उत्तराखंड: आबकारी निरीक्षक के पदों पर पदोन्नति बनी पहेली, साल 2020 में शुरू हो गई थी प्रक्रिया
उप आबकारी निरीक्षक/लिपिक संवर्ग से निरीक्षक पदों पर पदोन्नति पहेली बनकर रह गई। पदोन्नति का मामला जुलाई 2020 से गतिमान है मगर इसके निस्तारण में शुरू से ही पेच फंसाए जा रहे हैं। खबर में पढ़िए कि आखिर इसकी वजह क्या है।

जागरण संवाददाता, देहरादून। आबकारी विभाग में उप आबकारी निरीक्षक/लिपिक संवर्ग से निरीक्षक पदों पर पदोन्नति पहेली बनकर रह गई। पदोन्नति का मामला जुलाई 2020 से गतिमान है, मगर इसके निस्तारण में शुरू से ही पेच फंसाए जा रहे हैं। यह भी कम दिलचस्प नहीं कि आबकारी विभाग के अधिकारियों के उदासीन रवैये के अलावा स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी भी पदोन्नति की राह में अड़चन पैदा करते रहे हैं।
निरीक्षक पदों पर पदोन्नति की प्रक्रिया जुलाई 2020 में शुरू की गई थी। पदोन्नति के लिए अधीनस्थ आबकारी सेवा नियमावली के अनुरूप पात्र कार्मिकों की शारीरिक दक्षता का परीक्षण कराने का निर्णय लिया गया था। नियमावली में शारीरिक दक्षता में पुरुष अभ्यर्थियों के लिए ऊंचाई, सीने की चौड़ाई, जबकि महिला अभ्यर्थियों के लिए ऊंचाई व वजन का मानक तय किया गया है।
लिहाजा, विभाग की ओर से 13 अभ्यर्थियों के नाम मुख्य चिकित्साधिकारी कार्यालय को भेजे गए। तत्कालीन मुख्य चिकित्साधिकारी डा. बीसी रमोला ने कैबिनेट की नियमावली को दरकिनार करते यह आबकारी आयुक्त को सलाह दे डाली कि शारीरिक दक्षता की जगह पदोन्नति के लिए फिजीशियन, ईएनटी, अस्थि रोग, स्त्री एवं प्रसूति रोग (महिला अभ्यर्थियों के लिए) संबंधी जांच कराई जानी चाहिए।
इस सलाह पर तत्कालीन आयुक्त भी कुछ नहीं कर पाए और फिर मामला कोरोनेशन अस्पताल को भेज दिया गया। खैर, यहां शारीरिक दक्षता का परीक्षण करा लिया गया, मगर पदोन्नति का हल तब भी नहीं निकल पाया। उत्तराखंड लोक सेवा आयोग को ऐसा अधियाचन भेजा गया, जिसमें तमाम त्रुटियां छोड़ दी गईं। परिणामस्वरूप अधियाचन लौटा दिया गया। दो बार किए गए प्रयास में हर कहीं प्रमाण पत्रों की मूल प्रतियों की जगह छायाप्रति भेजी गई, तो कहीं आबकारी आयुक्त की जगह सहायक आयुक्त के हस्ताक्षर कराकर मामला लटका दिया गया। यह सब जानबूझकर किया गया या भूलवश हुआ, यह अपने आप में किसी पहेली से कम नहीं।
इस मामले में आबकारी आयुक्त नितिन भदौरिया का कहना है कि उन्होंने कुछ समय पहले ही चार्ज लिया है। वह अभी व्यवस्था को समझ रहे हैं और जल्द पदोन्नति के मसले पर भी उचित निर्णय लिया जाएगा।
यह भी पढ़ें- उत्तराखंड: 24 हजार का शीशा नहीं डाला, गंवा दिए 12 लाख; जानिए क्या और कहां का है ये मामला
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।