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    Uttarakhand News: पहाड़ की सड़कों पर आपदा का वार, जख्म हर साल 300 करोड़ पार

    Updated: Sun, 24 Aug 2025 10:44 AM (IST)

    उत्तराखंड में आपदाओं के कारण सड़कों को हर साल भारी नुकसान हो रहा है जिससे राज्य को करोड़ों रुपये का नुकसान होता है। लोक निर्माण विभाग (पीडब्ल्यूडी) ने प्लास्टिक की सड़कों समेत कई योजनाएँ बनाईं लेकिन वे अभी तक फाइलों में ही बंद हैं। हर साल सड़कें क्षतिग्रस्त हो जाती हैं जिससे मरम्मत पर भारी खर्च आता है। विभाग नुकसान को कम करने के लिए लगातार प्रयास कर रहा है।

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    प्लास्टिक की सड़कों समेत कई अन्य उपायों को लेकर योजना तो बनी, लेकिन यह फाइलों तक ही सीमित रही।-जागरण

    अश्वनी त्रिपाठी, देहरादून। आपदायें हर साल उत्तराखंड की एक तिहाई सड़कों को लहूलुहान कर रही हैं। इस बार भी मानसून 300 करोड़ से अधिक का नुकसान सड़कों को पहुंचा चुका है। प्रत्येक वर्ष आपदा में 300 से 400 करोड़ का बजट सड़कों पर बह जाता है।

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    इसके बावजूद लोक निर्माण विभाग आपदा से सड़कों के नुकसान को कम करने का रास्ता नहीं तलाश सका है। पिछले कुछ सालों में प्लास्टिक की सड़कों समेत कई अन्य उपायों को लेकर योजना तो बनी, लेकिन यह फाइलों तक ही सीमित रही।

    उत्तराखंड में इस बार 2500 से अधिक सड़कें जख्मी हो चुकी हैं। लोक निर्माण विभाग 300 करोड़ के बजट से नए टेंडर आवंटित कर सड़कों की मरम्मत की तैयारी में जुट गया है। इसमें से कई सड़कें तो ऐसी हैं, जिन्हें पिछले वर्ष ही मानसून में क्षतिग्रस्त होने के बाद बनवाया गया था।

    इस बार वर्षा में वह फिर ध्वस्त हो गईं। सरकारी आंकड़ों के अनुसार वर्ष 2024 में भी सड़कों को 300 करोड़ से अधिक का नुकसान पहुंचा था। वर्ष 2023 में तो 451 करो़ड़ से अधिक की क्षति हुई। बड़ा सवाल यह भी है कि आखिर लोक निर्माण विभाग के पास क्या सड़कों का ऐसा कौन सा माडल है, जिससे सड़कों को होने वाले नुकसान को न्यूनतम किया जा सके।

    प्लास्टिक कचरे से बनी सड़कों पर चर्चा तो हुई, अमल नहीं

    प्लास्टिक कचरे से बनी सड़क पहाड़ों पर बेहद कारगर है। इसमें प्लास्टिक को गर्म बिटुमेन के साथ मिलाकर पत्थर के ऊपर डाला जाता है। प्लास्टिक व बिटुमिन दोनों पेट्रोलियम से बने होते हैं। ये एक दूसरे से अच्छी तरह चिपककर सड़कों की मजबूती और उम्र बढ़ाते हैं।

    प्लास्टिक की सड़कें वर्षा से होने वाले नुकसान के प्रति प्रतिरोधक क्षमता भी बढ़ाती हैं। ग्रामीण विकास मंत्रालय समेत सड़क परिवहन मंत्रालय ने सड़कों के निर्माण में प्लास्टिक कचरे के इस्तेमाल को लेकर एक सर्कुलर भी जारी किया है, लेकिन अब तक इस प्रयोग पर अमल शुरू नहीं किया गया।

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    कुछ कारगर उपाय ये भी ...

    • अत्यधिक वर्षा को संभालने वाली जल निकासी प्रणालियों का प्रयोग।
    • छिद्रित पाइप जल निकासी प्रणाली स्थापित करें, इससे सड़क ढहने का जोखिम कम होगा।
    • एलिवेटेड रोड डिज़ाइन व सड़कों को ऊंचा कर बनाएं, इससे सड़क जलमग्न कम होगी।
    • सड़क के नीचे मिट्टी का ट्रीटमेंट कर प्रयोग करने से कटाव व बहाव रुकेगा।
    • पालिमर-संशोधित बिटुमेन या कंक्रीट सामग्री का प्रयोग सड़क को न्यूनतम स्तर पर लाएगा।

    सड़कों को वर्षा से बचाने के लिए सभी जरूरी उपाय किए जाते हैं, जहां पर जरूरी है वहां सीसी सड़कों को बनाने का भी काम किया जा रहा है, डामर सड़कों की अपेक्षा सीसी रोड बनाना काफी खर्चीला है। सड़को को लेकर बड़ी समस्या अचानक आने वाली आपदा से हो रही है, जिसका पूर्वानुमान नहीं होता। इसके बाद भी नुकसान को कम करने के प्रयास जारी हैं। -पंकज पांडेय, सचिव-लोनिवि.