिम्मेदारी यह रहती है कि खाता कभी खाली न हो, क्योंकि इस सूरत में बसों को दोगुना टोल देना पड़ता है।
रोडवेज के महाप्रबंधक संचालन दीपक जैन ने बताया कि फास्टैग के लिए पेटीएम के वालेट में 24 लाख रुपए थे, लेकिन यह धनराशि पेटीएम से फास्टैग को ट्रांसफर नहीं हो सकी। जिससे टोल प्लाजा पर बसों को दोगुना टोल देकर रसीद लेनी पड़ी। इसी रसीद का रिकार्ड बनाकर पेटीएम को भेजा जा रहा है, ताकि रकम वापस ली जा सके।
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