Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    Uttarakhand: आसन वेटलैंड में प्रवासी परिंदों का आगमन शुरू, सुर्खाब बने पहले मेहमान; इतने महीने रहता है डेरा

    RAMSAR Wetland Sites देश के पहले कंजर्वेशन रिजर्व व उत्तराखंड के पहले रामसर साइट आसन वेटलैंड (RAMSAR Wetland Sites) में विदेशी परिंदों का प्रवास के लिए आना शुरू हो गया है। सबसे पहले रुडी शेलडक यानि सुर्खाब उत्तराखंड (Uttarakhand) के मेहमान बने हैं। शनिवार को 40-50 सुर्खाब ने वेटलैंड में डेरा डाला है। इसी के साथ ही चकराता वन प्रभाग की रात-दिन की गश्त भी शुरू हो गई है।

    By Jagran NewsEdited By: riya.pandeyUpdated: Sun, 08 Oct 2023 09:02 AM (IST)
    Hero Image
    RAMSAR Wetland Sites: आसन वेटलैंड में प्रवासी परिंदों का आगमन शुरू

    जागरण संवाददाता, विकासनगर। RAMSAR Wetland Sites: देश के पहले कंजर्वेशन रिजर्व व उत्तराखंड के पहले रामसर साइट आसन वेटलैंड  (RAMSAR Wetland Sites) में विदेशी परिंदों का प्रवास के लिए आना शुरू हो गया है। सबसे पहले रुडी शेलडक यानि सुर्खाब उत्तराखंड (Uttarakhand) के मेहमान बने हैं। शनिवार को 40-50 सुर्खाब ने वेटलैंड में डेरा डाला है। इसी के साथ ही चकराता वन प्रभाग की रात-दिन की गश्त भी शुरू हो गई है।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    अक्टूबर से मार्च तक प्रवास पर रहते हैं विदेशी परिंदे 

    पिछले पांच साल से आसन वेटलैंड में अक्टूबर माह की सात तारीख को प्रवासी परिंदों का आना शुरू हो जाता है। शनिवार को सुर्खाब प्रजाति के परिंदे आसन वेटलैंड में आए। हर बार सबसे पहले सुर्खाब ही उत्तराखंड (Uttarakhand) के मेहमान बनते हैं। अपने सुनहरे पंखों के कारण सुर्खाब सबसे ज्यादा पर्यटकों को आकर्षित करता है। आसन वेटलैंड में अक्टूबर से मार्च तक विदेशी परिंदे प्रवास पर रहते हैं। चकराता वन प्रभाग के प्रभागीय वनाधिकारी मयंक शेखर झा ने आसन वेटलैंड में प्रवासी परिंदों के प्रवास को देखते हुए रात-दिन की गश्त भी शुरू करा दी है।

    यहां पर आते हैं ज्यादा प्रवासी परिंदे

    गढ़वाल क्षेत्र में आसन वेटलैंड, हरिद्वार के भीमगोड़ा बैराज, ऋषिकेश के वीरभद्र बैराज में विदेशी परिंदे प्रवास को आते हैं। परिंदों की सबसे अधिक संख्या रामसर साइट आसन वेटलैंड (RAMSAR Wetland Sites) में होती है। परिंदों को यहां के घास के झुरमुट, यमुना, चारों तरफ हरे भरे पर्वतीय क्षेत्र, मड टापू परिंदों के लिए अनुकूल वातावरण बनाते हैं। यही वजह है कि आसन वेटलैंड में बड़ी संख्या में प्रवासी परिंदे उत्तराखंड (Uttarakhand) के मेहमान बनते हैं।

    कब कितने आए परिंदे

    वर्ष - प्रजाति - परिंदों की संख्या

    2015 - 48 - 5796 

    2016 - 84 - 5635

    2017 - 60 - 4569

    2018 - 61 - 6008

    2019 - 69 - 6170

    2020 - 50 - 4466

    2021 - 55 - 4497

    2022 - 49 - 5680

    2023 - 42 - 4642

    वर्ष 2015 से अब तक कुल 47,463 विदेशी परिंदे उत्तराखंड के मेहमान बने हैं।

    यह भी पढ़ें - Vanatara Case: वनतंरा प्रकरण में मित्र से सवाल-जवाब का थमा सिलसिला, 20 अक्टूबर को तय की गई अगली गवाही की तारीख

    ये प्रजातियां आती हैं प्रवास पर

    आसन वेटलैंड में लिटिल ग्रेब, रुडी शेलडक यानि सुर्खाब, ग्रेट क्रेस्टेड ग्रेब, ग्रेट कारमोरेंट, लिटिल कारमोरेंट, रेड क्रेस्टेड पोचार्ड, वूली नेक्टड, रेड कैप्ट आइबीज, प्लास फिश ईगल, ग्रे लेग गूज, गैडवाल, इरोशियन विजन, टफ्ड डक, पर्पल स्वेप हेन, इंडियन सैग, व्हाइट बिल्ड हेरोन, मीडियन इग्रेट, येलो बिटर्न, ब्लैक बिटर्न, पेंटेड स्ट्रोक, एशियन ओपन बिल, ब्लैक स्ट्रोक, कामन शेलडक, मलार्ड, नार्थन पिनटेल, कामन टील, स्पाट बिल डक, कामन पोचार्ड, टफ्ड पोचार्ड, यूरेशियन विजन, गैडवाल, नार्दन शावलर, कामन मोरहेन, कामन कूट, ब्लैक विंग्ड स्किल्ड, व्हाइट थ्रोटेड किंगफिशर, पाइज्ड किंगफिशर, रीवर लोपविंग, ब्लैक हेडेड गल, इरोशियन मार्क हेरियर, लिटिल ग्रेबी, डारटर, लिटिल कोरमोरेंट, लिटिल इ ग्रेट, ग्रे हेरोन, पर्पल हेरोन, कामन किंगफिशर आदि प्रजातियों के विदेशी परिंदे उत्तराखंड के मेहमान बनते हैं।

    यह भी पढ़ें - विकासनगर: नेवी में सेलर की होटल में संदिग्ध परिस्थितियों में मौत, पंजाब का रहने वाला था मृतक; खुदकुशी की आशंका