Uttarakhand News: शहरों के विकास का खाका खींचने में मदद करेगा सेतु आयोग, बनी सहमति
उत्तराखंड सरकार ने शहरी क्षेत्रों के नियोजित विकास के लिए एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है जिसमें सेतु आयोग की मदद लेने का निर्णय लिया गया है। आयोग शहरों मे ...और पढ़ें

केदार दत्त, देहरादून। उत्तराखंड में शहरी क्षेत्रों के नियोजित विकास का खाका खींचने के लिए अब सेतु (स्टेट इंस्टीट्यूट फार एंपावरिंग एंड ट्रांसफॉर्मिंग उत्तराखंड) आयोग की मदद ली जाएगी। शासन स्तर पर शहरी विकास विभाग और सेतु आयोग के मध्य इसे लेकर सहमति बन चुकी है।
शहरों में नियोजन, वित्त, आर्किटेक्चर समेत अन्य क्षेत्रों की योजनाएं तैयार करने में आयोग के कंसल्टेंट की मदद करेंगे। इससे अनियोजित विकास और खराब वित्तीय स्थिति से जूझ रहे शहरी निकायों को बड़ी राहत मिलेगी। साथ ही वे आने वाले दिनों में बड़ी परियोजनाओं की दिशा में भी आगे बढ़ सकेंगे।
निकायों की वित्तीय स्थिति भी किसी से छिपी नहीं
प्रदेश में शहरों की संख्या तो निरंतर बढ़ रही है, लेकिन इस हिसाब से वहां नागरिक सुविधाएं विकसित नहीं हो पा रही हैं। अनियोजित विकास की मार से तो शहरी क्षेत्र त्रस्त हैं ही, चौड़ी सड़कें, फुटपाथ, पार्क, साफ-सफाई, सुंदरीकरण, वाहनों की पार्किंग, बेहतर ड्रेनेज सिस्टम का सपना भी पूरा नहीं हो पा रहा है।
रही-सही कसर पूरी कर दी है मलिन बस्तियों ने, जो शहरों की सुंदरता पर दाग लगा रही हैं। उस पर शहरी निकायों की स्थिति यह है कि वे केवल केंद्र एवं राज्य वित्त आयोग से प्राप्त अनुदान को खर्च करने तक ही सीमित होकर रह गए हैं। यह राशि भी पूरी तरह से खर्च नहीं हो पा रही है।
शहरी निकायों की वित्तीय स्थिति भी किसी से छिपी नहीं है। निकायों में निर्धारित करों की वसूली की स्थिति से हर कोई वाकिफ है। आय के नए स्रोत विकसित करने की दिशा में निकाय फिसड्डी साबित हो रहे हैं।
यही कारण है कि शहरों में निकाय कोई बड़ा प्रोजेक्ट तक शुरू नहीं कर पा रहे हैं। इस सबको देखते हुए सरकार अब शहरों की तस्वीर संवारने के लिए राज्य में गठित सेतु आयोग की मदद लेने जा रही है। इस सिलसिले में हाल में ही शासन स्तर पर शहरी विकास विभाग और सेतु आयोग के मध्य बैठक हो चुकी है।
'शहरों के विकास से जुड़ी योजनाएं तैयार करने में अब सेतु आयोग के कंसल्टेंट मदद करेंगे। इसमें वित्त, नियोजन जैसे क्षेत्रों पर विशेष जोर रहेगा। इस पहल के पीछे मंशा यही है कि शहरी क्षेत्रों में नियोजित ढंग से विकास हो। साथ ही निकाय अपने पैरों पर खड़े हों और कुछ नए प्रोजेक्ट भी अपने-अपने शहर की परिस्थितियों के हिसाब से प्रारंभ कर सकें।'
-नितेश कुमार झा, शहरी विकास सचिव।

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