हर साल प्राकृतिक आपदाओं का केंद्र बन रहा उत्तराखंड, कभी भी बड़ा खतरा बन सकते हैं अतिसंवेदनशील 67 लैंडस्लाइड जोन
उत्तराखंड में भूस्खलन एक गंभीर समस्या बनी हुई है जहां 67 अतिसंवेदनशील क्षेत्र सक्रिय हैं। बारिश के मौसम में स्थिति और भी खतरनाक हो जाती है जिससे जानमाल का खतरा बढ़ जाता है। पिछले दस वर्षों में 4662 स्थानों पर भूस्खलन हुआ है जिसमें 319 लोगों की जान गई है। केंद्र सरकार ने पांच क्षेत्रों के लिए 125 करोड़ रुपये स्वीकृत किए हैं राज्य सरकार ने विस्तृत कार्ययोजना भेजी है।

राज्य ब्यूरो, जागरण, देहरादून। उत्तराखंड की विषम भागौलिक स्थिति हर वर्ष प्राकृतिक आपदाओं का केंद्र बनती हैं। विशेष रूप से पर्वतीय क्षेत्रों में तो बरसात के दौरान आपदा जैसे हालात बनते रहते हैं। इनमें भी सबसे अधिक खतरनाक स्थिति अतिसंवेदनशील भूस्खलन क्षेत्रों की है।
प्रदेश में इस समय 67 अतिसंवेदनशील क्षेत्र हैं। जिनके सक्रिय होते ही न केवल मार्ग बाधित होते हैं बल्कि इनसे जानमाल के नुकसान का भी खतरा रहता है। इस वर्ष राज्य में अभी तक पांच नए भूस्खलन क्षेत्र चिह्नित किए गए हैं।
नए भूस्खलन क्षेत्र विकसित
उत्तराखंड में भूस्खलन कोई नया नहीं है लेकिन समय के साथ इनकी संख्या भी बढऩे लगी है। विशेष रूप से जहां विकास कार्य हो रहे हैं, वहां नए भूस्खलन क्षेत्र भी विकसित हो रहे हैं। ऐसा नहीं है कि ऐसा केवल उत्तराखंड में हो रहा है। अन्य पर्वतीय राज्यों में भी यह बात देखने को मिली है।
भूस्खलन के सही कारणों का पता न होने के कारण इनकी सही प्रकार से उपचार नहीं हो पाता है। यही कारण भी है कि बरसात में ये सक्रिय हो जाते हैं। ये कितने खतरनाक होते हैं, इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि वर्ष 2015 से लेकर वर्ष 2025 तक दस वर्षों में प्रदेश के 4662 जगहों पर भूस्खलन हो चुका है, जिससे जनहानि के साथ-साथ बड़े पैमाने पर संपत्ति को भी नुकसान पहुंचा।
इस दौरान 319 व्यक्तियों की जान गई तथा 192 लोग घायल हुए हैं। इसके साथ ही वर्षाकाल में कई स्थानों पर नए भूस्खलन क्षेत्र भी बन रहे हैं। जिनसे जन व धन हानि की आशंका बनी हुई है। तमाम प्रयासों के बावजूद इनका अभी तक सही प्रकार से उपचार नहीं हो पाया है। अब केंद्र सरकार ने इस दिशा में कदम बढ़ाया है।
हाल ही में केंद्र ने पांच अतिसंवेदनशील भूस्खलन प्रभावित क्षेत्रों को दुरुस्त करने के लिए 125 करोड़ रुपये भी स्वीकृत किए हैं। प्रदेश सरकार इनको दुरुस्त करने के लिए एक विस्तृत कार्ययोजना केंद्र सरकार को भेज चुकी है। प्रदेश ने इसमें सभी 32 भूस्खलन प्रभावित क्षेत्रों का जिक्र करते हुए इन्हें ठीक कराने के लिए आर्थिक सहायता देने का अनुरोध किया है।

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