Uttarakhand Panchayat Chunav: पंचायतों में बनेगी किसकी सरकार, दलों ने बांधी टकटकी
उत्तराखंड में पंचायत चुनाव के पहले चरण के मतदान संपन्न हो गया है। भाजपा और कांग्रेस दोनों ही दलों के लिए यह चुनाव महत्वपूर्ण है क्योंकि इसे विधानसभा चुनाव के सेमीफाइनल के रूप में देखा जा रहा है। ग्रामीण मतदाताओं का रुख राजनीतिक दलों के भविष्य को तय करेगा। प्रथम चरण में 49 विकासखंडों में मतदान हुआ जिसमें 47.74 लाख से अधिक मतदाताओं ने भाग लिया।

घ्ण्रविंद्र बड़थ्वाल, जागरण, देहरादून। प्रदेश में हरिद्वार जिले को छोड़कर शेष 12 जिलों में त्रिस्तरीय पंचायतों में छोटी सरकार के गठन की ओर मजबूती से कदम बढ़ गए हैं। चुनाव पर बार-बार मंडरा रहे आशंकाओं के बादलों के छंटते ही और मौसम की दुश्वारियों को पीछे छोड़ मतदाताओं ने पहले चरण के मतदान में उत्साह से भाग लेकर राजनीतिक दलों को गुणा-भाग के लिए विवश कर दिया है।
संख्याबल में राज्य के इस सबसे बड़े वर्ग यानी ग्रामीण मतदाताओं का समर्थन जिसके पक्ष में भी झुका, पंचायतों के साथ ही आने वाले विधानसभा चुनाव में भी उसी दल के हाथों में सत्ता की चाबी रहेगी। इन मतदाताओं के रुख को भांपना आसान नहीं है। इसी कारण भाजपा और कांग्रेस, दोनों ही प्रमुख राष्ट्रीय दल सतर्क हैं। उनकी नजरें मतपेटियों में बंद समर्थित प्रत्याशियों के भाग्य पर टिकी हैं। इन प्रत्याशियों के भाग्य के साथ ही राजनीतिक दलों का भविष्य भी जुड़ा हुआ है।
प्रदेश में 12 जिलों में त्रिस्तरीय पंचायतों के लिए प्रथम चरण में 49 विकासखंडों में गुरुवार को चुनाव हुआ। 6049 पदों के लिए 17829 प्रत्याशियों का भाग्य मतपेटियों में बंद हो गया। दूसरे चरण के लिए मतदान 28 जुलाई को होना है। इस चुनाव में कुल 47.74 लाख से अधिक मतदाता हैं।
मतदाताओं का यह वर्ग कुल मतदाताओं 85.07 लाख का 56 प्रतिशत से अधिक है। इसमें हरिद्वार जिले में पंचायत के मतदाता सम्मिलित नहीं हैं। इन्हें सम्मिलित करने पर यह आंकड़ा 60 प्रतिशत के पार होना तय है। इस प्रकार विधानसभा की कुल 70 सीटों में से 42 से अधिक सीटों पर गांवों के मतदाता निर्णायक स्थिति में हैं।
पंचायत चुनाव को दोनों ही राष्ट्रीय दल भाजपा और कांग्रेस, विधानसभा चुनाव के सेमीफाइनल के रूप में ले रहे हैं। प्रथम चरण में जिन पंचायतों में चुनाव हुए हैं, उनमें अधिकतर पर्वतीय व दूरस्थ ग्रामीण क्षेत्रों से संबंधित हैं। इन क्षेत्रों में पंचायतों का चुनावी समर रोचक रहने जा रहा है।
भाजपा ने जहां विकास योजनाओं के साथ ही डबल इंजन, भ्रष्टाचार पर कड़े रुख को लेकर ग्रामीण मतदाताओं के बीच दस्तक दी है, वहीं कांग्रेस ने दूरस्थ क्षेत्रों में विकास की धीमी चाल को मुद्दा बनाया। साथ ही पंचायत चुनाव को लेकर असमंजस पर भी मुख्य विपक्षी दल ने सरकार को निशाने पर लिया। कांग्रेस को नगर निकाय चुनाव में शहरी क्षेत्रों से सटे पर्वतीय और अर्द्ध ग्रामीण क्षेत्रों में अपेक्षाकृत अधिक सफलता मिली थी।
पंचायत चुनाव में वोटिंग के इसी ट्रेंड से उसे अधिक उम्मीदें हैं। यह अलग बात है कि भाजपा को अपने चुनावी ब्रांड प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के साथ ही डबल इंजन के सहयोग से हो रहे विकास कार्यों पर अधिक भरोसा है। इसका परिणाम नगर निकाय चुनाव में सभी 11 नगर निगमों पर भाजपा के कब्जे के रूप में सामने आ चुका है। सत्ताधारी दल मान रहा है कि पंचायत चुनाव में उसे और अधिक जन समर्थन मिलेगा।
‘भाजपा सतत विकास पर बल दे रही है। गांवों में विकास कार्य पहुंचे हैं। मतदाताओं का उत्साह काफी कुछ कहता है। पार्टी पंचायत चुनाव में सफलता मिलने के प्रति आश्वस्त है।’ -महेंद्र भट्ट, अध्यक्ष उत्तराखंड प्रदेश भाजपा
‘कांग्रेस ने पंचायत चुनाव को लेकर पूरी मेहनत की है। सरकार के विरुद्ध ग्रामीण मतदाताओं में रोष है। चुनाव परिणाम यह सब सामने आ जाएगा।’ -करन माहरा, अध्यक्ष उत्तराखंड प्रदेश कांग्रेस कमेटी
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