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    उत्तराखंड में ऑनलाइन गेमिंग एक्ट में होगा संशोधन, केंद्र के कानून का अध्ययन जारी

    Updated: Sun, 24 Aug 2025 10:17 AM (IST)

    प्रदेश सरकार ऑनलाइन गेमिंग एक्ट लागू करने से पहले केंद्र के कानून का अध्ययन कर रही है। ऑनलाइन गेम के बढ़ते बाजार में युवा पीढ़ी बर्बाद हो रही है क्योंकि कई लोग इसमें अपनी जमा पूंजी गंवा रहे हैं। केंद्र सरकार ने मनी गेमिंग पर रोक लगाई है। राज्य सरकार केंद्र के कानून के अध्ययन के बाद ही अपना एक्ट बनाएगी।

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    केंद्र के एक्ट का अध्ययन करने के बाद बनाया जाएगा गेमिंग एक्ट

    राज्य ब्यूरो, जागरण, देहरादून। प्रदेश सरकार अब अपना ऑनलाइन गेमिंग एक्ट लागू करने से पहले केंद्र के एक्ट का अध्ययन कर रही है। यह देखा जा रहा है कि केंद्र ने किन-किन खेलों को इससे बाहर किया है और किस प्रकार के खेलों को इसमें शामिल करने की अनुमति दी है।

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    देश में आनलाइन गेम का बाजार बहुत बड़ा है। ऐसे कई गेमिंग एप व साइट हैं, जो आनलाइन गेम को बढ़ावा दे रहे हैं। इसमें अपने अनुमान के आधार पर एक निश्चित राशि लगाकर लोग तेजी से पैसा बनाने के लिए दांव लगा रहे हैं। इनमें क्रिकेट व फुटबाल के साथ ही लूडो, शतरंज, ताश के खेल व सट्टेबाजी भी शामिल हैं। रियल मनी के इन आनलाइन खेलों में युवा पीढ़ी बर्बाद हो रही है। कईयों ने अपनी वर्षों की जमा पूंजी को इन खेलों में गंवा दिया है।

    कुछ समय पहले केंद्र सरकार के निर्देशों पर ही प्रदेश सरकार ने अपना गेमिंग एक्ट तैयार किया। इस एक्ट में आनलाइन गेम संचालित करने वाली कंपनियों को लाइसेंस जारी किया जाना प्रस्तावित है। यह माना गया कि आनलाइन गेमिंग के मनोरंजन की श्रेणी में आने के कारण इसमें 28 प्रतिशत जीएसटी लगता है।

    इससे प्रदेश को खासा लाभ हो सकता है। प्रदेश सरकार ने एक्ट का खाका तैयार किया। इसमें गेम आफ स्किल यानी कौशल के खेलों को छूट दी गई। लेकिन सार्वजनिक रूप से खेले जाने वाले जुए पर प्रतिबंध रखा गया।

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    अब केंद्र सरकार ने आनलाइन गेमिंग कानून बना दिया है। इसमें मनी गेमिंग पर रोक लगाई गई है। साथ ही विभिन्न प्रकार के मनी गेमिंग को प्रतिबंधित किया गया है। साथ ही कड़ी सजा के प्रविधान भी किए गए हैं। इसे देखते हुए राज्य में आनलाइन गेमिंग के प्रस्ताव का नए सिरे से अध्ययन किया जा रहा है।

    यह देखा जा रहा है कि केंद्र ने किस तरह के खेलों पर रोक लगाई है और किस तरह के खेलों को मंजूरी दी है। इसके बाद ही राज्य अपना एक्ट नए सिरे से तैयार करेगा। सचिव गृह शैलेश बगौली का कहना है कि अपना एक्ट बनाने से पहले केंद्र के कानून का अध्ययन किया जा रहा है। इसके बाद नए सिरे से एक्ट को बनाया जाएगा।