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Uttarakhand Lockdown: साहब! हम भिखारी नहीं हैं, भले ही खाना न दो; पर फोटो फेसबुक पर मत डालना

लॉकडाउन लागू होने के बाद दिहाड़ी मजदूरी कर गुजर बसर करने वाले तमाम लोग बेरोजगारी की हालत में पहुंच गए हैं।

By Raksha PanthariEdited By: Published: Wed, 01 Apr 2020 08:00 PM (IST)Updated: Wed, 01 Apr 2020 09:42 PM (IST)
Uttarakhand Lockdown: साहब! हम भिखारी नहीं हैं, भले ही खाना न दो; पर फोटो फेसबुक पर मत डालना

देहरादून, जेएनएन। उत्तराखंड में लॉकडाउन लागू होने के बाद दिहाड़ी मजदूरी कर गुजर बसर करने वाले तमाम लोग बेरोजगारी की हालत में पहुंच गए हैं। संकट की इस घड़ी में इन जरूरतमंदों की मदद के लिए तमाम हाथ आगे बढ़ रहे हैं। मगर कुछ लोग ऐसे भी हैं, जो उनके साथ फोटो खिंचवाकर उसे सोशल मीडिया पर प्रचारित कर रहे हैं। इसको लेकर इन जरूरतमंदों के मन में एक टीस भी है। मंगलवार को 'दैनिक जागरण' की टीम ने जब कुछ मजदूरों से बात की तो उनका यह दर्द जुबां तक आ गया।

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वाकया पथरीबाग चौक का है। मंगलवार को यहां से छह-सात मजदूर आइएसबीटी की तरफ जा रहे थे। दैनिक जागरण की टीम ने उनके हालात जानने के लिए उन्हें रोकने की कोशिश की। इसी बीच कैमरे का फोकस अपनी तरफ देखकर मजदूरों ने कदम तेज कर दिए। हमने आगे बढ़कर उन्हें रोका तो सहसा ही एक मजदूर के मुंह से निकल पड़ा, साहब हम जरूरतमंद हैं, भिखारी नहीं। लॉकडाउन के चलते काम नहीं मिल रहा। इसलिए रोटी को हाथ फैलाने पड़ रहे हैं। आप हमें खाने का पैकेट भले मत दो, लेकिन हमारा फोटो फेसबुक पर मत डालना।

मजदूरों से यह सब सुनने के बाद हमने उन्हें अपना परिचय दिया, तब जाकर वो आश्वस्त हुए। इसके बाद उनमें से तीन ने काफी पूछने पर अपने नाम रामप्रकाश, माधो और छोटेलाल बताए। छोटेलाल ने बताया कि वह सभी बाराबंकी (उत्तर प्रदेश) के रहने वाले हैं और यहां टिहरी में एक बिल्डिंग में काम करते थे। लॉकडाउन के चलते फिलहाल बिल्डिंग का निर्माण बंद है, इसलिए सभी घर जा रहे हैं। उन्होंने बताया कि रास्ते में कई संगठनों ने उन्हें खाने-पीने का सामान उपलब्ध कराया। लेकिन, इन संगठनों में कुछ लोग ऐसे भी थे जो पैकेट देते वक्त उनके साथ फोटो खिंचाने को आतुर थे। इस बाबत पूछने पर उनका कहना था कि इसे सोशल मीडिया पर डालेंगे। मददगारों की इस बात से ये मजदूर काफी आहत नजर आए।

रामप्रकाश ने कहा कि जो लोग निस्वार्थ भाव से मदद कर रहे हैं, उनकी जितनी सराहना की जाए कम है। ऐसे समय में मदद करने वाले हमारे लिए भगवान से कम नहीं हैं। लेकिन, कुछ लोग खुद की पहचान बनाने के लिए हमारे साथ फोटो खिंचवाकर उसे सोशल मीडिया पर डाल रहे हैं, जो काफी दुखी करने वाला है।

इसी तरह कारगी से आइएसबीटी आ रहे नजीबाबाद निवासी रहमान ने बताया कि वह मसूरी से पैदल आ रहे हैं। रास्ते में तकरीबन 10 संगठनों ने उन्हें पानी और खाने के पैकेट दिए थे। लेकिन, अधिकांश लोगों ने फोटो खिंचाने के बाद ही आगे जाने दिया।

कोरोना वॉरियर का खिताब 

देहरादून, जेएनएन। मंगलवार का कोरोना वॉरियर ऑफ दि डे का खिताब सफाई नायक विनोद कुमार (शासकीय) और कारोबारी सुनील (सिविल सोसाइटी) को मिला है। एक तरफ विनोद अपने वार्ड में कोरोना वायरस की चेन को नष्ट करने के लिए जी जान से जुटे हैं, तो वहीं सुनील भी जरूरतमंदों का साथ दे रहे हैं।  

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जिलाधिकारी डॉ. आशीष श्रीवास्तव ने बताया कि सफाई नायक विनोद कुमार के पास एमकेपी वार्ड का जिम्मा है। वह अपने वार्ड की सफाई व्यवस्था और सैनिटाइजेशन को लेकर कोई कसर नहीं छोड़ रहे। वह समय पर ड्यूटी पर उपस्थित होते हैं। ऐसे ही कोरोना वॉरियर की बदौलत अब तक सफलतापूर्वक आगे बढ़ रहा है। वहीं, सिविल सोसाइटी की तरफ से सुनील मैसोन रोजाना बड़ी संख्या में भोजन के पैकेट प्रशासन की टीम को मुहैया करा रहे हैं।

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