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Uttarakhand Politics: रायशुमारी खत्म, अब कांग्रेस नेतृत्व के पाले में गेंद; दो-तीन दिन में हो सकता है फैसला

Uttarakhand Politics उत्तराखंड में कांग्रेस विधायक दल के नए नेता और प्रदेश अध्यक्ष को लेकर रायशुमारी खत्म गेंद अब पूरी तरह पार्टी हाईकमान के पाले में है। दो-तीन दिन के भीतर पार्टी की ओर से फैसला होने की संभावना है।

By Raksha PanthriEdited By: Published: Wed, 14 Jul 2021 07:16 AM (IST)Updated: Wed, 14 Jul 2021 07:16 AM (IST)
Uttarakhand Politics: रायशुमारी खत्म, अब कांग्रेस नेतृत्व के पाले में गेंद; दो-तीन दिन में हो सकता है फैसला
Uttarakhand Politics: रायशुमारी खत्म, अब कांग्रेस नेतृत्व के पाले में गेंद।

राज्य ब्यूरो, देहरादून। Uttarakhand Politics उत्तराखंड में कांग्रेस विधायक दल के नए नेता और प्रदेश अध्यक्ष को लेकर रायशुमारी खत्म, गेंद अब पूरी तरह पार्टी हाईकमान के पाले में है। दो-तीन दिन के भीतर पार्टी की ओर से फैसला होने की संभावना है। मंगलवार को लगातार दूसरे दिन राहुल गांधी ने पूर्व मुख्यमंत्री व राष्ट्रीय महासचिव हरीश रावत और प्रदेश अध्यक्ष प्रीतम सिंह को एक साथ बैठक की। इस दौरान दोनों के बीच मतभेद खुलकर सामने आए। बाद में राहुल ने राष्ट्रीय सचिव व विधायक काजी निजामुद्दीन, पूर्व प्रदेश अध्यक्ष किशोर उपाध्याय, पूर्व राष्ट्रीय सचिव प्रकाश जोशी से अलग-अलग मुलाकात की। तीनों प्रदेश कांग्रेस समन्वय समिति के सदस्य हैं।

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दिल्ली में बीती 26 जून को प्रदेश में कांग्रेस विधायक दल के नए नेता के चयन को लेकर बुलाई गई बैठक में प्रदेश अध्यक्ष को बदलने की मांग उठने से पेच फंस गया था। इसके बाद प्रदेश प्रभारी की मौजूदगी में विधायक दल की बैठक में प्रस्ताव पारित कर कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी को इस मसले पर फैसला लेने को अधिकृत किया गया था। इस बीच पार्टी नेतृत्व के पंजाब में पार्टी के भीतर चल रहे विवाद का समाधान की तलाश में जुटने की वजह से उत्तराखंड के मसले पर फैसला टलता जा रहा है।

समिति के तीन सदस्यों से बातचीत

बीते रोज पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने उत्तराखंड के मसले को सुलझाने के लिए कमान संभाली। पार्टी नेतृत्व ने इस मामले में प्रदेश कांग्रेस समन्वय समिति के सदस्यों के साथ ही प्रदेश अध्यक्ष पद के दावेदार बताए जा रहे नेताओं को दिल्ली तलब किया था। सोमवार को राहुल गांधी के साथ पार्टी के राष्ट्रीय महामंत्री संगठन केसी वेणुगोपाल से हरीश रावत व प्रीतम सिंह के साथ ही अन्य नेताओं की मुलाकात हुई थी। मंगलवार को राहुल ने समिति के शेष तीन सदस्यों से भी मुलाकात की।

ब्राह्मण चेहरे पर मशक्कत

सबसे पहले दिल्ली में राहुल गांधी ने हरीश रावत और प्रीतम सिंह को मुलाकात के लिए एक साथ बुलाया। दोनों की राहुल के साथ तकरीबन डेढ़ घंटा बैठक हुई। सूत्रों के मुताबिक बैठक में दोनों नेताओं के बीच खींचतान और मतभेद बरकरार रहे। एक-दूसरे की भूमिका को लेकर असंतोष राहुल के सामने भी नुमायां हुआ। राहुल गांधी ने समन्वय समिति के अन्य सदस्यों से मुलाकात में 2022 के चुनाव, पार्टी की स्थिति, प्रदेश में क्षेत्रीय व जातीय संतुलन साधने के लिहाज से फीडबैक लिया। नेता प्रतिपक्ष का पद डा इंदिरा हृदयेश के निधन के चलते रिक्त है।

इंदिरा के रूप में कांग्रेस ने कुमाऊं मंडल में ब्राह्मण नेता के रूप में मजबूत चेहरा खो दिया है। बताया गया कि राज्यसभा सदस्य प्रदीप टम्टा के मंगलवार को भी दिल्ली नहीं पहुंच पाने की वजह से मुलाकात नहीं कर सके। एआइसीसी मुख्यालय दिल्ली में सुबह 10 बजे से शुरू हुई फीडबैक की यह कसरत दोपहर करीब दो बजे समाप्त हुई।

दो विकल्प पर हो रहा मंथन

सूत्रों के मुताबिक 2022 के विधानसभा चुनाव के दौरान नेता प्रतिपक्ष पद की कमान किन हाथों में होगी और प्रदेश अध्यक्ष का ताज किसके सिर पर सजेगा, इसे लेकर दो-तीन दिन में फैसला हो जाएगा। प्रदेश में चुनाव संचालन समिति का जिम्मा हरीश रावत को सौंपा जाना है। इसे देखते हुए प्रदेश में सियासी समीकरण बिठाने के लिए दो विकल्प पर मुख्य रूप से विचार किया जा रहा है। प्रीतम सिंह को प्रदेश अध्यक्ष पद से हटाकर नेता प्रतिपक्ष बनाने की सूरत में प्रदेश अध्यक्ष पद पर ब्राह्मण नेता के रूप में गढ़वाल क्षेत्र से पूर्व विधायक गणेश गोदियाल, पूर्व प्रदेश अध्यक्ष किशोर उपाध्याय, पूर्व मंत्री नवप्रभात के दावे पर विचार किया जा सकता है।

जोशी व कापड़ी भी दावेदार

वहीं, कुमाऊं मंडल से कांग्रेस के पूर्व राष्ट्रीय सचिव प्रकाश जोशी व प्रदेश युवक कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष भुवन कापड़ी में से किसी एक नाम पर मुहर लग सकती है। नवप्रभात, गणेश गोदियाल और भुवन कापड़ी तीनों से बीते रोज राहुल मुलाकात कर चुके हैं। पार्टी नेतृत्व दूसरे फार्मूले पर भी विचार कर रहा है। इसमें प्रीतम सिंह को प्रदेश अध्यक्ष बनाए रहने की स्थिति में गढ़वाल व कुमाऊं क्षेत्र से कार्यकारी अध्यक्ष नामित किए जा सकते हैं। नेता प्रतिपक्ष करन माहरा हो सकते हैं।

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